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आखिर क्या करे जनता?

ताहिर की कलम से
ताहिर की कलम से
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जिस गति से पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ रहे हैं, उससे सरकार और लोगों की सांसें फूल रही हैं। सरकार के हाथ में भी सबकुछ नहीं है, क्योंकि वह केवल थोड़ी सब्सिडी देकर थोड़ा बोझ ही अपने ऊपर ले सकती है, गो सरकार जागो आम आदमी कि भी कुछ तो परेशानी से सरोकार रखो और बढ़ रही महंगाई पर कुछ तो अंकुश लगाओ.पेट्रोल के दाम में एक और इजाफे की आशंका जताते हुए देश की सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी तेल कंपनी इंडियन ऑयल ने कहा है कि संभव है कि तीन महीने बाद लोगों को पेट्रोल पंपों पर लंबी कतार में भी खड़ा होना पड़े। कंपनी की खराब आर्थिक सेहत और उधार लेने की हद तक पहुंचने का हवाला देते हुए कंपनी के सीएमडी आरएस बुटोला ने कहा कि अगर सरकार से सहायता नहीं मिलती है तो कंपनी अगले तीन महीने तक किसी तरह बाजार से रुपया लेकर अंतरराष्ट्रीय बाजार से तेल आयात कर सकती है। लेकिन उसके बाद की स्थिति को लेकर वह आशंकित है। ऐसा होने पर कंपनी को अपनी कुछ रिफाइनरी में काम रोकना होगा। इससे पंपों पर सप्लाई कम होगी और लोगों को कतार में खड़ा होना पड़ सकता है। अभी पेट्रोल के दाम बढ़े ज्यादा समय नही हो पाया है.और तेल कम्पनी ने फिर दाम बढ़ने के संकेत दे ड़ाले हैं.अब तो आम आदमी का जीना मुहाल हो चुका है. आखिर क्या करे जनता? अब तो शायद जनता भी सोचने लगी होगी कि एक बार ही 100 रूपये लीटर कर दिया जाये तो रोज-रोज कि समस्या ही ख़त्म हो जाये. लेकिन लगता है अब सरकार भी चारो खाने चित हो चुकी है.तभी तो महंगाई दिनोदिन बढ़ती जा रही है. इसे रोकने के सरकार को जल्द ही कोई शख्त इंतजाम करने होंगे ताकि गरीब लोग भी अपना जीवन बसर सही प्रकार से कर सके.

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