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अब तो जागो सरकार. आखिर कब तक…?

ताहिर की कलम से
ताहिर की कलम से
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भारत जैसे आज़ाद देश में आये दिन आंतकी हमले होते रहते हैं. लेकिन देश कि सरकार को किसी कि जान कि कोई प्रवाह नही है. देखा जाए तो होने वाले बम बलास्ट से सरकार कितनी चिंतित दिखती है.उसका अंदाज़ा घटनाओं को देखकर आसानी से लगाया जा सकता है. उच्च न्यायालय के बाहर हुए दिल दहला देने वाला बम धमाका एक बार फिर राजधानी को गहरा दर्द दे गया। पिछले साढ़े तीन महीने में हाईकोर्ट में हुए दूसरे हमले ने सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी। लेकिन इस लापरवाही ने कई जानें ले लीं और दर्जनों लोगों को गहरे जख्म दिए। हर कोई नेता आता है सिर्फ शोक जाहिर कर चला जाता है,लेकिन अब समय शोक जाहिर करने का नहीं बल्कि आंतकियों के खिलाफ कार्रवाही करने का वक्त है.
देश की राजधानी दिल्‍ली में हाईकोर्ट के बाहर हुए आतंकी हमले के बाद कांग्रेस और सरकार के प्रति लोगों का जबरदस्‍त गुस्‍सा नजर आ रहा है। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी राम मनोहर लोहिया अस्‍पताल घायलों को देखने पहुंचे तो वहां लोगों ने उनके और कांग्रेस के खिलाफ नारे लगाना शुरू कर दिया। वहीं, बीजेपी अध्‍यक्ष नितिन गडकरी और भाजपा नेता विजय कुमार मल्होत्रा भी जब अस्पताल पहुंचे तो एक मृतक के पिता ने उन्हें बोलने से रोक दिया। उनकी बात भी सही है. क्योंकि पिछले एक-दो सालों का ब्यौरा देखें तो कई बड़े आंतकी हमले हो चुकें है. मृतक के पिता ने कहा कि उन्हें नेताओं के भाषण की जरूरत नहीं है।
अस्‍पताल पहुंचने वाले नेताओं में दिल्‍ली की मुख्‍यमंत्री शीला दीक्षित और भाजपा नेता लालकृष्‍ण आडवाणी भी रहे। वहां पहुंचने वाले नेताओं के चलते पीडि़तों के परिजनों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्‍हें सुरक्षा के नाम पर अस्‍पताल में दाखिल होने में भी मुश्किल झेलनी पड़ी। गुस्‍सा केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम पर भी निकल रहा है। उन्‍हें नेता-अभिनेता सभी सार्वजनिक रूप से कोस रहे हैं। सवाल कई मुद्दों को लेकर उठ रहे हैं। बम धमाके में मारे गए और घायल लोगों के प्रति संवेदना दिखाने के लिए संसद की कार्यवाही कुछ देर के लिए स्‍थगित करने पर तो सत्‍ताधारी कांग्रेस के सांसद ने ही सवाल उठाया है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को कहा कि आतंकवाद के अभिशाप से निपटने के लिए सभी राजनीतिक दलों और भारतीय जनता को एकजुट होना होगा। प्रधानमंत्री ने यह बात दिल्ली उच्च न्यायालय परिसर के बाहर बम विस्फोट के बाद कही। दिल्ली उच्च न्यायालय के गेट नम्बर पांच के बाहर हुए विस्फोट में कम से कम ग्यारह माशूम लोग मारे गए और 45 घायल हो गए। आखिर कौन है माशूम लोगों कि जान का जिम्मेदार? प्रधानमंत्री ने यहां संवाददाताओं से कहा,”मेरी सहानुभूति इस विस्फोट में जान गंवाने वालों के परिजनों और घायल होने वालों के साथ है। “उन्होंने कहा, “यह कायराना कृत्य है। हम इससे निपटेंगे। हम कभी भी आतंकवादियों के दबाव के समक्ष नहीं झुकेंगे। यह लम्बी लड़ाई है।” अब तो जागो सरकार.सभी राजनीतिक दलों और पूरे देश को आतंकवाद का सामना एकजुट होकर करना होगा। अब देखने वाली बात ये होगी कि प्रधानमंत्री कि ये दलील कहां तक कामयाब हो पाती हैं.

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