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“सोच में परिवर्तन चाहिए”

sushma's view
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Sush053
एक आम व्यक्ति के रूप में सोच बहुत ही उग्र होती जा रही है.उस सोच के परिणामो को सोच कर मैं कभी कभी उधिग्न हो जाती हू कि आदमी कि आदमियत को क्या होता जा रहा है.अपने देश ओर प्रदेश के अच्छे भविष्य के सपने देखने वाले इस प्रदेश व् देश के साथ क्या कर रहे है.चोरी डकेती जैसे अगर असामाजिक तत्वों को निकल दिया जाये तो भी उन आसमजिकता को आप क्या कहेंगे जो चोराहे पर लड़की छेड़ते हुए मिल जाती है,रास्तो में कूड़ा फेलाते पीक थूकते हुए मिल जाती है,सरकारी सामानों को तोड़ते,नुकसान पहुचाते हुए मिल जाती है.गली कि लाइट फोड़ते,बिना लाइसेंस मोटर गाड़ी चलते,टक्कर मारते,शराब पीते हाय हाय करते.
क्या हम इन सब को रोकने को एक जुट हो सकते है.क्या हम सब मिलकर इन्हें रोक सकते है.कह सकते है कि”हम इनके कुछ नहीं लगते पर अन्याय रोकने को हम स्वतन्त्र है.मेरा मानना है अगर हम एक जुट हो गए तो अपने प्रदेश को ही नहीं अपने देश को भी विकास के रास्ते पर ले जा पाएंगे.

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