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धरती यानी मनुष्य, पशु-पक्षी, पेड़–पौधे और एक सुन्दर संसार. धरती का दूसरा अर्थ जीवन है और जहां जीवन होता है वहां मृत्यु भी होती है. इस दुनियां में कोई भी वस्तु अमर नहीं है. हम कुछ भी करें मृत्यु आनी ही है. प्राचीन काल से देखा गया है कि नश्वरता को मनुष्य चुनौती देता आया है. अपने ध्येय प्राप्ति के लिए उसने प्रकृति के नियमों के खिलाफ़ डंका भी बजाया है. लेकिन अभी तक जीत प्रकृति की ही हुई है.
कहा जाता है कि मनुष्य का विवेकी मन जितना अपने ध्येय प्राप्ति के लिए चंचलता दिखाता है उतना शायद किसी अन्य कार्यों में वह ध्यान दिखाता हो. अपनी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए मनुष्य ने कई विकास किए. विकास की इस गति में उसने सबसे महत्वपूर्ण ख्याल रखा उन वस्तुओं का जो उसके जीवन में आराम प्रदान कर सकें. विकास के इस पथ में उसने ईजाद की नई तकनीकें. लकड़ी के चरखे से लेकर कम्पूटर तक सभी मनुष्य के दिमाग की उपज हैं. मनुष्य ने इतना विकास किया कि उसने चाँद को छू लिया, प्रकृति के बहुत से राज़ उसने सुलझा लिए. लेकिन! मनुष्य ने अच्छाई की तो बुराई भी उससे परे नहीं रही. अगर उसने बर्तन बनाए तो युद्ध करने के लिए हथियार भी उसी ने बनाए. अगर उसने कंप्यूटर बनाया तो साइबर युद्ध भी उसी की देन है.
आज तकनीकी विकास किसी चमत्कार से कम नहीं है. पिछले माह एक खबर आई थी कि मनुष्य ने अब एंटी एजिंग तकनीक का भी विकास कर लिया है. जिसका उसने सफल परीक्षण एक चूहे पर किया. जिससे मृत्यु की कगार पर खड़ा वह चूहा जवान ही नहीं हुआ बल्कि उसमें प्रजनन करने की क्षमता भी आ गई. अब देर नहीं जब यह परीक्षण इंसान पर होगा और अगर ऐसा हुआ तो शायद कभी कोई बूढा नहीं होगा. इसके अलावा समय दूर नहीं जब हमारा हमशक्ल क्लोन भी बन जाएगा और लोग पृथ्वी छोड़ दूसरे ग्रहों में जाकर रहेंगे. “तो सोचिए कितना मज़ा आएगा.”
लेकिन क्या यह सब इतना आसान है? यहां बात मनुष्य की प्रतिभा की नहीं हो रही है, यहां केवल प्रकृति की बात हो रही है, वह प्रकृति जो मनुष्य की जननी है. इसी प्रकृति की देन है यह मनुष्य और क्या अपनी जननी के नियमों के खिलाफ़ जाकर कोई जी पाया है. पृथ्वी की उत्पत्ति के शुरू से प्रकृति विद्यमान है. उसी के नियमों और कानून के तहत मनुष्य की उत्पति हुई. और आज क्या हम इतने बड़े हो गए हैं कि प्रकृति के नियमों के खिलाफ़ जा सकें. कहीं हम आने वाले तूफ़ान को चुनौती तो नहीं दे रहे हैं. वह तूफ़ान जो परमाणु विस्फोट से भी कई लाख गुना बड़ा होगा.
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