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Syed Asifimam kakvi
09/02/2012
विश्व भर में वेलेंटाइन सप्ताह की शरुआत हो चुकी है। इसके साथ भारत में भी महानगरों और विभिन्न शहरों में इसका प्रभाव शुरू हो चुका है। वैसे भी भारतीयों का विदेशी सभ्यता की नक़ल करने में विश्व में प्रथम स्थान हैं। वेलेंटाइन डे भारत में कुछ जरूरत से अधिक चर्चा का विषय बना हुआ है। इस डे का महत्व और सेंट वेलेंटाइन कौन था, इसके लिए तो शायद ही लोगों को पता होगा। क्या भारतीय आंख मूंदकर पश्चिम देशों की नकल कर रहे हैं? क्या वेलेंटाइन दिवस कुछ हद तक भारतीय संस्कृति के विपरीत हैं?
प्यार का दिन, प्यार के इजहार का दिन। अपने जज्बातों को शब्दों में बयाँ करने के लिए शायद इस दिन का हर धड़कते हुए दिल को बेसब्री से इंतजार होता है। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं, प्यार के परवानों के दिन की, वेलेंटाइन-डे की…। प्यार भरा यह दिन खुशियों का प्रतीक माना जाता है और हर प्यार करने वाले शख्स के लिए अलग ही अहमियत रखता है।
14 फरवरी को मनाया जाने वाला यह दिन विभिन्न देशों में अलग-अलग तरह से और अलग-अलग विश्वास के साथ मनाया जाता है। पश्चिमी देशों में तो इस दिन की रौनक अपने शबाब पर ही होती है, मगर पूर्वी देशों में भी इस दिन को मनाने का अपना-अपना अंदाज होता है।
जहाँ चीन में यह दिन ‘नाइट्स ऑफ सेवेन्स’ प्यार में डूबे दिलों के लिए खास होता है, वहीं जापान व कोरिया में इस पर्व को ‘वाइट डे’ का नाम से जाना जाता है। इतना ही नहीं, इन देशों में इस दिन से लगाए पूरे एक महीने तक यहाँ पर लोग अपने प्यार का इजहार करते हैं और एक-दूसरे को तोहफे व फूल देकर अपनी भावनाओं का इजहार करते हैं।
इस पर्व पर पश्चिमी देशों में पारंपरिक रूप से इस पर्व को मनाने के लिए ‘वेलेंटाइन-डे’ नाम से प्रेम-पत्रों का आदान प्रदान तो किया जाता है ही, साथ में दिल, क्यूपिड, फूलों आदि प्रेम के चिन्हों को उपहार स्वरूप देकर अपनी भावनाओं को भी इजहार किया जाता है। 19वीं सदीं में अमेरिका ने इस दिन पर अधिकारिक तौर पर अवकाश घोषित कर दिया था।
यू.एस ग्रीटिंग कार्ड के अनुमान के अनुसार पूरे विश्व में प्रति वर्ष करीब एक बिलियन वेलेंटाइन्स एक-दूसरे को कार्ड भेजते हैं, जो क्रिसमस के बाद दूसरे स्थान सबसे अधिक कार्ड के विक्रय वाला पर्व माना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि वेलेंटाइन-डे मूल रूप से संत वेलेंटाइन के नाम पर रखा गया है। परंतु सैंट वेलेंटाइन के विषय में ऐतिहासिक तौर पर विभिन्न मत हैं और कुछ भी सटीक जानकारी नहीं है। 1969 में कैथोलिक चर्च ने कुल ग्यारह सेंट वेलेंटाइन के होने की पुष्टि की और 14 फरवरी को उनके सम्मान में पर्व मनाने की घोषणा की। इनमें सबसे महत्वपूर्ण वेलेंटाइन रोम के सेंट वेलेंटाइन माने जाते हैं।
1260 में संकलित कि गई ‘ऑरिया ऑफ जैकोबस डी वॉराजिन’ नामक पुस्तक में सेंट वेलेंटाइन का वर्णन मिलता है। इसके अनुसार शहंशाह क्लॉडियस के शासन में सेंट वेलेंटाइन ने जब ईसाई धर्म को अपनाने से इंकार कर दिया था, तो क्लॉडियस ने उनका सिर कलम करने के आदेश दिए।
कहा जाता है कि सेंट वेलेंटाइन ने अपनी मृत्यु के समय जेलर की नेत्रहीन बेटी जैकोबस को नेत्रदान किया व जेकोबस को एक पत्र लिखा, जिसमें अंत में उन्होंने लिखा था ‘तुम्हारा वेलेंटाइन’। यह दिन था 14 फरवरी, जिसे बाद में इस संत के नाम से मनाया जाने लगा और वेलेंटाइन-डे के बहाने पूरे विश्व में निःस्वार्थ प्रेम का संदेश फैलाया जाता है।
साथ में भारत में वेलेंटाइन डे केवल प्रेमियों के साथ प्यार का इजहार शब्द से जुड़ा हुआ है। प्यार शब्द इस देश में केवल लगता है मोहब्बत से ही है जबकि प्यार की विभिन परिभाषाएँ हैं। इसे केवल प्रेमियों के साथ अधिक क्यों जोड़ रखा हैं?
क्या वेलेंटाइन डे पर जश्न मनाना बंद कर देना चाइए? मेरा मानना हैं यह सही है कि भारतीय संस्कृति इस दिन के महत्व से अलग सोच की हैं परन्तु लोग लोकतंत्रीय देश में रहते हैं न की तानाशाही में रह रहे हैं। इनको यह दिन बनाने का पूरा अधिकार है। राजनितिक दलों को इसमें क्या परेशानी है? नैतिक पुलिस बनना भी कहाँ तक उचित हैं? यह सही है कुछ लोग संकोच, गरिमा और आम भावना खो देते हैं। महिलाओं के लिए सम्मान सहित अन्य लोगों के लिए सम्मान हद से बाहर चला जाता है। ऐसे लोगों की पिटाई करना गलत नहीं होगा। गिफ्ट्स बनाने वाली कंपनियों के लिए तो यह व्यापार हैं। मीडिया को कुछ हद से इसका बढावा देना भी गलत है। वेलेंटाइन डे को समस्या बनाने की जगह निशित सीमा मनाने में कोई गलत कार्य नहीं हैं। फिर भी भारतीयों को इसके लिए अपनी सोच को बदलना होगा।
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