Menu
blogid : 8865 postid : 1366537

बिहार में इन दिनों चमकी बुखार का कहर

SYED ASIFIMAM KAKVI
SYED ASIFIMAM KAKVI
  • 91 Posts
  • 43 Comments

‘आयुष्मान भारत’ लागू होने के बावजूद बच्चे मर रहे हैं “फसल बीमा” के बावजूद किसानों की सुसाइड थम नहीं रही 9.5 करोड़ लोगों को “मुद्रा-लोन” देने के बावजूद बेरोजगारी 45 साल का रेकॉर्ड तोड़ गई खैऱ छोड़िए ये सब कौन बताएगा कौन दिखायेगा? हिंदू मुस्लिम कीजिए, खुश रहिए, स्वास्थ्य रहिए📷 क्या 14 वर्ष से राज कर रहे मुख्यमंत्री की 300 बच्चों की मौत पर कोई जवाबदेही नहीं? कहाँ है ग़रीबों के लिए 5 लाख तक के मुफ़्त इलाज की प्रधानमंत्री की आयुष्मान योजना ? नरेंद्र मोदी ऐतिहासिक जनादेश के साथ एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री बन चुके हैं. एनडीए की सरकार बनने के बाद जीडीपी और बेरोज़गारी के आकड़े जारी किए गए. ये दोनों ही सरकार और जनता को परेशान करने वाले आंकड़े थे.

अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना सरकार के लिए चुनौती है, लेकिन एक और चुनौती जो अभी मोदी सरकार के सामने विशालकाय आकार लिए खड़ी है और वह है देश की चरमरा चुकी स्वास्थ्य व्यवस्था. बिहार में दिमाग़ी बुखार से क़रीब 300 बच्चों की मौत हो चुकी है. दिन ब दिन यह आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. मीडिया रिपोर्टों में मुज़फ़्फ़रपुर की बदहाल व्यवस्था की तस्वीर पेश की जा रही है. वहीं दूसरी तरफ़ अस्पतालों की कमी बिना डॉक्टरों का वॉर्ड,बिना प्रशिक्षण वाला स्टाफ़ और फ़ंड का बड़ा संकट. ऐसी कई और समस्याओं से जूझ रहा भारत का स्वास्थ्य क्षेत्र दशकों से दलदल में धंसता जा रहा है. दुनिया की छठवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद भारत अपनी जीडीपी का महज 1.5 फ़ीसदी ही स्वास्थ्य सेवा पर खर्च करता है, जो दुनिया के सबसे कम खर्च करने वाले देशों में से एक है.परिणाम यह हो रहा है कि लाखो मौते सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओ की कमी के कारण होती है WHO के अनुसार भारत मे 11 हजार लोगो पर 1ङाक्टर उपलब्ध है बल्कि 1000 पर 1ङाक्टर होना चाहिए ।

बिहार में इन दिनों चमकी बुखार का कहर देखा जा रहा है. करीब 300 से ज्यादा मौतें इस बुखार के कारण हो चुकी है. वहीं 16 जून को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने चमकी बुखार पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. हालांकि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच का स्कोर पूछते दिखाई दिए.केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे का प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान झपकी लेने का विवाद थमा नहीं कि बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय एक और विवाद में घिरते नजर आ रहे हैं। बता दें कि बिहार में चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 300 से ज्यादा हो गई है. इस बीच मुजफ्फरपुर सीजेएम कोर्ट में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया है। इस मुकदमे में 24 जून को सुनवाई ोगी। जश्न मनाइए इंडिया की जीत का क्योंकि हमने पाकिस्तान को 89 रनों से हराया है। अब हमारे पास किसी भी ऐसी समस्सया जिसका चिंतन मनन किया जाए है ही नहीं। बाकी बिहार में 300 बच्चों के मरने की खबर Triple सेंचुरी लगा चुकी है इसपर ध्यान बिल्कुल मत दीजिये क्योंकि चुनाव समाप्त हो चुका है। बंगाल में राजनीतिक हत्याओं पे केन्द्र सरकार, गवर्नर और राष्ट्रपति तक मीटिंग कर बैठे क्योंकि वहां पार्टी के कार्यकर्ताओं की बात थी लेकिन बिहार में 300 के करीब बच्चे जान गवां चुके है और सरकारें बेशर्मो की तरह बेख़बर है क्योंकि ये देश के भविष्य है न कि इनके पार्टी के कार्यकर्ता। लगातार मासूम बच्चों की मौत पीड़ा दायक है नीतीश सरकार और केन्द्र सरकार समय रहते क़दम उठाते तो शायद इन मासूमों को बचाया जा सकता था। बिहार में मासूम बच्चे मर रहे हैं लेकिन सरकार अंधी और बहरी बनी बैठी है। ये नेताओं को छींक भी आजाये तो मलेशिया लंदन या न्यू यॉर्क भाग जाते हैं इलाज़ करवाने के लिए। इन्हें खुद पता है कि यहां की स्वास्थ्य सुविधाएं घटिया हैं।

क्या हमने अपना वोट बेहतर “चिकित्सा सेवाओं” के लिए दिया था ? अगर नहीं तो अब रोने से कोई फ़ायदा नहीं। जिसके नाम पर वोट दिया था उसमें कोई कमी रह जाये तब सवाल कीजियेगा। फ़िलहाल मासूम मौतों का तमाशा देखते रहिये. 300 मासूम बच्चों की राजकीय लापरवाही लाचार व्यवस्था और बिहार सरकार के अहंकार के कारण हुई अकाल मौतों के ज़िम्मेदार तो हम और आप ही है। मुद्दों से ज़्यादा तरजीह हमने मीडिया के ज़रिए गढ़ी गयी फ़र्ज़ी मस्क्युलैरिटी वाली छवि को दी। हमें अपने आप से कुछ सवाल तो करने होंगे ? क्या हमने ग़रीब बच्चों को मौत से बचाने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाने के लिए वोट किया? क्या हमने अपने इर्द-गिर्द प्रेम, भाईचारा, विकास, नौकरी और रोज़गार के लिए वोट किया? हमने तो उस राष्ट्रवाद के लिए वोट किया था जिसमें ना तो बच्चों को बीमारी से बचाने का वादा था, ना अच्छे अस्पताल और स्कूल बनाने का दावा था, ना रोज़ी-रोटी और रोज़गार का सवाल था। आपको जैसा राष्ट्र चाहिए था वैसा बनाने की पुरज़ोर कोशिश जारी है। आप अब साढ़े 4 साल इस राष्ट्रनिर्माण में अपना बहुमूल्य योगदान किजीए और बाक़ी चुनाव पूर्व अंतिम 6 महीने में राष्ट्रनिर्माण में जो तेज़ी आयेगी फिर उसका गवाह बनते रहना। उन अंतिम 6 महीनों में पाकिस्तान को भी समाप्त कर देंगे। भाजपा ने बिहार ही नहीं पूरे देश में यह कहकर वोट माँगे कि हर सीट पर मोदी लड़ रहा है अब बिहार में 300 से ज्यादा बच्चो की मौत पर भाजपा कहाँ है? क्या मोदी ने एक शब्द भी बोले? एक ट्वीट भी किया? वे 39 सांसद कहाँ है ? सिस्टम में व्याप्त अराजकता के कारण कई माँ कि गोदे सूनी हो गयी ,कई बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया है । चारो और चीख और चित्कार मचा है और ये सभी वही हैं जो चंद रोज पहले 45 डिग्री तापमान में खड़ा होकर जातिवादी राजनीत पर बड़ा सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए आपको 40 में 39 सीट दिया है । वो क्या मंजर होगा जब फादर्स-डे के मौके पर एक बाप के हाथों में उसके मासुम बच्चे कि लाश होगी। कोई कहता है कि अगस्त के महीने में बच्चे मरते ही हैं, कोई कहता है कि अगस्त के महीने में बच्चे मरते ही हैं,कोई कहता लीची खाने से बच्चे मरते हैं,देशभर के लोग लीची खाते हैं मगर सुसाशन बाबू अपनी नाकामियां पर मौन हैं,न अस्पतालों में पर्याप्त बैड हैं,न दवाइयाँ हैं न एक्सपर्ट डॉक्टर्स हैं।

नीतीश बाबू जी, मृतक नौनिहालों के परिजन को 4-4 लाख देने का इंतज़ार करने की बजाय एक एक बच्चे के इलाज पर इतना खर्च कर दीजिए। इतने सालों के शासन में वहाँ आप स्वास्थ्य सेवा बेहतर नहीं कर पाए हैं तो बीमार बच्चों को एयर एंबुलेंस से दिल्ली या दूसरी जगहों पर भेजने का बंदोबस्त कीजिए।Parliamentary election में भाजपा के लिए अच्छे माहौल बनाने के लिए जब “अंजना ओम मोदी” जी को तीन चार दिन पहले ही Health Minister अश्वनी चौबे जी अवार्ड दे रहे थे तो उस समय भी मुजफ्फरपुर में बच्चे मर रहे थे। जब अंजना जी कल अपना TRP बढ़ाने बिहार आईं तो भी मंत्री जी से कुछ सवाल पूछने के लिए हिम्मत नही जुटा पाई। उल्टे बेचारे डॉ और नर्स से ICU में घुस कर सवाल पूछ रही थी। ऐसे भी इनको नीतीश कुमार जी लाइक करते नही हैं। इसलिए उनसे ये कुछ पूछ भी नही सकती हैं। कम से कम मंत्री चौबे जी एवं मंगल पांडेय जी से तो सवाल करती।100 बेड का ICU क्यों नही है? ICU में AC क्यों नही हैं? डॉ. की बहाली पिछले 14 साल में क्यों नही हुआ? नर्स कम क्यों हैं? मंत्री जी इतना देर क्यों आये? पीएम मोदी जी अभी तक क्यों नही आये? क्या भाजपा को सिर्फ वोट चाहिए? देखिए तमाशा सरकार से सवाल पूछने की हिम्मत नहीं और काम पर लगे डॉक्टर, वार्ड बॉय और नर्सों के मुंह पर कैमरा लगाकर उनका समय बर्बाद किया जा रहा है। अंजना जी पहुंचने में बहुत देर हो चुकी है शायद।

सैय्यद आसिफ इमाम काकवी

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply