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मुस्लिम वोट अहम भूमिका निभाएंगे

SYED ASIFIMAM KAKVI
SYED ASIFIMAM KAKVI
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चुनाव में अगली सरकार कौन से राजनीतिक दल की बनेगी, इसमें मुस्लिम वोट अहम भूमिका निभाएंगे। यही वजह है कि कांग्रेस, भाजपा, आम आदमी पार्टी के साथ अन्य राजनीतिक दल मुसलमानों को अपनी तरफ खींचने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन इस बार मुसलमान मतदाता का क्या रुख है, यह कहना मुश्किल है। दिल्ली में कांग्रेस अगर लगातार सत्ता में आ रही है तो उसमें मुस्लिम वोटरों का बड़ा योगदान है लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को रोकने के लिए जो पार्टी अल्पसंख्यक समाज का हित करे, उसका समर्थन करें। प्रधानमंत्री पद के लिए भाजपा नेता नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी एक बड़े वर्ग को उनकी ओर आकर्षित कर रही है, तो मुस्लिम मतदाताओं के भाजपा विरोधी ध्रुवीकरण को भी हवा दे रही है। इसके परिणामस्वरूप मुस्लिम मतदाता उसी उममीदवार को मत देने का मन बना रहे हैं, जो भाजपा-शिवसेना को हराने की स्थिति में हो।मुस्लिम बुद्धिजीवी पूरे देश का मुस्लिम समाज कांग्रेस से निराश है। लेकिन उसके पास दूसरा कोई विकल्प भी नहीं है। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह की मुस्लिम समाज के साथ हुई बैठक का कोई ठोस आश्वासन नहीं दे सके, जिसपर भरोसा करके मुस्लिम भाजपा की ओर मुड़ सकें। न ही भाजपा मुख्तार अब्बास नकवी और शाहनवाज हुसैन के अलावा दूसरा चेहरा सामने ला सकी है। दूसरी ओर नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार्यता भी मुस्लिम समाज में नहीं बन सकी है। यही कारण है कि मुस्लिम समाज नापसंदगी के कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस के मजबूत उममीदवारों के साथ खड़े रहना पसंद करेगा। देश की आजादी में मुसलमानों की भूमिका अहम रही तो वोट के मामले में मुसलमान पीछे क्यों है? मुसलमान अपने वोट की ताकत को पहचाने और सही जगह वोट का इस्तेमाल करें। अगर मुसलमान का वोट बिखरा तो कौम का नुकसान होगा। वोट से सही हुकूमत बनती है। इस चुनाव में हालात बदले हुए हैं और कांग्रेस अकेली ऐसी पार्टी नहीं रह गई है, जिसने मुसलमानों को राजनीति में हिस्सेदार बनाने के लिए कदम उठाए हैं। जहां हम भारतीय जनता पार्टी को सत्ता में नहीं आने देना चाहते, सैक्यूलर पार्टियों की हिमायत की बात भी कही हमारे ख्याल में सिर्फ उन सीटों पर कांग्रेस का समर्थन किया जाये और कांग्रेस को वोट दिया जाए जहां केवल कांग्रेस पार्टी ही भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को हरा सकती है, ये पहला मौका है कि कांग्रेस के अलावा हमारे पास भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के विकल्प के रूप में आम आदमी पार्टी भी है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता, कुछ अन्य सैक्यूलर पार्टिया भी हैं जैसे जनता दल यू, समाजवादी पार्टी, पीस पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, इनमें से जहां जो भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के प्रत्याशी को शकिस्त देकर सफल हो सकता है उसे वोट दिया जाए, हमारे पास जहां पहले कोई मज़बूत सैक्यूलर विकल्प नहीं था, वहां , उत्तर प्रदेश, बिहार, और पश्चिमी बंगाल जैसे राज्यों में जहां मुसलमानों के पास सैक्यूलर विकल्प मौजूद है वहां उन्होंने भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही नजरअंदाज किया है। सियासी ताकत के हवाले से। भारत में मुसलमान लगभग 22 प्रतिशत हैं और यह वोट बहुत मायने रखता है यदि ये वोट एकतरफा किसी को भी प्राप्त हो जाये तो उसकी सरकार बनना तय है 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में ये वोट कांग्रेस को मिला, इसलिए केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी, 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद की शहादत से लेकर गुजरात 2002 तक मुसलमान कांग्रेस से शदीद नाराज रहा, अब वोट देने का समय आ गया है, इसलिए आज ही फैसला करना होगा कि कल हमें वोट किसे देना है,मुसलमान मतदाता यह साबित कर देंगे कि सत्ता में आने के लिए उसके समर्थन का प्राप्त होना कितना जरूरी है, और उसका समर्थन प्राप्त करने के लिए उसकी भावनाओं का, उसके एहसासात का, उसके अधिकारों का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी है। विनम्र अनुरोध है कि वोट का उपयोग करने से पहले एक नजर इन सब पर डालें, फिर फैसला वह करें जिसकी गवाही आपका दिल और आपका दिमाग एक साथ दे।

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