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मुस्लिम मतदाता खामोश हैं

SYED ASIFIMAM KAKVI
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SYED ASIFIMAM KAKVI
10/04/2012
सीलिंग और तोड़फोड़ के बवाल के बीच हुए पिछले दिल्ली नगर निगम के चुनाव में कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने वाली भाजपा को सबसे ज्यादा सीटें उत्तरी दिल्ली में हासिल हुई थीं। दिल्ली नगर निगम की 272 सीटों को बंटवारे के बाद अलग-अलग निगमों के हिसाब से देखें तो उत्तरी व दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में 104-104 सीटें हैं जबकि पूर्वी दिल्ली में 64 सीटें हैं।पिछले चुनाव में भाजपा को मिली सीटों को लें, तो उसे उत्तरी दिल्ली में 69 सीटें मिली थीं जबकि दक्षिण दिल्ली में उसने 60 सीटें जीती थीं। पूर्वी दिल्ली में मौजूद 64 में से 40 सीटों पर उसके प्रत्याशी विजयी रहे थे। दिल्ली नगर निगम की वर्तमान स्थिति के मुताबिक भाजपा के पास कुल 169 सीटें थीं, तो कांग्रेस को 67 सीटें मिलीं थीं और 11 सीटों पर स्वतंत्र उम्मीदवारों ने विजय हासिल की थी। बसपा ने 17 सीटें जीतीं,
नगर निगम चुनाव को लेकर मुस्लिम मतदाता अभी चुप हैं। हालांकि मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में मतदाताओं को रिझाने में प्रत्याशी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। कांग्रेस ने इस बार 272 में से 23 और भाजपा ने छह मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इसके अलावा सपा, एनसीपी, बसपा ने भी मुस्लिम प्रत्याशियों पर दांव खेला है। मतदान में अभी एक हफ्ता बाकी है। मुस्लिम क्षेत्रों में उम्मीदवार छोटी-छोटी टोलियों में घूम-घूम कर मतदाताओं से सीधा संवाद कर रहे हैं। जामा मस्जिद वार्ड में भाजपा समेत कुल तीन मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। तुर्कमान गेट वार्ड में कुल सात प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं। इनमें भाजपा समेत छह मुस्लिम हैं। कसाबपुरा वार्ड से कुल चार उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, इनमें तीन मुस्लिम प्रत्याशी है। यहां कांग्रेस और भाजपा ने मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव लगाया है। मिंटो रोड वार्ड में चार प्रत्याशी चुनावी दंगल में हैं।
इनमें दो मुस्लिम हैं और इसमें भी एक भाजपा का प्रत्याशी है। यहां से कांग्रेस ने गैर मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। बल्लीमारान वार्ड में कुल छह उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, इनमें सिर्फ भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी ही मुस्लिम हैं। जाकिर नगर वार्ड में कुल नौ उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। इनमें आठ मुस्लिम है। यहां मुस्लिमों की तादाद को देखकर भाजपा भी मुस्लिम प्रत्याशी को ही चुनाव लड़ा रही है। वार्ड चौहान बांकर में छह उम्मीदवार आमने-सामने हैं। सभी प्रत्याशी मुस्लिम हैं। कांग्रेस-भाजपा ने भी मुस्लिम उम्मीदवार पर ही दांव खेला है। ओखला वार्ड से सबसे ज्यादा एक दर्जन प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। यहां कांग्रेस ने मुस्लिम को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि भाजपा ने गैर मुस्लिम को खड़ा किया है। मुस्तफाबाद वार्ड में तीन उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, इनमें दो प्रत्याशी मुस्लिम हैं, जिनमें एक कांग्रेस का है। यहां भाजपा ने गैर मुस्लिम को उम्मीदवार बनाया है। जनता कॉलोनी वार्ड से तीन उम्मीदवार है, इनमें सिर्फ कांग्रेस का ही प्रत्याशी मुस्लिम है। मुस्लिम बहुल वार्डो में अभी तस्वीर साफ नहीं है। यहां मतदाता अभी खुलकर किसी का समर्थन नहीं कर रहे हैं। मुस्लिम राजनीति पर नजर रखने वाले की राय है कि मुस्लिम मतदाताओं का रुझान मतदान से ऐन पहले पता लगने की उम्मीद है।आज़ादी के बाद से हिंदुस्तान के सफ़र को देखता हूँ तो पाता हूँ कि जहाँ अल्पसंख्यक आज से 63 बरस पहले खड़े थे, आज भी कमोवेश वहीं पर हैं. उसी ग़ैर-बराबरी और ग़ैर-अमनी के माहौल में आज के हिंदुस्तान का अल्पसंख्यक युवा भी साँस ले रहा है. विभाजन के समय से ही हिन्दुस्तानी मुसलमान तरह तरह की परिशानियों में फंसा हुआ है. कुछ लोग यह समझते रहे हैं कि मुल्क को बाँटने में मुसलमानों का बड़ा हाथ रहा है. हमेशा मुसलमानों को शक की निगाह से देखा जाता रहा है.हुक़ूमतों की ओर से भी मुसलमानों की उपेक्षा ही होती रही है. ज़बानी बयानों और कोरे सब्ज़-बागों के सहारे अल्पसंख्यकों को वोटों की राजनीति के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा.आज भी तक़रीबन वही हाल है. हालांकि हर तबके का आम आदमी भी अब इस बात को समझ रहा है कि अल्पसंख्यकों की उपेक्षा हुई है लेकिन किसी न किसी वजह से लोग खुल कर बोलने को तैयार नहीं है. मुसलमानों को जो राहतें भी थोड़ी बहुत मिली वो भी क़ानूनी पचड़ों में पड़कर कागज़ी ही होकर रह गई हैं. दरअसल, मुल्क में मुसलमानों की इतनी ख़राब स्थिति पैदा ही न होती अगर इन्हें मुसलमान की हैसियत से देखने के बजाय एक हिंदुस्तानी की हैसियत से देखा गया होता.अब मुसलमानों ने भी सोच लिया है कि जो क्षेत्र का विकास करेगा, उनके आर्थिक और शैक्षिक विकास पर ध्यान देगा,यूपी की बसपा सरकार से मुसलमान इसलिए नाराज था क्योंकि केंद्र की अल्पसंख्यक योजनाओं का बजट बसपा ने अपने पास दबाकर रख लिया। अब मुसलमानों के पास कोई विकल्प नहीं बचा और सपा की ओर झुकाव हो गया।आरक्षण नहीं, भागीदारी चाहिये राजनीतिक पार्टियां जान गयी हैं कि मुसलमानों के बिना काम चलने वाला नहीं है। अब मुसलमानों को आरक्षण की भीख नहीं सत्ता में भागीदारी चाहिये। मुस्लिमों के आर्थिक, शैक्षिक उत्थान के बारे मे सोचने वाली पार्टियां ही राज करेंगी।
मुसलमानों को अब समझ में आ गया है कि सभी राजनीतिक पार्टियां एक जैसी है। मुस्लिम क्षेत्रों की जो दुर्दशा 20 साल पहले थी, वही अब भी है। ऐसे में अब मुसलमान उसी को समर्थन देगा जो विकास करेगा।
मुस्लिम वोटों के लिए मचे घमासान के बीच आलराबता एजुकेशन वेलफेर ट्रस्ट के प्रवक्ता सैयद ATAUR REHMAN NADVI ने कहा दिल्ली नगर निगम के चुनाव में चुनावो के लिए तीनों पार्टियों के नेताओं समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी ने हमसे संपर्क किया है, लेकिन हमने उनके सामने अपनी कुछ मांगें रखी हैं. इन मांगों पर जो पार्टी अपने संसदीय बोर्ड में प्रस्ताव पारित कर लिखित आश्वासन देगी, हम उसका समर्थन कर सकते हैं. उन्होंने कहा, हमारी पहली मांग है कि हर मुस्लिम बहुल इलाके में आधुनिक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए स्कूल खोले जाएं. दूसरी प्रमुख मांग वक्फ़ की बदहाली को दूर करने की है. इसके अलावा हम सरकारी नौकरियों में मुसलमानों का वाजिब हक चाहते हैं. मुस्लिम आवाम को धर्मनिरपेक्ष और मुसलमानों की भलाई के लिए काम करने वालों को चुनना चाहिए. सत्ता में आने पर मुसलमानों के भले के लिए बेहतर ढंग से काम करने का वादा किया है, यही एक बड़ी विवशता है कि कोई भी राजनैतिक दल मुस्लिम मतों को नज़रंदाज़ नहीं कर सकता |सैयद ATAUR REHMAN NADVI ने कहा, हमने अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन तीनों दलों को दिया है. अभी कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी तरफ़ से जवाब नहीं आया है. जवाब आने पर हम आगे कोई फ़ैसला करेंगे मुस्लिम मतदाताओ का एक एक वोट अहम् माना जा रहा है | राजनैतिक दलों की दूसरी बड़ी फिकर यह भी है कि मुस्लिम और दलित मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने में आलस नहीं दिखाते वही अन्य वर्ग के मतदाता के मतों का प्रतिशत ५० फीसदी से भी कम रहता है | यही एक बड़ी विवशता है कि कोई भी राजनैतिक दल मुस्लिम मतों को नज़रंदाज़ नहीं कर सकता|सभी मुसलमानों को चुनाव में BJ P हरा सकती पार्टी के प्रत्याशियों को विजयी बनाना चाहिए। आलराबता एजुकेशन वेलफेर ट्रस्ट के जेनेरल सेक्रेटरी एस आसिफ़ इमाम कक़वि ने कहा कि हमारे लिए सभी पार्टियाँ एक जैसी हैं , फर्क इतना ही है कि हम कभी बी जे पि को वोट देने के लिए सोच भी नहीं सकते और शेष पार्टियों में से हम किसी को भी वोट दे सकते हैं बाकायदा एक अपील जारी करके कहा मैं मुसलमानों और धर्मनिरपेक्ष सोच रखने वाले लोगों से अपील करता हूं कि वे दिल्ली नगर निगम चुनाव BJP हरा सकती के उम्मीदवारों को जिताएं। ऐसे में मुस्लिम मतदाताओ का एक एक वोट अहम् माना जा रहा है।

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