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Syed Asifimam Kakvi
12/02/2012
एस आई टी रिपोर्ट में मोदी को क्लीन चिट दी गयी है या नहीं दी गयी , यह भविष्य के गर्भ में है और तयशुदा समय पर ही इसका खुलासा हो सकेगा | मोदी फसेंगे या बचेंगे की भविष्यवाणी करके मैं भविष्य के साथ कोई गर्भपात नहीं करना चाहता , लेकिन ये ज़रूर है कि आज उस रिपोर्ट को आधार बनाकर हम ये ज़रूर तय कर सकते हैं कि हवा का रुख कैसा हो सकता है ? और क्या मीडिया में फैली खबरों का कोई आधार है या फिर ये कोई प्रायोजित कार्यक्रम है जो जनमानस के दिमाग में मोदी की छवि की धुलाई करने का एक और प्रयास है ?
जब गुजरात में धार्मिक उन्माद फैला तो उस समय नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे यह एक कटु सत्य है जिससे खुद मोदी भी इंकार नहीं कर सकते और दूसरा कटु सत्य यह भी है कि मोदी सरकार दंगे रोकने में इस कदर विफल रही कि दंगो की आग में पूरा प्रदेश झुलस गया | इन दोनो कटु सत्यो के बीच एक चीज़ यथावत है वह है राज्य के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी | दंगा किसने करवाया , दंगो को भड़काने में किस की भूमिका थी ये दो अलग प्रश्न हैं जिनकी जाँच हो चुकी है लेकिन दंगे रोकने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाये यह सबसे अहम् प्रश्न है और इसी पर एस आई टी की जांच का सारा दारोमदार होना चाहिए |
दिल्ली से छपने वाले एक समाचार पत्र में राजू रामचंद्रन की रिपोर्ट का पूरा आंकलन किया गया है , राजू रामचंद्रन ने यह रिपोर्ट मई २०११ में कोर्ट के समक्ष पेश की थी | इस रिपोर्ट में रामचंद्रन ने मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को आरोपी बनाने और उनके ऊपर 153A, 153B, 166 के तहत 2002 के गुजरात दंगों में भूमिका के लिए आपराधिक मुकदमा चलाने की सिफारिश की थी |
एस आई टी की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी यह ही कि वह गुजरात दंगो को भड़काने वाले हर उस व्यक्ति को बेनकाब करे जो उसमे शामिल था, यहाँ सवाल सिर्फ दंगइयो का नहीं जिन्होंने लोगो को काटा, मारा या बलात्कार करके घरो को आगा लगा दी बल्कि यह जान लेना भी बेहद ज़रूरी है कि उस समय किस नेता ने या व्यक्ति विशेष ने दंगइयो को दंगा करने के लिए उकसाया | जा पूरा गुजरात दंगे की चपेट में आचुका था तो किस आधार पर प्रवीन तौगाडिया और आचार्य धर्मेन्द्र को शहर के बीचो बीच सभाएं करने की अनुमति दी गयी ? और इन धार्मिक नेताओ ने अपनी सभाओ में क्या कहा जिस से जहाँ जहाँ ये सभाएं हुईं वही वहीँ ज्यादा कत्लेआम हुआ |
गुजरात दंगो से जुड़े और भी कई पहलु हैं , उस समय राज्य के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दंगो को रोकने के लिए कौन से कदम उठाये तो कारगर सिद्ध नहीं हुए , यदि कारगर सिद्ध होते तो गुजरात के दंगे इतना विकराल रूप धारण नहीं करते | यही यह भी एक कटु सत्य है कि गुजरात के मुख्यमंत्री दंगे रोकने में नाकाम रहे | यदि ये तीनो चीज़े (१- सन २००२ में नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे , २- उनके शासनकाल में गुजरात में धार्मिक उन्माद पैदा हुआ , सम्प्रदैक दंगे हुए और कई हज़ार लोग मारे गए , ३- नरेन्द्र मोदी दंगे रोकपाने में विफल रहे ) सही हैं तो मीडिया किस आधार पर यह खबर फैला रहा है कि एस आई टी रिपोर्ट में नरेंद्र मोदी को यह कह कर क्लीन चिट दे दी गयी है कि उनके खिलाफ कोई साबुत नहीं मिले हैं |
नरेन्द्र मोदी खुद दंगा करने नहीं गए लेकिन वे राज्य के मुख्यमंत्री थे , सारी ज़िम्मेदारी उन्ही के इर्द गिर्द घुमती है | इसीलिए मैं किसी भी तरह से मीडिया में आई रिपोर्टो से सहमत नहीं हूँ और जल्दी ही ये सच सबके सामने आजायेगा | मेरे आंकलन से पुरे प्रकरण में ऐसा कोई आधार ही नहीं है कि नरेन्द्र मोदी को क्लीन चिट दी जा सके |
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