- 59 Posts
- 22 Comments
हर त्योहार कोई न कोई नया सन्देश जरूर लेकर आता है. और आज भी विजय दशमी पर लोगों सो समझ लेना चाहिए कि सिर्फ शरीर कि शक्ति होने से ही काम नही चलता. बल्कि थोड़े दिमाग कि भी आवशयकता होती है. बहुत से लोग अपनी योग्यता, परिश्रम, निष्ठा से शिखर पर पहुंचते हैं। शीर्ष पर पहुंचना फिर भी संभव होता है, लेकिन वहां बने रहने में बड़ी ताकत लगती है जो एक बार चूक गया, उसे नीचे आने में देर भी नहीं लगती। रावण के साथ यही हुआ था। योग्यता जब भ्रमित हो जाए, जानबूझकर अपना दुरुपयोग करने लगे तो रावण जैसे पात्र सामने आते हैं। रावण इतना विद्वान था कि यदि उसने अपनी शक्ति का दुरुपयोग न किया होता तो वह किसी महाकाव्य का नायक होता। लेकिन अपनी योग्यताओं के दुरुपयोग से वह दुनिया का बड़ा खलनायक बन गया। उसने जो युद्ध लड़े थे, वे दुर्लभ थे। मृत्यु को नियंत्रित कर लिया था उसने। ऐसे में उस सर्वसंपन्न के सामने अपने ही राज्य से निष्कासित, अकेले, संघर्षरत श्रीराम थे। फिर भी वे रावण को क्यों पराजित कर गए, इससे हम अपने जीवन की धारा बदल सकते हैं। रावण के पास सब था, निजबल, जनबल व बाहुबल, बस एक चीज की कमी थी और वह था आत्मबल। राम के पास ये सारे बल नहीं थे, पर आत्मबल गजब का था। रावण अपने वर्तमान पर इतना टिक गया कि भूल ही गया कि भविष्य भी कुछ होता है। जो लोग वर्तमान पर अधिक टिकते हैं, उनके जीवन में विलास आने में देर नहीं लगती। राम के पास दूरदृष्टि थी और उनका उद्देश्य रावण को मारना ही नहीं था। वे लोक शिक्षा, जनसामान्य के आत्मविश्वास को लौटाने के लिए आए थे। इसीलिए रावण आज भी मारा जा रहा है और राम आज भी पूजे जा रहे हैं। हालांकि कुछ जगहों पर रावण को पूजा भी जाता है. लेकिन लोगों को शीख लेनी चाहिए कि अपनी शक्ति का बिना वजह दुरूपयोग नही करना चाहिए.
Read Comments