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Covid-19 : लॉकडॉउन का भारतीय उच्च शिक्षा पर असर

Education & Society
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कोरोना वायरस का प्रभाव आज समूचे विश्व पर पड़ रहा है। दुनिया भर के लगभग 190 देश इसकी चपेट में आ चुके है तथा अर्थव्यवस्था बुरी तरह जूझ रही है, हम धीरे एक वैश्विक मंदी कि तरफ बढ़ रहे है। इस वायरस की वजह से कितने देशों में लॉकडॉउन और कर्फ़्यू की स्थिति आ गई है। उद्योग जगत, सामाजिक आर्थिक क्षेत्र  के साथ एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र इस वायरस से बुरी तरह प्रभावित हो रहा है वो है उच्च शिक्षा का। भारत जैसे बड़ी एवं घनी आबादी वाले देश में फिर भी स्थित सकारात्मक है और भारत के प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी ने इस महामारी से देश को बचाने के लिए अनेकों ठोस कदम उठाए हैं।

 

 

प्राथमिक हो माध्यमिक या उच्च शिक्षा, छात्रों का पठन पाठन बुरी तरह से प्रभावित है। कुछ बड़े संस्थान जैसे आईआईटी, आईआईएम, एमिटी यूनिवर्सिटी एवम् अन्य  ने ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली का इस्तेमाल कर अपने छात्रों को सहयोग करने की पूरी कोशिश की है परन्तु ऐसे संस्थान गिनती भर के ही हैं । हमारी एमिटी यूनिवर्सिटी में सभी प्रोफेसर प्रतिदिन ऑनलाइन ऐप्स के माध्यम से अपने सभी छात्रों से बात करते हैं उनका मार्गदर्शन करते हैं।

 

 

ऑनलाइन ही छात्रों को नोट्स, असाइनमेंट आदि उपलब्ध कराया जा रहा है साथ ही साथ उनके अभिवावकों से भी बात की जा रही है जिस से छात्रों को किसी प्रकार की कोई असुविधा ना हो। कुछ अन्य सरकारी यूनिवर्सिटीज ने भी ऑनलाइन पढ़ाई के लिए जरूरी इंतजाम किए हैं।फिर भी  छोटे शहरों में स्थित संस्थानों का बुरा हाल है। भारत जैसे युवा देश जिसमें छात्रों की संख्या इतनी अधिक हो यह स्थिति चिंता जनक हैं। उच्च शिक्षा पर इसके प्रभाव को लगभग हर हिस्से में देखा जा सकता है।

 

 

 

भारत सरकार एवम् सभी राज्यो की सरकारों ने भी इस दिशा में कई कदम उठाए हैं, छात्रों को विभिन्न ऑनलाइन माध्यमों से ई कंटेंट मुहैया कराए जा रहे हैं, यूजीसी एवम् अन्य क्षेत्रीय बोर्ड कई सारे ऐप्स और वेबसाइट पर कोर्स से संबंधित नोट्स और अन्य मटेरियल मुफ्त में दे रहे है जिसका बहुत लाभ हो रहा है। ऐसे छात्र जो उच्च शिक्षा के लिए नए कोर्स में प्रवेश चाहते है, जब तक उनका पुराना परिणाम घोषित नहीं होता एवम् लाकडाउन समाप्त नहीं होता उनकी प्रवेश परीक्षाएं एवम् नामांकन वर्तमान प्रणाली में संभव नहीं है और इस वजह से प्रवेशार्थी एवम् उनके परिवारजन मानसिक तनाव की स्थिति में आ गए हैं।

 

 

 

हालांकि यूजीसी, एआईसीटीई, सीबीएसई इत्यादि सरकारी एजेंसियां इस विषय को लेकर चिंतित हैं और जरूरी दिशा निर्देश दिए जा रहे है। हमे पूर्ण विश्वास है कि हमारी सरकार ऐसे सभी छात्रों के भविष्य के लिए बराबर चिंतित है और यूजीसी आदि के द्वारा इसका रोड मैप बनाया जा रहा है। हमने एमिटी में अनेक ऐसे कदम उठाए हैं जिस से कोविड  का असर प्रवेश प्रक्रिया पर ना पड़े, हम सभी अभ्यर्थियों के सीधे संपर्क में हैं एवम् उनका जरूरी मार्गदर्शन कर रहे हैं। । दूसरे संस्थानों को भी प्रवेश परीक्षाओं की देरी की स्थिति में दूसरे विकल्पों जैसे ऑनलाइन परीक्षा आदि के बारे में सोचना चाहिए ।

 

 

 

जो छात्र अभी उच्च शिक्षा के विशेषकर तकनीकी एवम् व्यवसायिक शिक्षा के अंतिम वर्ष में है उनका प्लेसमेंट अमूमन इसी समय में होता था वो अधर में जाता दिख रहा है क्यों कि लॉकडाउन की वजह से संस्थान एवम् कंपनी दोनों ही बंद हैं। कमोबेश यही स्थिति इंटर्नशिप प्रोग्राम को लेकर भी है। हालांकि कुछ आईआईटी, आईआईएम एवम् एमिटी जैसे बड़े संस्थानों ने अपने छात्रों के लिए खुद ही इंटर्नशिप की व्यवस्था की है अपितु बड़ी संख्या में छात्र इस स्थिति से भी परेशान है। छात्रों की इंटर्नशिप के लिए भी कई कंपनियां आगे आ रही है फिर भी जरूरत है बड़े पैमाने पर संस्थाओं को आगे आने की जिस से छात्र एक तो अपना कोर्स पूरा करेंगे साथ ही इस मुश्किल समय में  प्रैक्टिकल एक्सपोजर से आत्मविश्वास के साथ सैक्षणिक गतिविधियों में खुद को व्यस्त रखेंगे।

 

 

 

एक और महत्वपूर्ण विषय है कि जो छात्र पहले खुल कर रहते थे, विभिन्न गतिविधियों जैसे खेल आदि मनोरंजन में अपने सहपाठियों के साथ खुलकर भाग लेते थे, आज वो छात्र अपने घरों में कैद है, सामाजिक दूरी बना रहे हैं। ऐसे में अगर ये लॉक डाउन और बढ़ा तो ये छात्र मानसिक तनाव में आ सकते हैं, वहीं टीवी  लैपटॉप, मोबाइल का अधिक उपयोग भी उनकी मानसिक स्थिति पर बुरा प्रभाव डाल रहा है। मानसिक अवसाद की ऐसी अवस्था से छात्रों  को बचाने के लिए मनोवैज्ञानिकों को आगे आना चाहिए एवम् उनका मार्गदर्शन करना चाहिए। मै अपने अनुभव से ये जरूर कहना चाहूंगा कि अगर हम इन्हें सकारात्मक कार्यों जैसे ऑनलाइन ट्रेनिंग, इंटर्नशिप आदि में व्यस्त रखे तो इन्हे अधिक लाभ होगा।

 

 

 

आज आवश्यकता है सरकार, संस्थान, समाज, इंडस्ट्री लीडर्स एवम् स्वयं छात्रों को मिल जुल कर सभी छात्रों  की समस्याओं को दूर करने के लिए एकजुट होकर प्रयास करना होगा, परीक्षाओं का विकल्प तलाशने होंगे, ऑनलाइन प्रोजेक्ट्स, असाइनमेंट्स अच्छे विकल्प साबित हो सकते हैं, इंडस्ट्रीज को आगे आना चाहिए एवम् छात्रों को प्लेसमेंट, प्रोजेक्ट्स इंटर्नशिप आदि देकर उन्हें तनाव से बाहर ला सकते हैं। अभिवावकों की भी जिम्मेदारी है कि वो इस मुश्किल वक्त में अपने बच्चो का मनोबल बढ़ाते उन्हें सकारात्मकता के लिए प्रेरित करे।।

 

 

 

प्रोफेसर (डॉ) गुरिंदर सिंह
ग्रुप वाइस चांसलर, एमिटी एजुकेशन ग्रुप

 

 

 

 

नोट : यह लेखक के निजी ​विचार हैं, इसके लिए स्वयं उत्तरदायी हैं।

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