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विकीलीक्स के खुलासे ने दुनिया में हडकंप मचा दिया है. रोज़ हो रहे खुलासों से अमेरिकी सरकार आगबबूला हो रही है. उसने तो अपने सभी सरकारी ऑफिसों में विकीलीक्स पर बैन तक लगा दिया है. यहां तक अमेरिका की पोल खोल रहे विकिलीक्स के संस्थापक असांज को अमेरिका ने ओसामा से भी बड़ा आतंकवादी घोषित कर दिया है. विकीलीक्स के इन खुलासों से केवल अमेरिका ही नहीं परेशान है बल्कि यूरोप के सभी देश परेशान हैं.
कई देशों ने असांज की गिरफ्तारी के आदेश भी दे दिए. लेकिन कामयाबी स्वीडन को मिली और वह भी असांज पर बलात्कार का आरोप लगाकर. बलात्कार की यह घटना कितनी सत्य है यह किसी को नहीं पता लेकिन आखिरकार विकीलीक्स और असांज के खिलाफ़ हुए देशों को कामयाबी मिली. लेकिन इस कामयाबी के पीछे जो लड़ाई शुरू हुई उससे आने वाले खतरों का अंदेशा हो रहा है. वह खतरा जो दोनों विश्व युद्धों से भी बड़ा होगा और जिसे हम कहेंगे साइबर वार.
लोगों का कहना था कि अगर अगला विश्व युद्ध हुआ तो वह युद्ध इंसानों द्वारा नहीं लड़ा जायेगा. वह लड़ा जाएगा मशीनों द्वारा.
तकनीकी ने जहां हमें बहुत कुछ दिया है वहीं उसका एक घिनौना चेहरा भी है जिसे हम साइबर वार कहते हैं. सॉफ्टवेयर वायरस से लेकर हैकिंग तक सभी साइबर वार के अंदर आते हैं. और यह साइबर वार इतना विनाशकारी होता है कि यह किसी भी कंपनी या देश को पल भर में नष्ट कर सकता है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण कल देखने को मिला जब विकिलीक्स के संस्थापक असांज के प्रशंसकों ने उसके विरोध में हैकिंग के कई अटैक किए. उन्होंने कल जहां कई घंटों तक ऑनलाइन पैसा पे करने की तकनीक पेपाल को कई घंटों तक हैक करके रखा वहीं स्वीडन सरकार की वेबसाइट भी हैकर्स के चंगुल से नहीं बची. कुल मिलाकर करोड़ों की हानि. वह भी केवल एक व्यक्ति के लिए. लेकिन यही बात जब किसी देश की संप्रभुता और सुरक्षा पर आ जाएगी तो सोचिए यह विध्वंस कितना बड़ा हो सकता है.
असांज के विरोध में किया गया साइबर वार तो केवल एक नमूना है आने वाले खतरे का. वह खतरा जो परमाणु बम के द्वारा किए गए विनाश से भी बड़ा होगा.
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