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साइबर वर्ल्ड – विकास की असीम संभावना के साथ

तकनीक-ए- जहॉ
तकनीक-ए- जहॉ
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develpoing indiaभारत एक विकासशील देश है जिसके घरेलू उत्पाद की विकास दर दुनियां में तीसरे नंबर पर है. आज भले ही भारत विकसित देशों की सूची में नहीं है परन्तु अगर हम पूर्व राष्ट्रपति डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम के नक्शे कदम पर चलें तो विज़न 2020 दूर नहीं है जो हमें विकसित देशो की श्रेणी में खड़ा कर देगा.

आज भारत को दुनियां के सबसे बड़े बाजार के रूप में देखा जाता है. जिसके दो मुख्य कारण हैं:

1. पहला, भारतीय जनसंख्या.
2. दूसरा, भारत के लोगों की क्रय शक्ति में वृद्धि होना.

वक्त के साथ-साथ हमने हर क्षेत्र में विकास किया है. 1992 में हमने उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की नीतियों को अपनाया जिसके बाद हमारी विकासदर ने नए आयाम छुए.

तकनीकी क्रांति का दौर

अगर हम 1960 के दशक को हरित क्रांति का दौर कह सकते हैं तो 2000 के दशक को तकनीकी क्रांति का दौर कहना गलत नहीं होगा. आज भारत दुनियां के सबसे बड़े Cyber-Parkआउटसोर्सिंग हब के रूप में जाना जाता है. कंप्यूटर, लैपटॉप, ब्रॉडबैंड, मोबाइल, 3 जी इसी तकनीकी विकास के परिणाम हैं.

आज भारत में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसने इंटरनेट का नाम ना सुना हो. सोशल नेटवर्किंग साइट तो शायद लोगों से जुड़ने का एक जरिया बन गया है. परन्तु हर चीज़ के दो पहलू होते हैं एक अच्छा तो एक बुरा. वैसे ही तकनीकी विकास के दो पहलू हैं. जहां एक तरफ़ इससे नए आयाम खुले तो दूसरी तरफ़ साइबर अपराध का खतरा भी पनपने लगा. अतः साइबर अपराध की रोकथाम के लिए साइबर लॉ या साइबर कानून का निर्माण किया गया.

क्या है साइबर लॉ

साइबर कानून या साइबर लॉ एक ऐसा कानून है जिससे हम साइबर स्पेस को नियंत्रित करते हैं. साइबर स्पेस एक बहुत व्यापक शब्द है. जिसके अंतर्गत कंप्यूटर, नेटवर्क, cyber_lawसाफ्टवेयर, डाटा स्टोरेज यंत्र (जैसे हार्डडिस्क, यूएसबी), इंटरनेट वेबसाइट, ईमेल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे सेल फोन और एटीएम मशीनें आदि शामिल हैं.

मूलतः साइबर लॉ या साइबर कानून को दो भागो में विभाजित कर सकते हैं. पहला कानून और दूसरा साइबर. चूंकि कानून एक व्यापक शब्द है इसलिए अगर हम किसी विशिष्ट संज्ञा के रूप में इसका प्रयोग करते हैं तो यह उस क्षेत्र पर केंद्रित हो जाता है. यहां पर हम कानून की संज्ञा साइबर स्पेस से कर रहे हैं. अतः यहां कानून का विशेष ध्यान साइबर स्पेस को नियंत्रित करने का है.

अगर हम कानून की बात करते हैं तो उसके अंतर्गत निम्न व्यवहार शामिल हैं:

1. जिसे सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया हो.
2. जिसे एक निश्चित क्षेत्र पर लागू किया गया हो.
3. और जिसका पालन सभी व्यक्तियों द्वारा किया जाए.

और अगर कोई व्यक्ति इन नियमों का उल्लंघन करता है तो उसपर सरकारी कार्रवाई जैसे कि कैद, जुर्माना या मुआवजे का भुगतान देने की व्यवस्था की जा सकती है.

जबकि साइबर लॉ के अंतर्गत निम्न व्यवहार शामिल हैं:

1. साइबर अपराध.
2. इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल हस्ताक्षर.
3. बौद्धिक संपदा.
4. डेटा संरक्षण और गोपनीयता.

साइबर अपराध एक अवैध कृत्य है जहां कंप्यूटर का प्रयोग दो तरह से किया जाता है.

cyber crime• जहां कंप्यूटर का इस्तेमाल एक लक्ष्य के रूप में किया जाए(एक कंप्यूटर का उपयोग करके अन्य कंप्यूटरों पर हमला किया जाए). जैसे हैकिंग वायरस/कृमि हमला, डॉस अटैक आदि.
• जहाँ कंप्यूटर का उपयोग एक हथियार के रूप में किया जाए: जैसे साइबर आतंकवाद, बौद्धिक संपदा अधिकार का उल्लंघन, क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, ईएफ़टी धोखाधड़ी, अश्लीलता.

क्यों ज़रुरी है साइबर लॉ

• साइबरस्पेस एक अप्रत्यक्ष कानून है जिसे पारंपरिक विधि के द्वारा संचालित करना या विनियमित करना कठिन है.
• साइबरस्पेस में क्षेत्रीय सीमाओं की बाध्यता खत्म होती है. जिसके कारण भारत में बैठा हुआ एक व्यक्ति अमेरिका में रहने वाले व्यक्ति के बैंक अकाउंट में लाखों रुपए हस्तांतरित कर सकता है. इसके लिए उसे सिर्फ एक लैपटॉप और सेल फोन चाहिए.
• साइबरस्पेस से लाखों लोग जुड़े हुए हैं अतः सब पर एक साथ निगरानी करना कठिन है.
• साइबरस्पेस सभी उम्र के व्यक्तियों के लिए खुला हुआ है.
• साइबरस्पेस के द्वारा होता है करोड़ों रुपये का पायरेटेड काम.
• आजकल इलेक्ट्रॉनिक सूचना साइबर अपराध का मुख्य कारण बन गया है.
• साइबरस्पेस में बहुत सी ऐसी चीज़े गोपनीय रह जाती हैं जिसके द्वारा हम व्यक्ति की पहचान कर सकते हैं.

अगर हम उपरोक्त बातों की तरफ़ ध्यान दें तो ये स्पष्ट होता है कि सिर्फ सामान्य कानून के द्वारा हम साइबरस्पेस पर नियंत्रण और लगाम नहीं लगा सकते थे. अतः इसके लिए साइबर लॉ की ज़रूरत थी.

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