स्वप्न मेरे ...
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एक टुकड़ा धूप का ले आऊंगा
जब कभी सूरज से मैं टकराऊंगा
“सत्य” सच है जान कर जाना नहीं
दूसरों को किस कदर समझाऊंगा
जब खुला आकाश देखूंगा कभी
पंख अपने खोल कर उड़ जाऊँगा
प्लास्टिक के फूल का जुमला सुनो
“,मैं प्रदूषण से नहीं मुरझाऊंगा”
दूर थे फिर वोट नेता ने कहा
राग दीपक वक़्त पर ही गाऊंगा
कहकहे भी ऐश भी थी मुफ्त में
जेब में मैं कहकहे भर लाऊंगा
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