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यूपी में मुसलमानों का भरोसा जीत रहे हैं मुलायम और राहुल गांधी

SYED ASIFIMAM KAKVI
SYED ASIFIMAM KAKVI
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गया है। अमर सिंह के प्रभाव की वजह से सपा से बाहर हुए आजम खान पार्टी में वापस आ गए हैं। सपा ने कल्याण से हाथ मिलाकर अपनी उंगलियां जलाई थीं, अब उसे भविष्य के लिए सबक मिल गया है।’
मुस्लिम समुदाय कांग्रेस नीत सरकार के कोटा में कोटा के तहत इस खास वर्ग के पिछड़ों के लिए साढ़े चार फीसदी आरक्षण के टोटके से बहुत प्रभावित नहीं नजर आ रहा है। यह कई चुनावी मुद्दों में से एक माना जा रहा है, जिसका समय के साथ परीक्षण होना बाकी है। बटला हाउस मुठभेड़ का मुद्दा खास तौर पर पूर्वी उत्तरप्रदेश में भावनात्मक मुद्दा बन गया है। खान कहते हैं, ‘कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह का इस मसले पर शोर मचाना और तुरंत ही गृह मंत्री पी चिदंबरम की ओर से इसकी काट किए जाने के बाद कांग्रेस की इस मसले पर विश्वसनीयता कठघरे में खड़ी हुई है।’

‘बटला हाउस के मुद्दे पर हमारे साथ धोखा हुआ है। आखिर एक जांच क्यों नहीं हो सकती है। जो भी दोषी हो सजा पाए। फिर हम उनकी बात क्यों मानें।’ मुलायम सिंह पर पूरा भरोसा है। पिछली बार की गलती इस बार नहीं होगी। पिछले लोकसभा चुनाव में मुस्लिम मतों के बंटवारे को याद करते हुए एस आसिफ़ इमाम कक़वि का कहना है कि सपा के कल्याण सिंह से हाथ मिलाने के खिलाफ गुस्से की वजह से आक्रोशित समुदाय ने उलेमा काउंसिल के तहत अपना उम्मीदवार उतारा। परिणामस्वरूप पहली बार आजमगढ़ इलाके से भाजपा चुनाव जीत गई।
ऐसे में मुस्लिम मतदाताओ का एक एक वोट अहम् माना जा रहा है | राजनैतिक दलों की दूसरी बड़ी फिकर यह भी है कि मुस्लिम और दलित मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने में आलस नहीं दिखाते वही अन्य वर्ग के मतदाता के मतों का प्रतिशत ५० फीसदी से भी कम रहता है | यही एक बड़ी विवशता है कि कोई भी राजनैतिक दल मुस्लिम मतों को नज़रंदाज़ नहीं कर सकता|

आजमगढ़ में अखिलेश यादव का दौरा हुआ तो मुस्लिम समुदाय ने जिस अंदाज में उनका खैरमकदम किया, यह स्पष्ट बानगी था कि मुसलमानों का भरोसा सपा के लिए बहाल हो रहा है। अखिलेश मुलायम सिंह के कार्यकाल में इस इलाके के लिए हुए कामकाज को गिनाते हैं। मुलायम ने कमिश्नरी बनवाई, पीजीआई हास्पिटल दिया, महिला अस्पताल बनवाया और भी बहुत कुछ।
यूपी में आठ फरवरी को विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान होना है और असली लड़ाई बसपा, सपा, कांग्रेस और भाजपा के बीच है। जनता अपना फैसला किसके पक्ष में सुनाती है यह तो वक्त ही बताएगा, पर कांग्रेस जो पिछले 22 वर्षो से यूपी में वनवास काट रही है। उसे उम्मीद है कि इस बार उसका यह वनवास खत्म हो जाएगा। वहीं भाजपा का कहना है कि सत्ता की चाभी उसके पास ही होगी।

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