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प्रतिरोध की सामूहिक आवाज

ताहिर की कलम से
ताहिर की कलम से
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24 दिसंबर, मेरठ। एक अकेला विरोध कमजोर पड़ सकता है ! हंसी-मजाक बन सकता है ! कभी-कभी अपमान भी बन सकता है , लेकिन यही प्रतिरोध जब सामूहिक बन जाए तो एक आवाज़ बन जाता है। सत्साहसी आवाज । जिजीविषा का उत्स । हमारी भावनाओं का खुला अभिगान बन सकता है! जनाक्रोश बन सकता है। संदेश बन सकता है। सरोकार , सामाजिकता , जागरूकता सिर्फ शब्द मात्र नहीं है …। जनमानस की एकता, उनका एकालाप.. सम्मिलित स्वर- -न्याय, शासन-व्यवस्था की ढीली चूलें हिला सकता है। अपराध करने वालों और उनसे बचकर निकल गयों की संवेदना और संदेश बन सकता है।
हर चेहरे पर विरोध, न्याय की चाहत, जो बच गए या बचे हुए हैं उनके लिए पहल, बुलंदी, आक्रोन श ……विकल्प की तलाश। नागरिक अधिकारों – कर्तव्योँ की पहल …।
अवसर था स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के छात्रों , शिक्षकों , कर्मचारियों, अधिकारियों और प्रबंधन के प्रतिरोध मार्च और जागरूकता अभियान का। मेडिकल , डेंटल , पत्रकारिता , फाइन आर्ट्स , लॉ , फिजियोथेरपी , नर्सिंग , योगा , इंजीनियरिंग , मैनेजमेंट , हायर एजूकेसन , होटल मैनेजमेंट , फार्मेसी …आदि सभी पाठ्यक्रमों के छात्र युवाओं ने हमें न्याय चाहिय के साथ वातावरण को गुन्ज्यमान कर दिया । दिल्ली की बस में हुए गैंगरेप के खिलाफ और स्वतः स्फूर्त युवा प्रतिरोध को कुचलने के खिलाफ सोमवार को स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय परिसर में छात्र -शिक्षक , कर्मचारी , अधिकारी सभी ने एक साथ सामाजिक जागरूकता एवं न्याय के लिए प्रतिरोध मार्च निकाला |
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर मंज़ूर अहमद , सुभारती आन्दोलन के संस्थापक डॉक्टर अतुल कृष्ण…. हर कोने से एक ही आवाज उठी दुराचारियों को मिले कठोर दंड। जो बचे हैं उनके लिए सुरक्षा और आस्वस्ति । बने सख्त नियम ..। जागरूक हों सभी ..। इस तरह विश्वविद्यालय का हर तबका सड़क पर था। सभी ने सरकार से दुराचार की घटनाओं पर रोक लगाने की मांग की। महिला हिंसा और शोषण के खिलाफ जन जागृति । विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मंजूर अहमद, सुभारती आंदोलन के संस्थापक डॉ अतुल कृष्ण, प्रति कुलाधिपति ले.जन. डा. (वीएसएम , एवीएसएम् ) वी.एस.राठौर, सुभारती इंस्टीट्यूशन्स की संस्थापक डा. मुक्ति भटनागर, सुभारती के.के.बी चेरिटेबल ट्रस्ट की अध्यक्षा डा. शल्या राज, प्रतिकुलपति डा. ए.के खरे, कुलसचिव पी.के. गर्ग, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कर्नल डॉ एन के त्यागी आदि समेत सभी प्राचार्य, शिक्षक, छात्र दिल्ली में गैंगरेप पीड़ित और न्याय की आस लिए प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर अत्याचार के खिलाफ राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन के साथ सरकार, संसद, न्याय-व्यवस्था, मीडिया और समाज को जगाने का प्रयास कर रहे थे।
मोमबत्ती जलाकर, बांहों पर काली पट्टी बांधे, पोस्टर पर लिखे नारे … विश्वविद्यालय के हजारों छात्र-शिक्षक और समस्त स्टाफ ने सभा एवं मार्च कर विकल्प और न्याय की त्वरित व्यवस्था को सुझाया।
कुलपति प्रो. मंजूर अहमद, सुभारती इंस्टीट्यूशन्स की संस्थापक डा. मुक्ति भटनागर समेत सभी संकायों-विभागों के लोगों ने गैंगरेप पीडि़त ‘निर्भया’ और परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की और मांग की कि जल्द से जल्द न्याय मिले और आगे इन घटनाओं की पुनरावृति न हो।
सुभारती आन्दोलन के संस्थापक डा. अतुल कृष्ण ने कहा कि सामाजिक जागरूकता और शासन-प्रणाली को सचेत करने के लिए सबको जगना होगा। सबको आगे आना होगा। समाज को जगाना होगा । मांग की गयी कि ‘निर्भया’ के अपराधियों को फास्ट ट्रेक कोर्ट के माध्यम से एक माह के अंदर कड़ी से कड़ी सजा सुनाई जाए तथा संसद का विशेष सत्र बुला कर कानून में आवश्यक संसोधन कर महिलाओं के विरूद्ध दुराचार करने वालों के खिलाफ मृत्यु दंड का प्रावधान किया जाए। फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना तथा प्रत्येक सरकार यह प्रावधान करे कि स्त्रियों के साथ दुराचार के मामलों की जांच कर पुलिस द्वारा घटना के पहले 15 दिन के अन्दर अभियोग पत्र जारी किया जाय ।
इन्हीं अनेक जन सरोकारी मांगों के साथ राष्ट्रपति को सैकड़ों लोगों के हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से सौंपा गया । हजारों हाथ के समर्थन और युवा सुभारती के मजबूत स्वर ने एक बड़ा एजेंडा दिया भविष्य और वर्तमान के लिए । भूत के विरुद्ध । सुभारती विश्वविद्यालय की यह पहल निर्भया और उन तमाम पीडि़तों के लिए सामाजिक जागरूकता तथा शासन प्रणाली को संदेश देने के लिए था। यह आगे के लिए , आज के लिए भी पहल थी ।
डॉ ए के अस्थाना , डॉ निखिल श्रीवास्तव , डॉ जयंत शेखर , डॉ वैभव गोयल भारतीय , डॉ आर के मीना , डॉ गीता परवंधा , डॉ यू के सिंह , प्रो पिंटू मिश्र , डॉ प्रभात कुमार , डॉ राजेश मिश्र , डॉ देशराज सिंह, पी के पांडे आदि अनेक महत्वपूर्ण उपस्थितियाँ थीं।

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