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मोहम्मद शमी के संघर्ष की कहानी

SYED ASIFIMAM KAKVI
SYED ASIFIMAM KAKVI
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विश्व कप 2019। तारीख 22 जून 2019। दिन शनिवार। साउथैम्पटन का रोज बाउल मैदान। अफगानिस्तान की पारी का आखिरी ओवर। गेंदबाज थे मोहम्मद शमी। चुनौती एक ओवर में 16 रन। इस लो स्कोरिंग मैच के आखिरी ओवर की दो गेंदों में दो विकेट लेकर यूपी के इस खिलाड़ी ने मैच भारत की ओर झुका दिया। 50वें ओवर की पांचवीं गेंद फेंकने के लिए अपने रनअप मार्क पर खड़े शमी के दिमाग में हैट्रिक भी घूम ही रही होगी। शमी रनअप से उसी ताकत के साथ विकेट की ओर दौड़े जिस ऊर्जा के साथ उन्होंने शुरुआती दो गेंदें फेंकी थी। अंपायर को क्रॉस किया और 142 किमी की रफ्तार से एक जबरदस्त यॉर्कर बल्लेबाज मुजीब उर रहमान के पैरों के बीच में डाल दी।

मुजीब गेंद को खेलने के लिए बैकफूट पर जाते, इससे पहले शमी की यॉर्कर ने विकेट पर जमी गिल्लियों को हवा में लहरा दिया और हवा में उड़ती गिल्लियों की लाइट शमी के हैट्रिक से जगमगा रही थीं। शमी ने विश्व कप 2019 के अपने पहले ही मैच में हैट्रिक लेकर रिकॉर्ड बना दिया।
यह हैट्रिक शमी के उस संघर्ष की कहानी बयां करती है, जिसे उन्होंने पिछले कई अरसों से झेला है। परिवार में बिखराव से लेकर टीम में अंदर-बाहर होने तक के दर्द ने शमी को एक खतरनाक खिलाड़ी के रूप में परिपक्व कर दिया और जब शमी लौटे हैं, तो उन्होंने अपने खेल से पूरे देश को एक बार फिर से इंडिया-इंडिया चिल्लाने का मौका दिया, लेकिन ये सब कुछ इतना आसान नहीं था शमी के लिए।यह किसी से छुपा नहीं है कि शमी ने किन पारिवारिक परेशानियों के बीच भारतीय टीम में वापसी की है। उनके कोच बदरुद्दीन-सिद्दीकी की माने तो शमी के लिए सबसे बड़ी चुनौती मानसिक और शारीरिक रूप दोनों तरीके से फिट होना था। शमी ने जहां शारीरिक रूप से फिट होने के लिए ट्रैक्टर से खेत की मिट्टी को खुदवा कर सुबह और शाम नंगे पैर दौड़ लगाई। वहीं मानसिक रूप से फिट होने में उनके परिवार, पुराने साथियों के अलावा अकादमी ने उनका बखूबी साथ दिया।

पारिवारिक परेशानियों के बीच शमी ने कोलकाता को छोड़ अमरोहा स्थित गांव सहसपुर को ठिकाना बनाया। उनका वजन बढ़ गया था। उन्होंने देसी तरीकों को आजमाया। सुबह डेढ़ से दो घंटे और शाम को एक घंटा 400 और 50-50 मीटर की स्प्रिंट अपने खेत में लगाते थे। फिट होने के लिए उन्होंने बिरयानी और वजन बढ़ाने वाले व्यंजनों की तिलांजलि दे दी।बदरुद्दीन के मुताबिक उन्होंने इस दौरान उस शमी को देखा जब वह शुरुआत में उनके पास आते थे। पहले वह बहुत परेशान थे, लेकिन वह मानसिक रूप से बहुत मजबूत हैं। एक बार वह ठान लें कि उसे कुछ करके दिखाना है तो वह कर डालता है। बीच में उन्होंने यहां आना बंद कर दिया था, लेकिन इस बार जब आए तो बदले हुए थे। जिस तरह वह पहले मैदान पर बच्चों से घुलते-मिलते थे।इस बार भी उनका सहारा बच्चे थे। वह उनके साथ खूब समय बिताते थे। उन्हें लगता था कि शमी इस हादसे से जल्द नहीं उबर पाएंगे पर उसने जबरदस्त वापसी की, शमी ने वापसी करते ही अपनी गेंदबाजी से ऐसा कारनामा किया कि पूरे देश के जुबां पर सिर्फ एक ही नाम है और वो नाम है मोहम्मद शमी।

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