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मेरे यहॉ पूजा हो रही थी तभी एक प्रसंग में मैने लैपटॉप का जिक्र छेड़ा कि पंडितजी बोलते हैं लैपटॉप!… यह लैपटॉप क्या है? यह प्रश्न था उन पंडितजी का जो पूजा-पाठ में लीन रहते थे और लैपटॉप जैसे नई तकनीकी ज्ञान से बिलकुल अनजान थे. मैंने उन्हें बताया कि पंडितजी “लैपटॉप एक चलता-फिरता कंप्यूटर” होता है जिसको आप कहीं भी लेजा सकते हैं, जिसकी मदद से कार्य करना बड़ा सरल हो गया है. अब आप सफर करते-करते अपना काम कर सकते हैं, फिल्म देख सकते हैं और बिजली ना होने पर भी यह बंद नहीं होता. पंडितजी भौचक्के होकर देखने लगे कि यह क्या नई बला है.
मुझे लगा कि इस विषय पर लिखने से कई लोगों को एक साथ फायदा पहुंच सकता है तो लीजिए हाजिर है एक छोटा सा विवरण लैपटॉप और उसकी उपयोगिता के बारे में.
लैपटॉप शब्द दो शब्दों के मिश्रण से बना है लैप और टॉप. अंग्रेज़ी में लैप का अर्थ है गोद और टॉप का अर्थ है ऊपरी, अतः लैपटॉप का शाब्दिक अर्थ है गोद के ऊपर रखा जाने वाला कंप्यूटर. टेक्नोलॉजी की भाषा में लैपटॉप का अर्थ है “एक ऐसा पर्सनल कंप्यूटर जिसे आप कभी भी कहीं भी आसानी से इस्तेमाल कर सकें या जिसके लिए जगह जैसी कोई बाधा ना हो. यानीकि इसे आप अपनी सुविधा अनुसार किसी भी वक्त चलते-फिरते प्रयोग कर सकते हैं.
पर्सनल कंप्यूटर के मुकाबले लैपटॉप हलके और छोटे होते हैं परन्तु इसमें एक पर्सनल कंप्यूटर की ही तरह काम करने की क्षमता होती है. लैपटॉप में डेस्कटॉप कंप्यूटर की तरह कीबोर्ड, मॉनिटर, हार्डडिस्क, रैम, फ्लापी ड्राइव, प्रोसेसर आदि होते हैं. इसके अलावा लैपटॉप में टच-पैड और बैटरी होती है जिसको हम रिचार्ज कर सकते हैं. लैपटॉप नोटबुक की तरह दीखते हैं जिसकी मोटाई 0.7–1.5 इंच, चौड़ा 10 इंच और लम्बाई 8 इंच से अधिक होती है. लैपटॉप का वजन 1.4 से 5.4 किलोग्राम तक होता है.
लैपटॉप का इतिहास
1970 के दशक में पहली बार पोर्टेबल पर्सनल कंप्यूटर की कल्पना एलन केय ने जेरोक्स पार्क में कार्यरत होते हुए की थी जिसका नाम उन्होंने डायनाबुक रखा था. इसके बाद 1973 में आई.बी.एम ने एस.सी.ए.एम.पी नामक(स्पेशल कंप्यूटर एपीएल मशीन पोर्टेबल) परियोजना के दौरान एक प्रोटोटाइप कंप्यूटर पेश किया जो पी.ए.एल.एम प्रोसेसर पर आधारित था. इसी परियोजना के अंतर्गत आई.बी.एम ने अपना पहला पोर्टबल कंप्यूटर 1975 में पेश किया जिसका नाम आई.बी.एम 5100 था. शुरुआत दौर में बने पोर्टबल कंप्यूटर बैटरी रहित होते थे जिसमें सी.आर.टी स्क्रीन होती थी और यह काफ़ी भारी भी होते थे.
फ्लिप फॉर्म फैक्टर (जिसको बक्से की तरह खोला और बंद किया जा सके) वाला पहला लैपटॉप 1981-82 में ऑस्ट्रेलिया में बनाया गया जिसका नाम डुलमोंट मैगनम था परन्तु इसक बाज़ारीकरण नहीं किया गया. 1983 में बनाया गया गैविलन एस.सी नामक पहला पर्सनल नोटबुक कंप्यूटर था जिसको लैपटॉप नाम से प्रस्तुत किया गया. इसके बाद जैसे-जैसे कंप्यूटर क्षेत्र में तकनीकी विकास हुआ नए-नए लैपटॉप बाज़ार में आने लगे. कोई लैपटॉप बिजली की खपत कम करता था तो कोई आप की लेख पहचान सकता था.
आज दुनिया में 15 से भी अधिक कम्पनियाँ हैं जो लैपटॉप का निर्माण करती हैं. दिन प्रति-दिन आधुनिक तकनीक पर आधारित लैपटॉप बाज़ार में आ रहे हैं जो सस्ते भी हैं और लोगों की सुविधानुसार विशिष्ट रूप से निर्मित हैं. कोई-कोई लैपटॉप तो आपकी किताब से भी छोटे हैं.
लैपटॉप के कम्पोनेंट
मदरबोर्ड – मदरबोर्ड को हम मेनबोर्ड भी कहते हैं. यह लैपटॉप का केन्द्रीय प्रिन्टेड सर्किट बोर्ड होता है जिसमें पहले से ही सर्किट मुद्रित होती है. इसका कार्य अलग-अलग सहायक उपकरणों को जोड़ने का होता है.
सेन्ट्रल प्रासेसिंग यूनिट (सी.पी.यू.) – सी.पी.यू. कंप्यूटर या लैपटॉप का वह अंग है जो अन्य कम्पोनेंटों को आज्ञा देता है और महत्वपूर्ण कार्यों को संचालित करता है.
मैमोरी (रैम) – रैम यानी रैंडम एक्सेस मेमोरी कंप्यूटर के डाटा कोस्टोर करता है. रैम की आई.सी(इन्टग्रैटिड सर्किट) चिप में डाटाएक क्रमशः तरीके से स्टोर किया जाता है जिसका हम ज़रूरत पड़ने पर उपयोग करते है.
पॉवर सप्लाई और बैटरी – पॉवर सप्लाई का कार्य ए.सी करेंट को डी.सी करेंट में बदलने का होता है. चूंकि हमारे घर में आने वाला करेंट ए.सी करेंट होता है जो लैपटॉप को चार्ज करने के लिए बहुत अधिक होता है जिसके रहते लैपटॉप फुंक सकता है, अतः पॉवर सप्लाई ए.सी करेंट को डी.सी करेंट में बदलकर लैपटॉप को उचित करेंट प्रदान करता है जिससे बैटरी चार्ज होती है. बैटरी के द्वारा हम लैपटॉप को बिना बिजली के भी चला सकते हैं.
हार्डडिस्क – हार्डडिस्क का कार्य डाटा को स्टोर करने का होता है. यह लैपटॉप की मैमोरी को तब भी बनाए रखता है जब लैपटॉप बंद होता है. लोगों की आवश्यकतानुसार लैपटॉप की हार्डडिस्क में बदलाव आया है आज हम अगर लैपटॉप खरीदते हैं तो अपनी हार्डडिस्क में ज़्यादा से ज़्यादा जगह चाहते हैं जिससे हम अधिक डाटा स्टोर कर पाएं.
पोर्ट्स – यू.एस.बी पोर्ट्स एक ऐसा यंत्र है जिसके द्वारा हम लैपटॉप में दूसरे यंत्र जोड़ सकते हैं. यह लैपटॉप से डाटा-कार्ड, माउस, हार्डडिस्क जैसे अन्य उपकरण जोड़ने के कार्य आता है.
लैपटॉप का डिस्क्रिप्शन
अगर हम लैपटॉप खरीदने जाएं तो हमें बाहर से चीजों पर ध्यान देना पड़ता है क्योंकि अगर कोई भी पुर्जा सही नहीं हुआ तो आपका लैपटॉप सही से नहीं चलेगा वह धीमा हो जाएगा. अतः हमे लैपटॉप खरीदते समय इन चीजों पर ध्यान देना चाहिए.
कोर तकनीकी – विंडोज (एक्स.पी, विस्टा या विंडोज-7), प्रोसेसर तकनीकी(इंटेल या ए.एम.डी)
हार्डडिस्क – 160जी.बी, 250जी.बी, 320जी.बी या अधिक
रैम – 128एम.बी, 256एम.बी, 512एम.बी, 1जी.बी, 2जी.बी या अधिक
वेबकैम – इस यंत्र के द्वारा हम वीडियो बना सकते हैं, फोटो खींच सकते हैं और चैटिंग के समय एक-दूसरे को देख सकते हैं
वाई-फाई – वाई-फाई के द्वारा हम अपने लैपटॉप में इन्टरनेट का मज़ा लेते है
ब्लूटूथ – ब्लूटूथ एक वायरलेस तकनीक है जिसके द्वारा डाटा का आदान-प्रदान होता है
डी.वी.डी राइटर या कॉम्बो ड्राइव इत्यादि – इनका काम लैपटॉप में डी.वी.डी या फ्लापी को चलाने का होता है
यू.एस.बी पोर्ट्स –इस यंत्र के द्वारा हम कंप्यूटर में दूसरे यंत्र जोड़ते हैं
एन्टीवाइरस – आपके लैपटॉप को वायरस से बचाता है
डिस्प्लेऔर ग्राफिक्स – इन कार्ड्स के द्वारा हम अपने लैपटॉप का डिस्प्ले अच्छा कर सकते हैं और यह आपको नए गेम खेलने में भी मदद करता है
बाज़ार में मौज़ूद नवीनतम लैपटॉप
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