Menu
blogid : 6176 postid : 944850

आदरणीय नेता जी !

ताहिर की कलम से
ताहिर की कलम से
  • 59 Posts
  • 22 Comments

जय हिन्द,
जय समाजवाद!
जय मुलायम!
आपको खुले दिल और खुले विचारों से चिट्ठी लिख रहा हूँ, हालांकि आपको हमारे प्रिय मित्रों में से एक रवीश भाई भी चिट्ठी लिख चुके होंगे या शायद लिखेंगे । आपके पास तो अनेकों चिट्ठियां आती होंगी, कुछ के जवाब आप देते होंगे कुछ फाइलों में दब कर रह जाती होंगी । ये बात अलग है कि वो चिट्ठियां आपसे मदद के लिए आती होंगी, कुछ गुहार के लिए या कुछ किसी अन्य काम के लिए आती होंगी । खैर जो भी हो !
हे मुलायमों के मुलायम और कठोरों के कठोर सिंघों के सिंह, हे समाजवादी पुरोधा! ‘राजधर्म के कठोर पालक’ और ‘यादवों के यादव’ मुलायम सिंह यादव जी! आप नेता भी हो आप अभिनेता (राजनीति) भी हो, आप राजनीति के हीरो भी हो आप डायलॉग सुनते भी हो, आप डायलॉग बोलते भी हो जब आप बोलते हो तो कुछ ही लोगों को आपकी बात समझ में आ पाती है कुछों के पल्ले ही नहीं पड़ती कुछ लोग आपसे शिकायत करते हैं कुछ लोग आपकी शिकायत हम जैसे पत्रकारों से करते हैं ! लोगों की शिकायत पर हमें कहना पड़ता की माननीय नेता जी ! पान या गुटखा मुंह में दबाएं होंगे जिस कारण शब्द समझ में नहीं आ रहे होंगे । आप चिंता मत कीजिये हम आप को सब समझा देंगे ! और वैसे भी हम पत्रकार लोग आपकी भाषा तो समझ ही लेते हैं आप कुछ भी बोलेंगे (गलत, अपशब्द) तो हम टीवी चैनल पर चला देंगे या अखबारों में लिख देंगे ! लेकिन जब आप बोलते हैं लोग तालियों से स्वागत करते हैं, लेकिन विरोधी गालियों से! लेकिन आप की उदारता भी गज़ब की दिखाई पड़ती है। आपके अपने प्रिय मंत्रियों में से एक आदरणीय राजा भैय्या जी! के प्रति लगाव भी आपकी दृष्टि को साफ़ सुथरा! दिखने में काफी मदद करता है !
नेता जी आप बहुत ही मुलायम लगते हो लेकिन आप कठोर भी उस समय हो जाते हो जब आप ही की आवाज़ में एक ऑडियो टेप जारी होकर तमाम टीवी चैनलों पर चलने लग जाती है। वो डायरेक्ट आईपीएस को काम के प्रति धमकाने की (हालांकि हम पूर्ण रूप से ऑडियो की पुष्टि तो नहीं कर सकते की आवाज़ आपकी है या आप के किसी विरोधी की चाल है ) लेकिन आप ‘मुलायम भी उस वक्त नज़र आये जब पत्रकार को ज़िंदा जलाने का आरोपी आपका मंत्री राममूर्ति वर्मा और दोषी पुलिसकर्मी आज़ाद घूमते रहे । लेकिन आपने कोई कार्रवाई करने की कोई जहमत ही नहीं उठाई । माननीय आप बलात्कारियों का बचाव भी करते हैं (मुरादाबाद में सभा के दौरान ) आपने कहा था की “लड़के हैं गलतियां हो जाती हैं तो क्या उन्हें फांसी दोगे” आप महान हो ‘मुखिया’ हो आप ना जाने क्या-क्या हो जो कोई नहीं है वो आप हो । आप इतने अच्छे हो फिर भी लोग आप पर उंगलियां उठाते हैं कुछ लोग कहते हैं की आपने जंगलराज पाला हुआ है। क्या आपने वास्तव में जंगलराज को बढ़ावा देते हैं ? या आपका कठोर और “मुलायमपन” होना है? ‘मुलायम जी आप पापा (अखिलेश) भी हो आप नेता जी भी हो, आप लेपटॉप भी बांटते हो आप साईकिल (पार्टी चिन्ह) भी बांट देते हो ! आपका रिश्ता लालू यादव से भी है नरेंद्र मोदी से भी लालू नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने पर बधाई भी नहीं देते हैं आपके पौते तेज प्रसाद यादव (पौत्र ) और लालू यादव की बेटी राजलक्ष्मी के विवाह में न्यौता (आमंत्रण) भी दिया जाता है। आप एक दूसरे पर कटाक्ष भी करते हैं आप शिष्टाचारी भी हैं । आप कठोर भी हैं आप ‘मुलायम’ भी हैं । आपसे कोई खुश है तो कोई नाराज़ भी है । आपने यादवी राजनीति को दशकों की कटुता को रिश्तेदारी की मिठास में बदल दिया है । लेकिन आपसे अच्छा-ख़ासा नाराज़ इलाहबाद हाईकोर्ट भी है उसका कारण आपकी सरकार में दिनोदिन बढ़ रहे ‘क्राइम’ ने जनता हो हिला कर रख दिया है । सर प्लीज़ आप थोड़े “मुलायम” से कठोर होइये ना ! आपकी आलोचना करने वाले सभी लोगों को कठोरता से क्राइम कम करने के शासन-प्रशासन को सख्त निर्देश दीजिये ना! उम्मीद है और आशा भी है कि इस चिट्ठी को पढ़ कर आपका दिल क्राइम कम करने के प्रति थोड़ा मुलायम से कठोर जरूर होगा ।
-ताहिर खान

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply