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paschim bengal

tarkeshkumarojha
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प शिचम बंगालः निराश है जनता , पर नाराज नहीं..
साल 2011 के विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई तृणमूल कांग्रेस सुप्रिमो ममता बनरजी जब प शिचम बंगाल की मुख्यमंत्री बनी तो कुछ महीने के अंतराल पर उनके हिस्से में तीन बड़ी सफलताएं आई। लगातार 34 साल के कम्युनिस्ट राज के खात्मे का श्रेय तो उन्हें मिला ही, माओवाद प्रभावित जंगल महल में आतंक का पयार्य.बन चुके शीषर् माओवादी कमांडर किशनजी की मुठभेड़ में मौत और लंबे समय से अशांत चल रहे राज्य के जंगल महल औऱ उत्तर बंगाल के पहाड़ पर आई शाति का श्रेय भी ममता बनजीर् को मिला। लेकिन इसी के साथ जनाकांक्षाएं भी बढ़ी। कृषि से लेकर उद्योग , वि धि – व्यवस्था से लेकर रोजगार तक के क्षे्त्र में आज मायूसी नजर आ रही है। बेशक ममता बनजीर् के सत्ता में आने के बाद राज्य सरकार की नौ क रियों के लिए बड़े पैमाने पर आवेदन पत्र बेरोजगार युवकों द्वारा भरे गए, सिफर् जंगल महल की बात करें, तो नि शिचत रूप से वहां कुछ हजार बेरोजगार युवकों को पुलिस व अन्य विभाग में नौक रियां मिली है। जब कि सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करने वाले हजारों बेरोजगार युवक अपनी नौकरी की बारी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। बेशक राज्य सरकारों द्वारा अपने सूबे के बेरोजगारों को नौकरी देने का झांसा कमोबेश हर राज्य में चल रहा है। लेकिन यदि समग्र विकास की बात करें, तो कत सकते हैं कि प शिचम बंगाल की जनता ममता बनजीर् सरकार से नाराज भले न हो, पर निराश जरूर है। क्योंकि अपने दो साल के कार्यकाल में ममता बनर्जी सूबे में कोई बड़ा उद्योग लाने में विफल रही है। इसी साल ह लिदया में आयोजित उद्योग मेला पूरी तरह से विफल रहा। वहीं सिंगुर का मसला अब भीअधर में लटका हुआ है। इस बीच राज्य के शिक्षण संस्थानों में हुई अराजक घटनाएं , काटूर्न कांड में प्रोफेसर और जनसभा में सवाल पूछने पर किसान की गिरफ्तारी समेत तृणमूल कांग्रेस की आंत रिक गुटबाजी और जहां – तहां हो रहे खुले टकराव से जनता परेशान हैं। जनता को सबसे ज्यादा निराश शारधा चिटफंड घोटाले में सरकार की भूमिका से हुई है। करीब 30 हजार करोड़ के इस घोटाले में जनता को ममता बनर्जी से अप्रत्याशित सख्ती की उम्मीद थी। क्योंकि इस मामले में तृणमूल कांग्रेस के कई सांसदों पर घोटाला करने वालों के साथ नजदीकियों के आरोप हैं। लकिन अपनी चिर प रि चित छ वि के विपरीत ममता बनर्जी ने न सिर्फ लपेटे में आए सांसदों का बचाव किया, ब लिक हर मामलों की तरह इस घोटाले का ठीकरा भी माकपा के सिर फोड़ कर अपने कर्तव्य की इति श्री कर ली। बेशक राज्य में वाममोर्चा का दुर्ग अब भी मलबे में तब्दील नजर आ रहा है। लिहाजा तृणमूल कांग्रेस आसन्न पंचायत चुनाव और लोकसभा चुनाव 2014 में अपनी सफलता जारी रहने की उम्मीद कर सकते हैं। क्योकि राज्य की निराश जनता अभी ममता बनर्जी और उनकी पार्टी से इतना भी नाराज नहीं हुई है, कि् वाममोर्चा की वापसी की सोच सके।

संपर्क ः0943445934

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