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टी20 विश्वकप के सुपर 8 के मुकाबले शुरू हो चुके हैं. पहला मुकाबला मेजबान श्रीलंका और न्यूजीलैंड के बीच खेला जा रहा है. सुपर 8 में भारत अपना पहला मैच 28 सितंबर शुक्रवार को आस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलेगा. अब तक लीग मैच में भारत का सामना उन टीमों से था जिनके संदर्भ में ऐसा माना जाता था कि भारत आसानी से अगले दौर में पहुंचने में कामयाब हो जाएगा, लेकिन अब सुपर 8 में भारत का मुकाबला उन टीमों से है जिन्हें हम आईसीसी टी20 विश्वकप 2012 के विजेता के रूप में देखते हैं.
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अपने पहले ही मुकाबले में भारत का सामना उस टीम से है जिसने रिकॉर्ड चार बार वनडे विश्व कप अपने नाम किया. इसने खेल के हरेक फॉरमेट में अपना दबदबा कायम रखा है. बड़े मैचों में इसके खिलाड़ियों ने बार-बार अच्छा प्रदर्शन करके यह साबित किया है कि वह लम्बी रेस के खिलाड़ी हैं.
आस्ट्रेलिया के पास धुरंधर
आईसीसी टी20 विश्वकप 2012 में जहां आस्ट्रेलिया के पास डेविड वार्नर, माइकल हसी और शेन वाटसन जैसे बल्लेबाज हैं वहीं बेन हिलफेनहॉस और ब्रेड हॉज जैसे गेंदबाज भी हैं जो किसी भी मैच का रुख बदलने की क्षमता रखते हैं. मैदान पर उनकी फील्डिंग कुछ इस तरह है कि उनसे एक भी बॉल छोड़े जाने की उम्मीद नहीं की जा सकती.
भारतीय ओपनिग अभी संदेह के घेरे में
लीग मैच में भारतीय टीम ने फेरबदल के साथ इंग्लैंड के खिलाफ मैच क्या खेला कप्तान महेंद्र सिंह धोनी कोच डंकन फ्लेच की समस्या ही बढ़ गई. उनको यह नहीं सूझ रहा कि आस्ट्रेलिया जैसे मजबूत टीम के खिलाफ कितने गेंदबाज और कितने बल्लेबाज को उतारें. पिछले मैच में धोनी को हरभजन और पीयूष की गेंदबाजी इतनी पसंद आ गई कि वह आस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच गेंदबाजों के साथ उतरने की तैयारी कर रहे हैं तथा सहवाग को रेस्ट देकर इरफान पठान को ओपनिग पर उतारने की सोच रहे हैं.
भारतीय स्पिन पर कर सकते हैं भरोसा
अगर भारतीय टीम की बल्लेबाजी की बात की जाए तो विराट कोहली को छोड़कर कोई भी बल्लेबाज अपने बुरे दौर से बाहर निकलने को तैयार नहीं है. एक तरफ जहां भारतीय ओपनर टीम को मजबूत स्टार्ट नहीं दे पा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ मध्यम क्रम के बल्लेबाज कुछ खास कमाल नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में पिछले मैच में भारतीय स्पिनरों के प्रदर्शन को आधार मानकर टीम स्पिन गेंदबाजों पर भरोसा कर सकती है.
भारत जहां 2007 में टी20 विश्वकप का खिताब अपने नाम कर चुका है वहीं आस्ट्रेलियाई टीम को टी20 में चैम्पियन बनने की दरकार है. इसलिए वह इस बार पूरी कोशिश करेगा कि वह अपने सभी मुकाबले जीत कर फाइनल तक का सफर तय करे. आस्ट्रेलियाई टीम ने क्रिकेट में अच्छे और बुरे वक्त दोनों देखे हैं लेकिन उसकी क्षमता पर आज तक किसी भी टीम ने शक नहीं किया. वह पहले भी चोटी की टीम थी और आज भी वह चोटी की टीम है. इसलिए भारत को भी यह नहीं समझना चाहिए कि आस्ट्रेलियाई टीम में पहले जैसी ताकत नहीं रही.
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