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अर्थ

अंतर्नाद
अंतर्नाद
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समझ सकती हूँ ,

तुम्हारी हर एक बात का अर्थ |

तुम जी कह कर मुसकाते हो ,

शायद ये समझ नहीं पाते

मैं चुप रह कर ,

अनबुझ बन कर ,

पढ़ सकती हूँ ,

तुम्हारी हर एक बात का अर्थ |

मन तुम खुद में दर्शन हो

बहुत बड़े दार्शनिक ,

पर मैं तेरा अद्वैतवाद ,

चट्टानों शिलाओं पर

लिख सकती हूँ ,

तुम्हारी हर एक बात का अर्थ |

मुझको तुम समझ नहीं पाए,

पर मैंने शनै शनै समझ लिया है ,

आत्मा को तुम्हारी ,

और अब तुम ,

तुम्हारी दर्शन भरी बातें ग्रहण कर

मैं जी सकती हूँ

फिर एक नया अर्थ |

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