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महान तो महान होते है जी…

ताहिर की कलम से
ताहिर की कलम से
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सचिन जैसे महान खिलाडी से आज-कल के प्लेयर को कुछ सीख लेने कि जरुरत है जिन्होंने आज अपने 20 -22 साल लम्बे करिअर में 100 शतक और 34000 के करीब रनों का पहाड़ खड़ा कर दिया. अंतरराष्ट्रिय क्रिकेट में बनाये ही बल्कि एक ऐसे मुकाम पर पहुंच गए जहां पर आने वाले समय में खिलाड़ियों को रिकार्ड कि तरफ देखते ही शायद गर्दन मुड़ जाये. आज-कल के खिलाडियों को देखा जाये तो कभी किसी खिलाड़ी पर टिप्पणी करते है तो, तो कभी एम्पायर के फैसले से नाखुश दिखाई देते है. कभी कभी ऐसी हरकत कर बैठते हैं. कि उन्हें टीम से बाहर बैठना पड़ता है. लेकिन सचिन को देखा जाये तो आज तक कोई ऐसी बात देखने में नही आई कि सचिन कभी एम्पायर के फैसले से नाखुश दिखाई दियें हो या कभी किसी पर टिका-टिप्पणी कि हो.ये ही तो बड़प्पन है इसी लिए तो सचिन आज भी महान है. सचिन तेंडुलकर को दुनिया ने आखिरकार उस शिखर पर देखा, जिसके लिए लाखों आंखें साल भर ललचाई रहीं। सचिन ने इंतजार कराया, लेकिन सौ अंतरराष्ट्रीय शतकों की बेमिसाल और अविश्वसनीय-सी लगने वाली मंजिल पर आखिरकार वे पहुंचे।
सचिन ने बड़ी ईमानदारी से माना है कि वे उम्मीद और मायूसियों के बीच झूलते रहे और अब तनावमुक्त हुए हैं। बल्कि उन्होंने कहा है कि यह संभवत: उनके जीवन का सबसे कठिन दौर था। लेकिन इसके बाद उनका यह कहना कई लोगों को अटपटा लग सकता है कि इस दबाव से उबरने के बाद अब वे एक नया अध्याय शुरू कर सकते हैं। अगर यह अध्याय वे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में ही शुरू करने की उम्मीद रखते हैं, तो कम-से-कम क्रिकेट के छोटे संस्करणों में हाल में उनका दिखा फॉर्म इसका बहुत भरोसा नहीं बंधाता। उनके बहुत-से प्रशंसकों को इस बात का अफसोस कम नहीं होगा कि सौवें शतक के मुकाम पर वे बांग्लादेश के खिलाफ मैच में पहुंचे, जो एक कमजोर टीम है और जिसके खिलाफ खेलते हुए बड़ी टीमों के खिलाड़ी ज्यादा मनोवैज्ञानिक दबाव में नहीं रहते। बल्कि शतकवीर कहे जाने वाले सचिन जैसे महान खिलाड़ी को एक शतक के लिए तनावग्रस्त होना पड़ा, इस बात को गले उतारना आसान नहीं है।

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