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लाख कहा उसने हर प्यार झूठा है मैंने कहा आजमाते है.
चलो उस चोट को खाते है.अपनी किस्मत को आजमाते है.
दिल सिर्फ दिल ही होता है .अगर वो सारे फर्क जान पाता तो क्यों कर ऐसी चोट खाता.दिल प्यार क्यों कर ऐसे से ही होता है जिसे पाना बहुत मुश्किल होता है.छुटपन से yovan तक
एक बचपन का ज़माना था, खुशियों का ख़ज़ाना था. चाहत चाँद को पाने की, दिल तितली का दीवाना था.
खबर ना थी कुछ सुबह की, ना शाम का ठिकाना था. थक-हार के आन स्कूल से, पर खेलने भी जाना था.
दादी की कहानी थी, परियों का फसाना था. बारिश मे काग़ज़ की कश्ती थी, हर मौसम सुहाना था.
हर खेल मे साथी थे, हर रिश्ता नीभाना था. गम की ज़ुबान ना होती थी, ना जख़्मो का पैमाना था.
रोने की वजह ना थी, ना हासणे का बहाना था. अब नही रही वो ज़िंदगी ……..
एक बचपन का ज़माना था, खुशियों का ख़ज़ाना था.
शाम से आँख में नमी सी है , आज फिर आप की कमी सी है. दफ़्न कर दो हमें कि साँस मिले , नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है. वक़्त रहता नहीं कहीं थमकर , इस की आदत भी आदमी सी है. कोई रिश्ता नहीं रहा फिर भी , एक तस्लीम लाज़मी सी है
आँधियों मे भी जैसे कुछ चिराग जला करते हैं, उतनी ही हिम्मत-ए-हौसला हम भी रखा करते हैं.
मंज़िलें अभी और दूर हैं हमारी, चाँद सितारे तो राहों मे मीला करते हैं.
ख्वाइश ऐसी की आसमान तक जा सको. दुआ ऐसी की खुदा को पा सको.
जीने के लिए पल बहुत कम है, जियो ऐसे के हर पल में ज़िंदगी पा सको…
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