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24 घंटे फोन कर भारी बिल उठाने के लिए उसके सिर पर सवार रहने वाली रोहित की मम्मी आजकल फोन पर दोस्तों से बात कर बैलेंस खत्म न करने के लिए रोहित की तारीफें किया करती हैं. मुझे आश्चर्य हुआ कि ये चमत्कार कैसे हो गया !! मैंने अकेले में उससे पूछा कि इतना बड़ा चमत्कार कैसे हो गया, तू तो हमेशा दोस्तों संग फोन पर ही चिपका रहता था, सुधर कैसे गया? जवाब में शरारत से मुस्कुराते हुए उसने अपना फोन उठाया और मुझे चैट बुक दिखा दिया. “व्हाट्स ऐप!” मैंने देखते हुए पूछा, ‘तो ये है तुम्हारे फोन बिल बचाने का चक्कर?’ “ह्म्म!”, हँसते हुए उसने ‘हाँ’ में सिर हिला दिया. ऐसे ही कल बातों-बातों में जब ऑफिस की एक सहयोगी को मैंने बताया कि मेरे फोन में इंटरनेट नहीं है तो वह आश्चर्य से बोली, “तो तुम ऐप्स कैसे यूज करती हो?”. जब मैंने कहा कि मैं ऐप्स यूज ही नहीं करती तो उसने फिर उसी आश्चर्य से पूछा, “तो तुम व्हाट्स ऐप्स भी यूज नहीं करती?” मेरे नहीं कहने पर उसने मुझे लगभग आश्चर्यचकित नजरों से देखते हुए बताया कि वह तो व्हाट्स ऐप के बगैर रह ही नहीं सकती. मेट्रो में भी वह इसी पर दोस्तों के साथ बात करती ही जाती है, बोरियत भी नहीं होती और दोस्तों के साथ बातें भी हो जाती हैं, फोन पर बात करने का टाइम और पैसा बचता है वह अलग. मैं भी सुनकर ‘वाह!’ कहे बिना नहीं रह सकी. मेरे दोस्त मुझे व्हाट्स ऐप पर आने के लिये बोलते तो थे पर मैंने कभी इसके इतने फायदों के बारे में सोचा नहीं था.
चाइल्ड पोर्नोग्राफी के बढ़ते बाजार में घुटता बचपन
आज टेक्नोलॉजी इतनी तेजी से दौड़ रही है कि हर दिन एक नया गैजेट, एक नई तकनीक आ जाती है. इसी श्रृंखला में एक नई चीज जुड़ते हुए मोबाइल नंबर से एसएमएस भेजना अब पुराना हो चुका है. आज की नई पसंद है फेसबुक से जुड़ो, व्हाट्स ऐप से मैसेज करो.
ममता का भतीजा चिट फंड कंपनी का मालिक !!
गया एसएमएस का जमाना
2012 में भारतीय मोबाइल कंपनियों को एसएमएस के सर्विस में लगभग 4200 करोड़ का घाटा हुआ है. रिसर्च में पता चला कि इसी वर्ष प्रतिदिन 17.6 अरब एसएमएस की तुलना में 19 अरब मैसेज व्हाट्स ऐप के जरिए भेजे गए. 2014 में यह यह आंकड़ा मैसेजिंग के लिये 50 अरब और एसएमएस के लिये मात्र 21 अरब का होगा. मोबाइल कंपनियां भी युवाओं की इस नई पसंद से वाकिफ हैं, यही वजह है कि अक्टूबर 2012 में रिलायंस कम्यूनिकेशन ने अपने ग्राहकों की पसंद को ध्यान में रखते हुए फेसबुक और व्हाट्स ऐप से पार्टनरशिप की और अब केवल 16 रु. की शुल्क राशि पर इसके उपभोक्ता व्हाट्स ऐप और फेसबुक की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं. युवाओं में एसएमएस के विकल्प के तौर पर अपनाई गई इस नई पसंद पर सर्विस प्रोवाइडर्स अश्चर्यचकित हैं पर हकीकत में दोनों सेवाओं की तुलना करें तो कारण स्पष्ट हो जाता है. व्हाट्स ऐप, फेसबुक मैसेंजर, ब्लैकबेरी मैसेंजर आदि सेवाएं न केवल ग्रुप चैट वरन् फोटो शेयरिंग आदि की सुविधाएं भी मुफ्त देती हैं. ऐसे में पैसे देकर एक-एक मैसेज करना आउटडेटेड हो जाए है तो कोई बड़ी बात नहीं है.
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