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व्यापम घोटाला देश का सबसे बड़ा खूनी घोटाला बनकर उभर रहा है । या यूं कहें की व्यापम खूनी और आदमखोर हो गया है। सांसें रोक देने वाले व्यापम घोटाले में मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है बल्कि लगातार बढ़ता ही जा है। व्यापम घोटाले में लगातार हर रोज हो रही मौतों ने शिवराज सरकार सहित केंद्र सरकार की भी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। अगर देखा जाये तो 10 मौतें सड़क दुर्घटना से हुई हैं । 4 मौतें आत्महत्या से, कुछ मौतें ज़्यादा शराब/ ज़हरीली शराब पी लेने से, कुछ मौतें दवा के रिएक्शन से, कुछ मौतें बीमारी से, कुछ मौतों की वजह का पता नहीं – इस तरह एक ही केस से जुड़े 46 लोगों की मृत्यु हो गई। मृत्यु? हत्या? ये जांच का विषय है ।पिछले तीन दिन में 3 मौत से देश में सनसनी फैलाई हुई है. दो दिन पहले पत्रकार अक्षय सिंह की मौत हुई. एक दिन पहले जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डीन की भी मौत हुई. व्यापम घोटाले की आरोपी नम्रता दामोर के परिवार का इंटरव्यू करने गए पत्रकार अक्षय सिंह की अचानक मौत का मज़ाक उड़ाने वाले एमपी के मंत्री रहे बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने पत्रकार की मौत पर बेतुका बयान देते हुए कहा था, ‘पत्रकार-वत्रकार छोड़ो कोई हमसे बड़ा पत्रकार है क्या? अब इस तरह के बेतुके और बेहूदे बयानों से भी केंद्र सरकार की चुप्पी पर सवाल खड़े हो जाते हैं । क्योंकि अब तक व्यापम घोटाले में 46-47 लोगों की मौत हो चुकी है। व्यापम घोटाले में दिन-प्रतिदिन होती मौतों से सवाल खड़ा हो जाता है की व्यापम को खूनी कहें या आदमखोर
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