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जहानाबाद भारत के बिहार राज्य में स्थित है। जहानाबाद ऐतिहासिक पृष्टभूमि के नाम से विख्यात है। जहानाबाद ज़िला ऐतिहासिक दृषिकोण से अत्यंत महत्त्व वाला क्षेत्र है। अकबर के शासन काल में अबुल फज़ल द्वारा लिखित प्रसिद्ध पुस्तक ‘आईना—ए-अकबरी’ में जहानाबाद का ज़िक्र किया गया है। यह भौगोलिक, ऐतिहासिक धार्मिक एवं पर्यटन की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है। 17 वीं शताब्दी में औरंगज़ेब के शासनकाल में जहानाबाद में एक भीषण अकाल पड़ा था। प्रतिदिन सैकड़ों लोग भूख के कारण काल का ग्रास बन रहे थे। ऐसी परिस्थिति में मुग़ल बादशाह ने अपनी बहन जहानआरा के नेतृत्व में एक दल अकाल राहत कार्य हेतु भेजा। जहानआरा के स्मृति में इस स्थान का नाम जहानआराबाद जो कालांतर में जहानाबाद के नाम से हुआ। प्राचीनकाल के इतिहास के अनुसार जहानाबाद क्षेत्र मगध का एक छोटा सा हिस्सा था। अगर प्राचीनकाल में जाएं तो बिहार का भू-भाग मगध साम्राज्य नाम से मशहूर था। मगध सबसे शक्तिशाली और संपन्न साम्राज्यों में से एक था। यहीं से मौर्य वंश, गुप्तवंश और अन्य कई राजवंशों ने देश के अधिकांश हिस्सों पर राज किया। उसी आधार पर इस भू-भाग की संस्कृति गौरवशाली कही जाती थी। दो नदियों दरधा और यमुनैया के संगम पर बसा , चंद्रगुप्त मौर्य की कर्मभूमि , मगध का दिल , बिहार की शान , हमारा जहानाबाद। बिहार के छपरा शहर में 411करोड़ की लागत से डबल डेकर फ्लाईओवर बनाने की मंजूरी बिहार कैबिनेट ने दे दी है । वहीं अपने जहानाबाद शहर में सिंगल डेकर फ्लाईओवर तो छोड़ दीजिये, महज एकाध करोड़ की लागत का एक अदद अंडरपास बनाना संभव नही हो रहा है । मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी ने अपनी बिहार के कई योजनाओं की घोषणा की, लेकिन जहानाबाद के विकास को लेकर कोई खास ध्यान नहीं दिया। जहानाबाद त्रस्त रहा है, लेकिन इसके स्थायी समाधान के लिए ने कोई घोषणा नहीं की। बिहारी अस्मिता के नाम पर मगध अस्मिता को दबाया जा रहा है। तकरीबन दस वर्षो से जहानाबाद काको, बंधुगंज, नालंदा, नवादा, एकंगरसराय आदि स्थानों के लिए जाने वाले वाहनों का परिचालन ठप हो जाने के कारण यात्रियों को काफी परेशानी हो रही है। दरधा नदी में एनएच 110 पर पुल समीप दरधा नदी पर बने पुल पिछले 10 वर्षो से टूटा हुआ है काको के इलाके में रहने वाले लोग इस जटिल समस्या से जूझ रहे हैं। इस अवधि में राजधानी पटना में कितने ओवरब्रिज बन गए। तकरीबन दस लाख की आबादी इससे प्रभावित हो रही है। यदि यही समस्या दूसरे जिलों में होती तो बड़ा आंदोलन खड़ा हो जाता। जहानाबाद शहर निजामुद्दीनपुर के समीप दरधा नदी में एनएच 110 पर पुल समीप पुल पिछले 10 वर्षो से टूटा हुआ है। करोड़ों की लागत से वर्ष 2011 में पुल का निर्माण कार्य शुरू किया गया था, लेकिन कार्य की गति इतनी धीमी है कि अबतक पुल के पाइलिंग का काम भी पूरा नहीं हो पाया है. नतीजतन फरवरी 2015 में काम छोड़कर पेटी कॉन्टेक्टर भाग निकला। बाद में कोलकता के निर्माण एजेंसी पर दबाब डाला गया। 2015 वित्तीय वर्ष में पुल निर्माण कार्य पूरा करने का निर्देश निर्माण एजेंसी को दिया गया है। पुल निर्माण के साथ ही आवागमन सुचारु रखने के लिए नदी में डायवर्सन का निर्माण कराया गया था। यह डायवर्सन प्रतिवर्ष नदी में पानी आने के साथ ही बह जाता है। इससे एनएच 110 पर वाहनों का परिचालन बाधित हो जाता है। इस डायवर्सन से होकर जहानाबाद से काको, बंधुगंज, तेलहाड़ा, एकंगरसराय, बिहारशरीफ, राजगीर, मोदनगंज समेत कई स्थानों के लिए वाहनों का परिचालन होता है।जहानाबाद से काको, बंधुगंज, तेलहाड़ा, एकंगरसराय, बिहारशरीफ, मोदनगंज सहित कई जगहों पर जाने वाले लोगों को काफी परेशानी हो रही है. अब लोगों को कई किलोमीटर अधिक दूरी तय कर जिला मुख्यालय आना पड़ रहा है। खासकर रात के समय मरीजों को अस्पताल ले जाने में काफी परेशानी हो रही है। यानी आज़ादी मिलने के बाद 70 साल में इस जहानाबाद के विकास का आर्थिक विकास दूसरे की तरह क्यों नहीं हो पाया? बिहार के अंतिम से तीसरा पिछड़ा जिला है जहानाबाद । विकास की पहली शर्त है- आधारभूत संरचनाओं का होना मूलभूत सुविधाओं के जैसे सड़क, बिजली आदि के बेहतर न होने के कारण ही जहानाबाद में कोई उद्योग नहीं है। कोई उच्चस्तरीय शिक्षण संस्थान नहीं है। ऐसा नहीं है कि यहाँ उद्योग या उच्चस्तरीय संस्थानों को खुलवाने के गंभीर प्रयास न हुए हों । बराबर की तलहटी में राष्ट्रीय स्तर का संस्थान हो, इसके लिए भी प्रयास किए गए। पर हर बार बात आधारभूत सुविधाओं के अभाव के कारण अटक गयी । सिर्फ सामाजिक कार्यों से माहौल बनाने से बाहर और यहाँ के लोग विकासपरक कार्यों में निवेश नहीं करेंगे। और इसके लिए कम से कम सड़क, बिजली और कानूनव्यवस्था का सही होना जरूरी है। अगर प्राचीनकाल में जाएं तो बिहार का भू-भाग मगध साम्राज्य नाम से मशहूर था। मगध सबसे शक्तिशाली और संपन्न साम्राज्यों में से एक था। यहीं से मौर्य वंश, गुप्तवंश और अन्य कई राजवंशों ने देश के अधिकांश हिस्सों पर राज किया। उसी आधार पर इस भू-भाग की संस्कृति गौरवशाली कही जाती थी। आज भी यहां के 3,000 साल पुराने इतिहास की गवाही देते कई प्राचीन स्मारक मौजूद हैं और विश्वभर के पर्यटक इन्हें देखने आते हैं।
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