Menu
blogid : 8865 postid : 24

टीम अन्ना भी तो करे आत्ममंथन

SYED ASIFIMAM KAKVI
SYED ASIFIMAM KAKVI
  • 91 Posts
  • 43 Comments

यूपी समेत देश के पांच राज्यों में चुनाव प्रक्रिया खत्म हो गई है। इस चुनाव मे कौन जीता-कौन हारा ये बात भी सामने आ गई है। लेकिन चुनाव के नतीजों से कई सवाल खड़े हो गए हैं। बड़ा सवाल ये कि टीम अन्ना की जनता में कितनी विश्वसनीयता बची है। अगर रिजल्ट के हिसाब से देखें तो मुझे लगता है कि ये अन्ना गैंग जबर्दस्ती का भौकाल क्रिएट किए हुए है, जनता में अब इसकी पूछ नहीं है। आप पूछ सकते हैं कि ऐसा क्यों? मैं बताता हूं कि ये बात मैं किस आधार पर कह रहा हूं :-
अन्ना के जनलोकपाल बिल का अगर कोई राजनीतिक दल खुलकर विरोध कर रहा था, तो वह थी मुलायम सिंह यादव की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी। सपा मुखिया ने साफ कहा था कि वो अन्ना के जनलोकपाल बिल से कतई सहमत नहीं हैं क्योंकि ये जनलोकपाल बिल देश के संघीय ढांचे को खत्म करने वाला तो है ही साथ ही राज्य सरकार के समानांतर एक और ताकतवर संस्था को खड़ा कर राज्य के सामान्य कामकाज में अड़ंगा डालने वाला भी है। अन्ना के जनलोकपाल का खुला विरोध करने के बावजूद समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में ऐतिहासिक सफलता हासिल की। यूपी में कई साल बाद ऐसा हुआ है कि किसी एक पार्टी को इतनी बड़ी संख्या में विधानसभा में सीटें मिली हैं।
हैरान करने वाली बात ये है कि मुलायम सिंह यादव ने जनलोकपाल बिल का विरोध किया तो उन्हें जनता ने ऐतिहासिक जीत दर्ज कराई और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूरी ने जनलोकपाल बिल का समर्थन किया और जैसा जनलोकपाल बिल अन्ना टीम चाहती थी, वैसा ही बिल उन्होंने विधानसभा में पास करा दिया पर नतीजा क्या हुआ? बीजेपी तो सत्ता से बाहर हुई ही, बेचारे खंडूरी खुद भी चुनाव हार गए। कम ही ऐसा होता है जब कोई मुख्यमंत्री चुनाव हारता हो। आपको याद होगा कि उत्तराखंड के लोकपाल बिल का टीम अन्ना बहुत समर्थन कर रही थी, वो दूसरे राज्यों के साथ ही केंद्र सरकार को भी नसीहत दे रही थी कि अगर जनलोकपाल बिल पास करना है तो उत्तराखंड राज्य के मॉडल पर पास किया जाए। अब प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री नासमझ हैं, जो उत्तराखंड मॉडल पर बिल पास कराएं और चुनाव में सत्ता से हाथ धो बैठें।
चलिए साहब चुनाव में हार के लिए कांग्रेस में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और खुद दिग्विजय सिंह ने अपनी जिम्मेदारी स्वीकार कर ली। उन्होंने कहा कि पार्टी इन चुनाव परिणामों का मंथन करेगी और जरूरी बदलाव किया जाएगा। बीजेपी ने भी साफ कर दिया कि हां यूपी में जो नतीजे आए हैं, उससे उन्हें धक्का लगा है, पार्टी आत्ममंथन करेगी। लेकिन पंजाब, गोवा में पार्टी का प्रदर्शन बेहतर रहा है और उत्तराखंड में भी उतना खराब प्रदर्शन नहीं रहा है। सभी राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी समीक्षा कर ली, सभी ने अपनी गलती स्वीकार ली और आत्ममंथन की बात कर दी।
सवाल ये उठता है कि टीम अन्ना खासतौर पर अरविंद केजरीवाल कब आत्ममंथन करेंगे ? क्या आपको अभी भी लगता है कि जनता आपको सुनती है, आप जो चाहोगे वही होगा। उत्तर प्रदेश में जिले-जिले घूमते फिर रहे थे, लोगों को यही समझा रहे थे, कि जनलोकपाल का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों से दूर रहें, उन्हें वोट ना दें। आपने किसी राजनीतिक दल का नाम भले ना लिया हो, लेकिन इशारा तो समाजवादी पार्टी की ओर ही था ना। लेकिन हुआ क्या, जनता ने तो सपा को ऐतिहासिक जीत दर्ज कराई। उत्तराखंड का मॉडल आप देश में स्वीकार करने की बात कर रहे थे, वहां सरकार भी गई और बेचारे मुख्यमंत्री खंडूरी खुद भी चुनाव हार गए। मेरा सवाल है कि क्या टीम अन्ना भी आत्ममंथन करने को तैयार है? मुझे तो कई बार लगता है कि वो जनलोकपाल बिल की आड़ में कुछ बड़ा खेल खेल रही है। बेअंदाज इतनी हो गई है कि एक नेता के चुनावी दौरे का हिसाब मांग रही है। अब सोचिए कि पूरी अन्ना टीम लगातार हवा में उड़ रही है, टीम के किसी भी सदस्य का पैर जमीन पर नहीं है, कहीं भी जाने के लिए हवाई यात्राएं की जा रही हैं, अरे तुम भी किसी को हिसाब दोगे। आखिर भाई आपके पास इतना पैसा कहां से आ रहा है। कहा तो यही जा रहा है कि कुछ बाहरी संगठनों से टीम अन्ना को फंडिंग हो रही है, इस मामले में सब कुछ साफ होना ही चाहिए।
और हां, अब तो केजरीवाल की हकीकत भी सामने आ गई है। दूसरों को नसीहत देने वाले का असली चेहरा क्या है , ये देश ने देख लिया। उत्तर प्रदेश में चुनाव के दौरान सभा की अनुमति मांगी गई मतदाता जागरूकता के नाम पर। यानि टीम अन्ना लोगों को मतदान के महत्व के बारे में जानकारी देगी। मसलन आपका एक वोट कितना कीमती है। लेकिन खुद भूल गए कि वो भी इसी देश के नागरिक हैं और वोट देना उनका भी अधिकार है। मतदाता सूची में आपका नाम शामिल है या नहीं ये चेक करना भी खुद मतदाता की जिम्मेदारी है। केजरीवाल इतने गंभीर हैं कि मतदाता सूची में नाम है या नहीं ये जानने की भी उन्हें फुर्सत नहीं, फिर वोट वाले दिन बिना वोट डाले ही गोवा जाने के लिए एयरपोर्ट रवाना हो गए। टीम अन्ना के तो हर सदस्य का असली चेहरा सामने आ चुका है, लिहाजा अब बात सीधे अन्ना से करना चाहूंगा। अन्ना आप अगले आंदोलन के पहले अपना घर जरूर ठीक कर लें।अन्ना हजारे द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाया जा रहा आंदोलन अच्छा है पर व्यावहारिक नहीं. यही वजह है कि मैं अपने आप को अन्ना की टीम से अलग कर लिया.अन्ना भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन चला रहे हैं, यह अच्छी बात है. उनके आंदोलन को देशवासियों व मीडिया के लोगों ने भी भरपूर समर्थन किया है, पर आंदोलन का तरीका लोकतांत्रिक होना चाहिए अव्यावहारिक नहीं.
अन्ना टीम के सदस्य लोकतांत्रिक मूल्यों की बात तो करते हैं पर व्यवहार में उनका क्रियाकलाप नहीं झलक रहा. हजारे ऊपरी स्तर पर आयी भ्रष्टाचार के खिलाफ ही सिर्फ मुहिम चला रहे हैं.
मैं चाहता था कि आंदोलन निचली स्तर से चलाया जाये ताकि आंदोलन से गरीबों को उनका वाजिब हक मिल सके.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply