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क्या इसी लिए हें हमारा देश महान?
जिन व्यक्तियों ने हमारे लिए अपने बीवी बच्चे,माँ-बाप,भाई-बहन सब को छोड़ दिया आज उन्ही कि प्रतिमाएं कही पर खंडित हें तो किसी ने उसके साथ छेड़-छाड़ कर उनका बुरा हाल बना दिया हें. 15 अगस्त 1947 को एक लम्बे संघर्ष के बाद भारत आजाद हुआ. न जाने कितने शहीदों के लहू से इस देश की धरा को सींचा गया.बड़े अदभुत थे वो लोग जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी.उन्होंने अपना आज हमारे कल के लिए बलिदान कर दिया भविष्य के लिए उन्होंने अपना वर्तमान त्याग दिया.उन्होंने किसी कि कोई चिंता नही कि बस अपने आने वाले भारत कि.उन्हें शायद उस वक्त कुछ दिखाई दे रहा था तो उस वक्त सिर्फ भारत को आजाद करना.लेकिन आज शायद ज्यादातर लोग इन्हें भूल गएँ हें.
उन्हें पूरा यकीन था की हम उनके सपनो के भारत का निर्माण करेंगे.एक ऐसा भारत जहाँ देश के उत्थान के लिए हर नागरिक अपना कर्त्तव्य निर्वाह पूर्ण समर्पण से करेगा.एक ऐसा भारत जहाँ सभी जातियों व धर्मो के लोग प्रेम भाव से रहेंगे और राष्ट्र निर्माण के लिए अपने निजी स्वार्थो को ताक पर रख देंगे.
वो सोचते थे की आजादी का दिन इस देश में होली, दिवाली, ईद, बैशाखी से भी अधिक धूम धाम से मनाया जायेगा. जबसे देश आजाद हुआ है हमने केवल अपने बारे में सोचा है. मेरा भारत महान कहने वाले कई लोग मिल जाते है पर उसमे उनका क्या योगदान है ये वो नहीं बता पाते.मानो उनके यहां पैदा होने से ही ये देश महान हुआ हो. इस देश के लिए जो लोग कुर्बान हो गए उनके सपनो के भारत को हमने कही खो दिया.
एक ऐसा भारत जहा भूख, भय, भ्रष्टाचार से रहित समाज होगा ये सपना हमने तोड़ दिया है.हमने एक ऐसा भारत बना दिया है.जहां केवल भय है भूख है और हर तरफ भ्रष्टाचार और धान्धले बाजी है. जहां करोड़ों की आबादी भूखी है. जहां कभी भी कुछ भी होने का भय है. जहां एक छोटा सा मुल्क जिसकी हमारे शहीदों ने अलग होने की कल्पना भी नहीं की थी उसके कारण भय पैदा हुआ है. और भीड़ में मेरा भारत महान कहने वाले नेता लोग कॉमनवेल्थ खेलों में अदभुद भ्रष्टाचार का नमूना पेश कर चुके है. ये भूल जाते है की केवल कहने भर से ही भारत महान नहीं हो सकता है. निसंदेह भारत एक महान देश था. जहा 23 साल की उम्र में भगत सिंह ने फांसी के फंदे को हस्ते हस्ते चूम लिया. 15 साल के चंद्रशेखर आजाद ने अपने नाजुक शरीर पर हंटर खाए. सुभाष चन्द्र बोस, महात्मा गाँधी, सुखदेव और राजगुरु जैसे लोग आत्मोत्सर्ग करने को तैयार रहे. और अपना बलिदान किया. आज हम उस दिन को जिस दिन के लिए ये सब अपना सब कुछ कुर्बान कर गए उसको हमने केवल अवकाश का दिन बना दिया.बड़े दुर्भाग्य की बात है की वो लोग जिन्होंने हमारे आज को सजाने के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया. उनके बलिदान को सम्मान देने वाले दिन को हम अपनी छुट्टियो का हिसाब कर रहे है.इन महापर्वों पर हमे मन से 2 मिनट का मौन रखना चाहिए. उन शहीदों की याद में नहीं जो इस दिन को लाने के लिए मर मिटे. अपितु अपनी अंतरात्मा की मौत के शोक के रूप में. उस देश का कभी कुछ नहीं हो सकता जिस देश के लोगो की अंतरात्मा मर चुकी हो.अंतरात्मा पूरी तरह से मर चुकी है.जिन व्यक्तियों ने हमारे लिए अपने बीवी बच्चे,माँ-बाप,भाई-बहन सब को छोड़ दिया आज उन्ही कि प्रतिमाएं कही पर खंडित हें तो किसी ने उसके साथ छेड़-छाड़ कर उनका बुरा हाल बना दिया हें. क्या इसी लिए हें हमारा देश महान? सोच समझ कर लोगो को उन महा पुरूषो का सम्मान करना चाहिए.
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