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बॉलीवुड के सपने और संघर्ष

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Are you a Bollywood Aspirant………………..(newcomers)

 

“ए दिल है मुश्किल जीना यहाँ, जरा हटके जरा बचके ये है मुम्बई मेरी जान।” रफ़ी साहब द्वारा गाया ये गाना मायानगरी के उस डार्क साइड की ओर इशारा करता है जिसे यहाँ की चकाचौंध अपने में छुपा लेती है। रोज़ाना हजारों लोग बॉलीवुड में काम करने के सपने को पूरा करने के लिए मुम्बई में आते हैं। कुछ लोग देश के दूर दराज के छोटे-छोटे गाँवों या कस्बों से होते हैं तो कुछ लोग बड़े-बड़े शहरों या महानगरों से। इन सभी लोगों को सामना करना पड़ता है मायानगरी के डार्क साइड का, जो उनकी सोच से परे होता है।

 

इस डार्क साइड के बहुत सारे रूप हैं जैसे भाई- भतीजवाद (Nepotism), समूहवाद (Groupism), कैम्पिजम, असफलता (Failure), अस्वीकृति (Rejection), असुरक्षा की भावना (Insecurities), एकाकीपन (Lonliness), कास्टिंग काउच और भी बहुत कुछ। परिस्थितियों से दो चार होने की क्षमता हर इंसान में अलग-अलग होती है। कुछ लोग इन चुनौतियों का सामना अंत तक करते रहते हैं तो कुछ लोग हताश होकर बीच में ही रुक जाते हैं।

 

फ़िल्म अभिनेत्री कंगना रनौत द्वारा नेपोटिज़्म पर दिए गए बयान, फ़िल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत का ट्वीट कर कहना कि दोस्तों, प्लीज मेरी फिल्में देखो। अगर आप ऐसा नही करोगे तो मैं इंडस्ट्री से बाहर हो जाऊँगा क्योंकि मेरा कोई गॉड फादर नही है, 6 महीने के भीतर उनसे 6-7 फिल्मों का छिन जाना, अभिनेता नवाज़ुद्दीन सिद्दकी का बताना कि शुरुआती दौर में किस तरह उन्होंने कई बार पूरे दिन में एक वडा पाव या ब्रेड खाकर दिन निकाला, अभिनेत्री दीपिका पादुकोण के अलावा बहुत सारे इंडस्ट्री के लोगों का अवसाद (Depression) से ग्रसित होना वो भी इस हद तक कि खुद को ख़त्म करने की कोशिश करना या ख़त्म कर देना। ऐसी ढेरों घटनाएँ जो दिल को अंदर तक झकझोर देती हैं इस इंडस्ट्री में मौजूद हैं। चकाचौंध से लबरेज़ बॉलीवुड का एक चेहरा यह भी है।

 

भले ही फ़िल्म इंडस्ट्री का एक भद्दा सच इसका डार्क साइड हो। लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नही है कि हम इस इंडस्ट्री का हिस्सा बनने की न सोचें, अपने सपनों का गला घोंट दें, उम्मीदों को जागने न दें, ऐसा बिल्कुल नही है। हाँ, लेकिन यह जरूरी है कि जब भी हम बॉलीवुड इंडस्ट्री में आने का विचार करें तो इसके दोनों पहलुओं को अच्छी तरह से देख लें। जहाँ एक ओर नाम, शोहरत, दौलत, रंगीनियत, पार्टी जैसी हसीन दुनिया की झलक है तो वहीं दूसरी ओर इसके डार्क साइड से भी आपको सामना करना ही होगा।यही सच्चाई है। इसके लिए स्वयं को अच्छे से तैयार करें।

 

कई बार देखा जाता है बॉलीवुड नौजवानों को अपनी ओर इतना आकर्षित करता है कि वो उस समय माता-पिता की मर्जी के बिना भागकर-छुपकर मुम्बई आ जाते हैं। लेकिन जब उनका सामना बॉलीवुड की डार्क साइड से होता है तब वो टूट जाते हैं, बिखर जाते हैं। कृपया ऐसा न करें। माता-पिता को समझाएं और उनकी सहमति से ही आयें क्योंकि जब आप संघर्ष करते हुए थक जाते हैं, टूट जाते हैं तब इस अनजान शहर में माता-पिता ही आपका सहारा बनते हैं। चाहे परिस्थिति जो भी हो जाए वो आपको हर संभव सहायता देने का प्रयास करेंगे। जब आप इस भीड़ में खुद को अकेला पाओगे तब वो ही आपके हमदर्द बनेंगे। भले ही कोसों दूर बैठकर फोन पर की गई पाँच मिनट की बातचीत क्यों न हो, आपके अकेलेपन की असरदार दवा वही बनेगी। यहाँ जीवन इतना आसान नही है जितना बाहर से देखने मे लगता है। इसलिए कोशिश करें कि फैमिली सपोर्ट के साथ ही मुम्बई का रुख करें।

 

पैसा सब कुछ नही होता मगर पैसा बहुत कुछ होता है। दोस्तों, अगर आप बॉलीवुड में अपना करियर बनाना चाहते हो तो मेरा सुझाव है आप मुम्बई फाइनेंसियल सपोर्ट के साथ ही आयें। आपको कब तक काम मिलेगा यह कह पाना मुश्किल है। मुम्बई एक महँगा शहर है। आपको यहाँ रहना, खाना-पीना, और दूसरे खर्चों के लिए वितीय रूप से सक्षम होना जरूरी है। अगर आपके पास पैसों की कमी है तो आप उसी में उलझकर रह जाओगे। अपने सपने को पूरा करने पर ध्यान नही लगा पाओगे। फाइनेंसियल स्ट्रैस आपको कुछ करने नही देगा।

 

बॉलीवुड में जाने से पहले अपनी बेसिक एजुकेशन जरूर पूरी कर लें। कम से कम ग्रेजुएशन करने के बाद ही फ़िल्मी दुनिया मे कदम रखें। समय के साथ-साथ बॉलीवुड में भी काफी बदलाव आ रहे हैं। आप बॉलीवुड में किसी भी क्षेत्र में काम करें आपको तकनीकी एवं रिसर्च वर्क का ज्ञान होना आवश्यक है। इसके लिए आपका ग्रेजुएट होना बेहद जरूरी है। इसके अलावा ईश्वर न करे इस क्षेत्र में लम्बा संघर्ष करने के बाद भी आपको किसी कारण से सफलता नही मिलती है तो आपके पास जीविकोपार्जन (livelihood) का दूसरा विकल्प अवश्य हो। कमाई का कोई न कोई जरिया होना बेहद जरूरी है। इसका महत्व हम सभी अच्छे से जानते और समझते हैं।

 

दोस्तों, इंडस्ट्री के दोनों पहलुओं को अच्छे से जानो, समझो और फिर निर्णय लो। एक बार अवश्य जांच लो, क्या आपके अंदर इतनी ताकत (strength), इतनी इच्छाशक्ति (will power) और इतनी सहनशक्ति (tollerance) है कि आप लंबे समय तक संघर्ष करते हुए रोज़ाना असफलता (Failure) और अस्वीकृति (Rejection) को सहन कर पाओ। बहुत सारे लोग बॉलीवुड की इस डार्क साइड से एकदम अनजान होते हैं और जैसे ही इन सबसे सामना होता है वो सह नही पाते है और कुछ ऐसा कर लेते हैं जो उनको या उनके प्रियजनों को जीवनभर का दर्द दे जाता है। सपने तो सभी देखते हैं लेकिन सपनों के टूटने या बिखरने के बाद खुद को सकारात्मक सोच और ऊर्जा के साथ खड़ा करना आसान काम नही है। इस कला को भी सीखना बेहद जरूरी है।

 

 

दोस्तों, आपने बहुत सारे बॉलीवुड में काम करने वाले लोगों के संघर्ष की कहानी जरूर पढ़ी या सुनी होगी। उनसे प्रेरणा लेना अच्छी बात है। आप सोचेंगे, उनमें से कई लोग ऐसे थे जो बिना फाइनेंसियल सपोर्ट के मुम्बई आए, कई लोग घर से भाग कर मुम्बई आए, कई लोग कम पढ़े लिखे थे। ये सब सच है लेकिन इस बात का भी ध्यान रखें। मुम्बई में रोजाना हज़ारों लोग आते है और ऐसे चमत्कार सिर्फ एक या दो के साथ होते है। दूसरी बात हर व्यक्ति में संघर्ष के दौरान होने वाली पीड़ा को सहने की शक्ति भी अलग-अलग होती है। आप अगर पूरी योजना और तैयारी के साथ मुम्बई आयेंगे तो संघर्ष का समय आसानी से पार हो जाएगा। बॉलीवुड में आने वाले सभी नए साथियों को अग्रिम शुभकामनायें।

Tarun RaSem (Ashok)

 

 

 

डिस्क्लेमर : उपरोक्त विचारों के लिए लेखक स्वयं उत्तरदायी हैं। जागरण जंक्शन किसी दावे या आंकड़ों की पुष्टि नहीं करता है।

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