अभी तो प्रगाश ने ,
अपनी तन्द्रा तोड़ी ही थी ,
निद्रा की चादर से
रिश्तेदारी छोड़ी ही थी ,
अल्ला हू
अल्ला हू
की अजान
लबों से जोड़ी ही थी ………….
१२ में जन्में प्रगाश का प्रकाश
१३ में अन्धकार में
कैसी है ये नियति
कैसा है ये फैसला
रिवाजों का
रीतियों का
या फिर
रूढ़ियों का,
जिन्होंने हमेशा भेद किया है
स्त्री और पुरुष में ,
आज फिर दिखाई दिया है ,
भेद …….
जिसने प्रगाश की तीनो बालाओं की
कर दी है भ्रूण हत्या
पहली करवट के साथ ही |
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