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जन्म २ अक्तूबर १८६९
पोरबंदर, काठियावाड़, भारत
मृत्यु ३० जनवरी १९४८ (७८ वर्ष की आयु में)
नई दिल्ली, भारत
इस जन्म ओर मृत्यु के बीच एक महानायक है. जिसने जब तक भी इस धरती माँ की सेवा की पुरे जी ओर जान से की .हम बापू के उन आदर्शो की आज भी जरुरत समझते है. ओर उन आदर्शो को समझने वाला ओर उन पर चलने वाले को नतमस्तक भी करते है.बापू ने अपने जीवन को सही मायनो में जिया ओर जीवन को एक सुन्दर अर्थ प्रदान किया.वे सत्याग्रह – व्यापक सविनय अवज्ञा के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव संपूर्ण अहिंसा पर रखी गई थी जिसने भारत को आजादी दिलाकर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतंत्रता के प्रति आंदोलन के लिए प्रेरित किया।
आज वास्तविकता है की बहुत अनाचार हो रहा है ओर वो यू कि लोग उन बहुमूल्य अर्थो को खोते हुए जा रहे है. जिनकी आज या हमेशा समाज को अत्यधिक आवशयकता है.जब बापू ने जान लिया कि सत्य को स्थापित करने का ओर कोई चारा नहीं है तो उन्होंने अंहिंसा का कठोर मार्ग अपनाया.नहीं आप ऐसा कतई ना समझे कि अंहिंसा का मार्ग सहज ओर सफल है. बल्कि अंहिंसा का मार्ग तो हिंसा से भी कठिन है.मूल अंतर इनके परिणाम है .जहा हिंसा के पहले ओर बाद में भी मानसिक ओर शारीरिक उथल पुथल रहती है वही दूसरी ओर अहिंसा से मन प्रेरित ओर शांत रहता है पहले भी ओर बाद में भी..महात्मा अथवा महान आत्मा एक सम्मान सूचक शब्द जिसे सबसे पहले रवीन्द्रनाथ टेगौर ने प्रयोग किया और भारत में उन्हें बापू के नाम से भी याद किया जाता है।बापू के लिए हर उम्र के लोगो का प्यार नसीब था कही वो पिता कि भूमिका में पाठ प्रदर्शित करते है तो कही बापू ओर दादा जैसा ठिठोली वाला मनुष्य मिलता है.बापू के तमाम प्रयोग है जिनमे बापू ने जीने कि काला सीखी ओर सिखाई है.आज के दिन को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है।हमें गर्व है उस एक लंगोटधारी पर जिसने दुनिया को आज के लिए ही नहीं बल्कि कई सदी आगे के लिए भी उस पाठ को पढाया जिस पाठ पर चलकर ही हम इस विश्व को बचा सकते है.बापू के अदार्शो कि लम्बी नहीं बल्कि छोटी लाइन है.
गांधी के सिद्धांत
1 सत्य
2 अहिंसा
3 शाकाहारी रवैया
4 ब्रह्मचर्य
5 सादगी
6 विश्वासजिस पर चलकर हम निश्चित रूप से विश्व में भाईचारा ला सकते है विश्व को बचा सकते है.
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