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फिर एक पेड़ को कटते देखा

kavita~Kala
kavita~Kala
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फिर एक पेड़ को कटते देखा
लौह खम्भ को गड़ते देखा
नूतनता से चिर के पञ्जर
लड़ते-लड़ते गिरते देखा

फिर एक पेड़ को कटते देखा

बचपन जिनकी ऊँगली पकडे
गिरते-गिरते चलना सीखा
सनम-कमाई के फेरों में
बाप-पूत में बँटते देखा

फिर एक पेड़ को कटते देखा

रेल के ऊपर से बस दौड़ी
पुल के नीचे छुक-छुक रेल
घोड़े-टट्टु गए तबेले
मोटर ऊँट को चढ़ते देखा

फिर एक पेड़ को कटते देखा

‘स्वव्यस्त’

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