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सुशांत की मृत्यु पर हर तरफ चर्चा है। कोई कहता है ये आत्महत्या नहीं हत्या है। कोई कहता वो तनाव मे था। कोई कहता चान्द पर जमीन खरीदना भी उसे खुशी न दे सका।उसकी प्रेमिकाओं पर उंगली उठ रही हैं। बाॅलीवुड के नेपोटिजम पर बहस छिड़ी है। पर कोई यह नही कहता की सुशांत बीमार था उसे ईलाज की जरूरत थी।
जी वह मानसिक रूप से बीमार था उसे दवा और सही देखभाल चाहिए थी। न न वो पागल नही था। ज्यादातर हम यही नाम तो दे देते हैं मानसिक रोगी को। पर वो लोग अधिक होशि यार होते हैं अन्य लोगों से।वह अधिक सोचते हैं अन्य लो गों के बारे मे। सोच सोच कर अपना स्वास्थ्य खाराब कर लेते हैं और हम समझदार लोग समझ ही नहीं पाते इनकी बीमारी को।
जी हाँ मानसिक बीमारी भी अन्य बीमारी जैसे एक बीमारी है।इसके लिए भी दवा और देखभाल की जरूरत होती है। वह व्यक्ति तो कई बार समझाने की कोशिश करता है पर हम ही उसे कह देते हैं छोड़ पागल बे कार की बात। वह सही कहता है।हमे उसकी बातों पर ध्यान देना चाहिए।हम लोग मानसिक बीमारी को एक बीमारी और एक बीमारी जैसे सही समय पर ईलाज कराऐ।
डिस्क्लेमर : उपरोक्त विचारों के लिए लेखक स्वयं उत्तरदायी हैं। जागरण जंक्शन किसी भी दावे या आंकड़ों की पुष्टि नहीं करता है।
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