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हज पर नहीं चाहिए सब्सिडी

SYED ASIFIMAM KAKVI
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Syed Asifimam kakvi
08/04/2012
विदेश मंत्री एस एम कृष्णा की ओर से हज पर सब्सिडी को खत्म करने की योजना का संकेत दिए जाने के बाद देश के प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने कहा है कि सरकार सब्सिडी की व्यवस्था समाप्त कर सकती है, लेकिन उसे हज यात्रियों के लिए सुविधाओं में इजाफा करना चाहिए।आलराबता एजुकेशन वेलफेर ट्रस्ट के जेनेरल सेक्रेटरी एस आसिफ़ इमाम कक़वि ने कहा कि हज पर सब्सिडी की बात लंबे वक्त से की जा रही है और इसका फायदा हज यात्रियों को नहीं मिलता है। इसका फायदा एक एयरलाइंस को मिलता है। ऐसे में सरकार इस कथित सब्सिडी को खत्म कर सकती है।
कक़वि ने कहा कि सब्सिडी की बजाय सरकार को हज यात्रियों के लिए रहने और खाने जैसी सुविधाओं को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। ये जरूरी हैं। सब्सिडी के नाम पर गलतफहमी नहीं फैलाई जानी चाहिए। सब्सिडी के बावजूद भी लोगों को ज्यादा किराया देना पड़े तो फिर इसका क्या फायदा।बजट पत्र के मुताबिक हज यात्रियों के लिए विमान किराए पर लेने के लिए सरकार ने केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय को साल 2010-11 में 870 करोड़ रुपये और 2011-12 में 685 करोड़ रुपये दिए। साल 2012-13 के लिए मंत्रालय को 655 करोड़ रुपये दिए जाने का प्रावधान है।
मुस्लिम संगठनों आलराबता एजुकेशन वेलफेर ट्रस्ट का कहना है कि सब्सिडी के नाम पर हज यात्रियों को जिस दर में विमान का टिकट मिलता है, उससे कहीं कम में कोई भी व्यक्ति सउूदी अरब का सफर कर सकता है। Syed Attaurrahman nadwi ने कहा कि हज के लिए सब्सिडी का कोई मतलब नहीं है। कोई भी मुसलमान आर्थिक रूप से सक्षम होने के बाद ही हज के लिए निकलता है और ऐसे में उसे किराए में रियायत की जरूरत नहीं है। सब्सिडी के बाद एक तरफ का किराया 20 से 22 हजार रुपये पड़ता है, जबकि इसी सफर के लिए दूसरी एयरलाइंस 18 से 19 हजार रुपये लेती हैं। ऐसे में सब्सिडी का क्या फायदा।NADWI ने कहा कि सरकार को हज यात्रियों के लिए सुविधाओं में इजाफा करना चाहिए। अक्सर शिकायतें आती रही हैं कि वहां हज पर गए लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। हमारी मांग है कि लोगों को रहने, खाने और दवाओं से जुड़ी उचित सुविधाएं मिलनी चाहिए। सरकार सब्सिडी के नाम पर धोखा दे रही है। सब्सिडी के नाम पर ज्यादा किराया लिया जाता है और हज यात्रियों को मुश्किलें भी झेलनी पड़ती हैं। हज की पूरी व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के साथ ही इसमें सरकार का दखल कम से कम होना चाहिए।

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