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पिछले कुछ दिनों से चल रहे अभ्यास मैच के बाद क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप टी-20 विश्व कप के चौथे संस्करण की औपचारिक शुरुआत आज अर्थात मंगलवार से होने जा रही है. पहला मुकाबला ग्रुप (सी) की टीम मेजबान श्रीलंका और जिम्बाब्वे के बीच खेला जाएगा. आईसीसी टी20 विश्व कप के इस पहले मैच पर सबकी नजर रहेगी.
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श्रीलंका पर अतिरिक्त दबाव
युवाओं और अनुभव के तालमेल से रची श्रीलंका की टीम के ऊपर इस बार मैच जीतने के साथ-साथ ट्रॉफी लाने का अतिरिक्त दबाव होगा. अब तक जीतने संस्करण हुए हैं उसमें श्रीलंका एक बार भी टी20 का विश्व विजेता नहीं बना. 2009 में वह फाइनल तक पहुंचा जबकि 2010 के सेमीफाइनल में उसे शिकस्त का सामना करना पड़ा. इसलिए इस बार श्रीलंका अपने होमग्राउंड की परिस्थितियों का फायदा उठाकर ट्रॉफी को अपने घर पर ही रखेगा.
जिम्बाब्वे को हलके में लेना सबसे बड़ी भूल
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पीछे कुछ मैचों पर नजर डालें तो हल्की समझी जानी वाली टीमें चोटी की बड़ी टीमों को हराकर उलटफेर करने में कामयाब रही हैं. इसलिए मैदान पर खेलते वक्त श्रीलंकाई टीम के दिमाग में यह बात कभी नहीं रहेगी कि जिम्बाब्वे एक कमजोर टीम है. हमें इस बात को भूलना भी नहीं चाहिए कि जिम्बाब्वे की टीम ने कई बार बड़ी टीमों को हराकर अपने दमखम का परिचय दिया है.
क्या कहते हैं रिकॉर्ड
अगर टी20 मैच में रिकॉर्ड की बात करें तो श्रीलंका का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है. श्रीलंका ने टी20 मैचों में अब तक 41 मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने 24 मैच जीते हैं जबकि 17 मैच हारे हैं. स्वयं कप्तान महेला जयवर्धने के पास टी20 विश्वकप में सबसे अधिक रन बनाने का रिकॉर्ड है. उन्होंने 18 मैच में अब तक 615 रन बनाए है जिसमें एक शानदार शतक शामिल है. जहां कुमार संगकारा और तिलकरत्ने दिलशान बल्लेबाजी को मजबूती प्रदान करेंगे तो वहीं लसिथ मलिंगा, अजंथा मेंडिस और एंजेलो मैथ्यूज गेंदबाजी की ताकत होंगे. वहीं दूसरी तरफ जिम्बाब्वे ने कुल 20 मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने केवल तीन में जीत हासिल की है. बहुत दिनों से उनकी टीम को एक जीत की दरकार है. अगर दोनों टीमों को देखा जाए तो जिम्बाब्वे टीम की कमजोर स्थिति और युवाओं से भरी श्रीलंका की टीम को देखते हुए श्रीलंका को सुपर-8 में पहुँचने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए.
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