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साईं बाबा विवाद पर छिड़ी है वैचारिक जंग

the third eye
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शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद की ओर से साईं बाबा को भगवान न मानने के बयान के बाद देशभर में जबरदस्त बहस छिड़ गई है। टीवी चैनलों पर लगातार कई पैनल डिस्कशन हो रहे हैं। सांई बाबा के भक्त लामबंद हो कर शंकराचार्य का विरोध कर रहे हैं तो शंकराचार्य ने भी विभिन्न संतों की बैठक बुला कर अपने बयान पर बल देने का प्रयास किया है। केन्द्रीय मंत्री साध्वी उमा भारती के बयान के बाद तो इस विवाद ने राजनीतिक रूप भी ले लिया है। भाजपा से जुड़े राजनेता व संत यह कहने से नहीं चूक रहे कि शंकराचार्य कांग्रेस के नजदीकी हैं और उनका भाजपा में सत्ता में आने के बाद ऐसा बयान साजिश का इशारा करता है। ऐसा प्रतीत होता है मानो पूरा हिंदू समाज इस मुद्दे पर दो फाड़ सा हो गया है। कुछ हिंदू वादी साईं बाबा तो मुस्लिम करार देने पर आमादा हैं तो साईं भक्त उन्हें भगवान मानने पर अडिग हैं।
इस मुद्दे पर सोशल मीडिया भी मुखर हो गया है। वाट्स एप पर दोनों की पक्षों की ओर से अपने तर्क दिए जा रहे हैं। आइये, जरा देखें कि उनकी बात में कितना-कितना दम है:-
शंकराचार्य के एक समर्थक की पोस्ट इस प्रकार है-
कटु सत्य–क्या आप जानते हैं?
1-साईं का असली नाम चांद मियां था।
2-साईं ने कभी अपने जीवन में 2 गांव से बाहर कदम नहीं रखा।
3-साईं सत्चरित में 10 बार से अधिक अल्लाह मालिक शब्द आया है, परन्तु एक बार भी ओम् नहीं आया।
4-साईं के समय में उसके आसपास के राज्यों में भयंकर अकाल पड़ा, परन्तु साईं बाबा ने गरीबों की मदद करना जरूरी नहीं समझा।
5-साईं का जन्म 1834 में हुआ, पर उन्होंने आजादी की लड़ाई, जिसे धर्म युद्ध की संज्ञा दी जाती है, में भारतीयों की मदद करना जरूरी नहीं समझा। पता नहीं क्यों, अगर वे राम-कृष्ण के अवतार थे, तो उन्हें मदद करनी चाहिए थी क्योंकि कृष्ण का हीकहना है कि धर्म युद्ध में सभी को भाग लेना पड़ता है। स्वयं कृष्ण ने महाभारत में पांडवों का मार्ग दर्शन किया और वक्त आने पर शस्त्र भी उठाया। भगवान राम ने भी यही किया, पर पता नहीं साईं कहां थे।
6-साईं भोजन से पहले फातिहा पढ़ते थे, परन्तु कभी गीता और रामायण नहीं पढ़ी, न ही कोई वेद। वाह कमाल के भगवान थे।
7-साईं अपने भक्तों को प्रसाद के रूप में बिरयानी यानि मांस मिश्रित चावल देते थे। खास कर ब्राह्मण भक्तों को। ये तो संभव ही नहीं की कोई भगवान का रूप ऐसा करे।
8-साईं जात के यवनी यानि मुसलमान थे और मस्जिद में रहते थे, लेकिन आज कल उन्हें ब्राह्मण दिखाने का प्रयास चल रहा है। सवाल ये है कि क्या ब्राह्मण मस्जिदों में रहते हैं?
नोट-ये सारी बातें स्वयं साईं सत्चारित में देखें। यहां पर एक भी बात मनगढ़ंत नहीं है। ये हमारी एक कोशिश है अन्धे हिन्दुओं को जगाने की। लेकिन हो सकता है इसका असर नहीं पड़े क्योंकि भैंस के आगे बीन बजाने का कोई लाभ नहीं होता।
जरा अब दूसरा पक्ष भी देख लीजिए-
न्यूज 24 पर साईं विवाद पर चल रही बहस में एंकर एवं अन्य धर्मों मुस्लिम, ईसाई, सिख के प्रतिनिधि उदारवाद के साक्षात अवतार दिखाई देने की कोशिश कर रहे थे एवं शंकराचार्य के बयान की निन्दा कर रहे थे तथा बेचारे हिन्दू प्रतिनिधि स्वामी का बचाव की मुद्रा में थे। सब सबका मालिक एक वाला राग गाये जा रहे थे। इसी दौरान स्वामी मार्तण्ड मणि ने बहुत ही बेहतरीन सवाल किया कि क्या आप सब अपने धर्म स्थानों मस्जिद, चर्च व गुरुद्वारे में साईं बाबा की पूजा की अनुमति देंगे? अब सबके चेहरे देखने लायक थे, सब इधर-उधर की बातें करने लगे। एंकर ने जोर देकर सवाल दोहराया तो टालमटोल करते-करते बताने लगे।
मुस्लिम धर्मगुरू-इस्लाम में अल्लाह के अलावा किसी की इबादत की मनाही है, तो मस्जिद में साईं की इबादत का प्रश्न ही नहीं उठता। बुतपरस्ती की तो सख्त-मनाही है, वगैरह- वगैरह।
पादरी जी-चर्च प्रभु यीशू के शरीर का स्वरूप है, कमाल है पादरी साहब ने आज ये नई बात बतायी, उसमें किसी और की पूजा नहीं हो सकती।
सिख प्रतिनिधि-गुरुद्वारा गुरू का स्थान है। हम केवल गुरू की वाणी में ही विश्वास करते हैं। वह सभी धर्मों का आदर करती है, उसमें सभी भक्तों की वाणियां हैं…वगैरह-वगैरह। दोबारा पूछे जाने पर ज्ञानी जी ने भी माना कि गुरुद्वारे में साईं की पूजा की अनुमति नहीं दी जा सकती।
अब कहां गई वह उदारता एवं सबका मालिक एक की भावना।
तो भाई जब तुम लोग साईं को अपने धर्म स्थान में जगह नहीं दे सकते, उसको अपने भगवान अर्थात अल्लाह, यीशु, गुरू आदि का अवतार नहीं मान सकते तो जब शंकराचार्य ने यही बात हिन्दुओं की ओर से कही तो आलोचना क्यों कर रहे हो।
ये सन्देश सीधा अंतर्मन से आया है। जो भी इसको 11 लोगों को भेजेगा, वह सनातन धर्म सेवा से मिले आनंद का भागी होगा।  और जो पढ़ कर भी डिलीट करेगा या नजर अंदाज करेगा, वह 5 दिन तक इसी टेंशन में रहेगा की बात तो सही लिखी थी, पर मैंने धर्म रक्षा का अवसर खो दिया।
इस विवाद पर राजनीति का रंग लिए यह पोस्ट भी देखिए-
मित्रों, आजकल साईं बाबा की आलोचना हर तरफ हो रही है, लेकिन कभी सोचा ये सब अब क्यों हो रहा है और इतने दिन बाद क्यों हो रहा है? आइये हम आपको बताते क्या हंै मामला…..
आपको पता होगा की शंकराचार्य जी की ओर से उठाये हुए सवाल के कारण आज ये विवाद पैदा हुआ है।
1-हाल ही में मोदी सरकार को बड़ी सफलता मिली है और ये जीत हिंदुस्तान के लिए बड़े गर्व का बात है और कांग्रेस के लिए ये शर्मनाक हार थी, इसी के कारण चलते कांग्रेस की बड़ी साजिश तैयार हुई। शंकराचार्य द्वारा जो अब बड़ा सिरदर्द बनाया हुआ है, बीजेपी व हिंदुस्तान के लिये, क्यों कि आने वाले कुछ ही दिन में महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली, झारखण्ड और बिहार में विधानसभा इलैक्शन के लिये वोटिंग होगी।
साईं बाबा के नाम पर होगा हिन्दुओं का बंटवारा और इसके चलते हिंदुस्तान में हिन्दू एक दूसरे से लड़ते रहेंगे, इसका फायदा कांग्रेस और बाकी मुसलमान को मिलेगा क्योंकि वक्फ बोर्ड की नजर साईं बाबा के संपत्ति पर हे, इसे हम अनदेखी नहीं कर सकते। साईं को मुसलमान साबित करके सूफी-संत बता दिया जायेगा और हड़प लेंगे साईं मंदिर की करोड़ों की संपति।
शंकराचार्य जी को कांग्रेस हमेशा सपोर्ट करता है, इसका उदाहरण मीडिया का रिपोर्टर का थप्पड़ कांड है। मोदी जी के बारे में पूछने पर शंकराचार्य ने थप्पड़ मारा था।
साईं बाबा हिन्दू या मुसलमान थे, ये किसी को पता नहीं, न ही कहीं लिखा है। इसलिये हमें सोचना चाहिये । अगर हिन्दुओं का इतना ख्याल है शंकराचार्य जी को तो कहां थे, जब तिरुपति में भगवान बालाजी मंदिर के पास मुसलमानों की यूनिवर्सिटी बन रही थी?
कहां थे जब हैदराबाद के लक्ष्मी मंदिर में घंटा बजने पर बैन हुआ था?
कहां थे जब ओवेसी हिंदुओं पर जहर उगल रहा था?
हिन्दुओं को आपस में लड़ा कर हिन्दू वोट को अलग करना शंकराचार्य जी का लक्ष्य है, जो हमको समझना चाहिए।
सबसे बडी बात है कि मोदी जी को बदनाम करके भारत के विकास को रोकने का काम करेंगे, जो कल तक कुछ एनजीओ करते थे। आईबी की रिपोर्ट आने के बाद एनजीओ का असली चेहरा सामने आया था। हमारा साहित्य, संस्कृति, कला, चाल-चलन और भविष्य हम बनायेंगे या फिर उन लोगों पर छोड़ देंगे जो दूसरे देश से पैसा लेकर हम को ये गलत उपदेश देंगे। और न मानने पर वो कोर्ट पहुंच जाते हैं, फिर रोक लेते हैं बने हुए काम। यही सत्य है। अगर आप इससे सहमत हैं तो शेयर करना न भूलें और देश में स्थिर बनाये रखें। पहले हम भी थे शंकराचार्य जी का साथ, लेकिन अब देश के हित के लिये हिन्दुस्तान के साथ।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

sai babaशंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद की ओर से साईं बाबा को भगवान न मानने के बयान के बाद देशभर में जबरदस्त बहस छिड़ गई है। टीवी चैनलों पर लगातार कई पैनल डिस्कशन हो रहे हैं। सांई बाबा के भक्त लामबंद हो कर शंकराचार्य का विरोध कर रहे हैं तो शंकराचार्य ने भी विभिन्न संतों की बैठक बुला कर अपने बयान पर बल देने का प्रयास किया है। केन्द्रीय मंत्री साध्वी उमा भारती के बयान के बाद तो इस विवाद ने राजनीतिक रूप भी ले लिया है। भाजपा से जुड़े राजनेता व संत यह कहने से नहीं चूक रहे कि शंकराचार्य कांग्रेस के नजदीकी हैं और उनका भाजपा में सत्ता में आने के बाद ऐसा बयान साजिश का इशारा करता है। ऐसा प्रतीत होता है मानो पूरा हिंदू समाज इस मुद्दे पर दो फाड़ सा हो गया है। कुछ हिंदू वादी साईं बाबा तो मुस्लिम करार देने पर आमादा हैं तो साईं भक्त उन्हें भगवान मानने पर अडिग हैं।

इस मुद्दे पर सोशल मीडिया भी मुखर हो गया है। वाट्स एप पर दोनों की पक्षों की ओर से अपने तर्क दिए जा रहे हैं। आइये, जरा देखें कि उनकी बात में कितना-कितना दम है:-

शंकराचार्य के एक समर्थक की पोस्ट इस प्रकार है-

कटु सत्य–क्या आप जानते हैं?

1-साईं का असली नाम चांद मियां था।

2-साईं ने कभी अपने जीवन में 2 गांव से बाहर कदम नहीं रखा।

3-साईं सत्चरित में 10 बार से अधिक अल्लाह मालिक शब्द आया है, परन्तु एक बार भी ओम् नहीं आया।

4-साईं के समय में उसके आसपास के राज्यों में भयंकर अकाल पड़ा, परन्तु साईं बाबा ने गरीबों की मदद करना जरूरी नहीं समझा।

5-साईं का जन्म 1834 में हुआ, पर उन्होंने आजादी की लड़ाई, जिसे धर्म युद्ध की संज्ञा दी जाती है, में भारतीयों की मदद करना जरूरी नहीं समझा। पता नहीं क्यों, अगर वे राम-कृष्ण के अवतार थे, तो उन्हें मदद करनी चाहिए थी क्योंकि कृष्ण का हीकहना है कि धर्म युद्ध में सभी को भाग लेना पड़ता है। स्वयं कृष्ण ने महाभारत में पांडवों का मार्ग दर्शन किया और वक्त आने पर शस्त्र भी उठाया। भगवान राम ने भी यही किया, पर पता नहीं साईं कहां थे।

6-साईं भोजन से पहले फातिहा पढ़ते थे, परन्तु कभी गीता और रामायण नहीं पढ़ी, न ही कोई वेद। वाह कमाल के भगवान थे।

7-साईं अपने भक्तों को प्रसाद के रूप में बिरयानी यानि मांस मिश्रित चावल देते थे। खास कर ब्राह्मण भक्तों को। ये तो संभव ही नहीं की कोई भगवान का रूप ऐसा करे।

8-साईं जात के यवनी यानि मुसलमान थे और मस्जिद में रहते थे, लेकिन आज कल उन्हें ब्राह्मण दिखाने का प्रयास चल रहा है। सवाल ये है कि क्या ब्राह्मण मस्जिदों में रहते हैं?

नोट-ये सारी बातें स्वयं साईं सत्चारित में देखें। यहां पर एक भी बात मनगढ़ंत नहीं है। ये हमारी एक कोशिश है अन्धे हिन्दुओं को जगाने की। लेकिन हो सकता है इसका असर नहीं पड़े क्योंकि भैंस के आगे बीन बजाने का कोई लाभ नहीं होता।

जरा अब दूसरा पक्ष भी देख लीजिए-

न्यूज 24 पर साईं विवाद पर चल रही बहस में एंकर एवं अन्य धर्मों मुस्लिम, ईसाई, सिख के प्रतिनिधि उदारवाद के साक्षात अवतार दिखाई देने की कोशिश कर रहे थे एवं शंकराचार्य के बयान की निन्दा कर रहे थे तथा बेचारे हिन्दू प्रतिनिधि स्वामी का बचाव की मुद्रा में थे। सब सबका मालिक एक वाला राग गाये जा रहे थे। इसी दौरान स्वामी मार्तण्ड मणि ने बहुत ही बेहतरीन सवाल किया कि क्या आप सब अपने धर्म स्थानों मस्जिद, चर्च व गुरुद्वारे में साईं बाबा की पूजा की अनुमति देंगे? अब सबके चेहरे देखने लायक थे, सब इधर-उधर की बातें करने लगे। एंकर ने जोर देकर सवाल दोहराया तो टालमटोल करते-करते बताने लगे।

मुस्लिम धर्मगुरू-इस्लाम में अल्लाह के अलावा किसी की इबादत की मनाही है, तो मस्जिद में साईं की इबादत का प्रश्न ही नहीं उठता। बुतपरस्ती की तो सख्त-मनाही है, वगैरह- वगैरह।

पादरी जी-चर्च प्रभु यीशू के शरीर का स्वरूप है, कमाल है पादरी साहब ने आज ये नई बात बतायी, उसमें किसी और की पूजा नहीं हो सकती।

सिख प्रतिनिधि-गुरुद्वारा गुरू का स्थान है। हम केवल गुरू की वाणी में ही विश्वास करते हैं। वह सभी धर्मों का आदर करती है, उसमें सभी भक्तों की वाणियां हैं…वगैरह-वगैरह। दोबारा पूछे जाने पर ज्ञानी जी ने भी माना कि गुरुद्वारे में साईं की पूजा की अनुमति नहीं दी जा सकती।

अब कहां गई वह उदारता एवं सबका मालिक एक की भावना।

तो भाई जब तुम लोग साईं को अपने धर्म स्थान में जगह नहीं दे सकते, उसको अपने भगवान अर्थात अल्लाह, यीशु, गुरू आदि का अवतार नहीं मान सकते तो जब शंकराचार्य ने यही बात हिन्दुओं की ओर से कही तो आलोचना क्यों कर रहे हो।

ये सन्देश सीधा अंतर्मन से आया है। जो भी इसको 11 लोगों को भेजेगा, वह सनातन धर्म सेवा से मिले आनंद का भागी होगा।  और जो पढ़ कर भी डिलीट करेगा या नजर अंदाज करेगा, वह 5 दिन तक इसी टेंशन में रहेगा की बात तो सही लिखी थी, पर मैंने धर्म रक्षा का अवसर खो दिया।

इस विवाद पर राजनीति का रंग लिए यह पोस्ट भी देखिए-

मित्रों, आजकल साईं बाबा की आलोचना हर तरफ हो रही है, लेकिन कभी सोचा ये सब अब क्यों हो रहा है और इतने दिन बाद क्यों हो रहा है? आइये हम आपको बताते क्या हंै मामला…..

आपको पता होगा की शंकराचार्य जी की ओर से उठाये हुए सवाल के कारण आज ये विवाद पैदा हुआ है।

1-हाल ही में मोदी सरकार को बड़ी सफलता मिली है और ये जीत हिंदुस्तान के लिए बड़े गर्व का बात है और कांग्रेस के लिए ये शर्मनाक हार थी, इसी के कारण चलते कांग्रेस की बड़ी साजिश तैयार हुई। शंकराचार्य द्वारा जो अब बड़ा सिरदर्द बनाया हुआ है, बीजेपी व हिंदुस्तान के लिये, क्यों कि आने वाले कुछ ही दिन में महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली, झारखण्ड और बिहार में विधानसभा इलैक्शन के लिये वोटिंग होगी।

साईं बाबा के नाम पर होगा हिन्दुओं का बंटवारा और इसके चलते हिंदुस्तान में हिन्दू एक दूसरे से लड़ते रहेंगे, इसका फायदा कांग्रेस और बाकी मुसलमान को मिलेगा क्योंकि वक्फ बोर्ड की नजर साईं बाबा के संपत्ति पर हे, इसे हम अनदेखी नहीं कर सकते। साईं को मुसलमान साबित करके सूफी-संत बता दिया जायेगा और हड़प लेंगे साईं मंदिर की करोड़ों की संपति।

शंकराचार्य जी को कांग्रेस हमेशा सपोर्ट करता है, इसका उदाहरण मीडिया का रिपोर्टर का थप्पड़ कांड है। मोदी जी के बारे में पूछने पर शंकराचार्य ने थप्पड़ मारा था।

साईं बाबा हिन्दू या मुसलमान थे, ये किसी को पता नहीं, न ही कहीं लिखा है। इसलिये हमें सोचना चाहिये । अगर हिन्दुओं का इतना ख्याल है शंकराचार्य जी को तो कहां थे, जब तिरुपति में भगवान बालाजी मंदिर के पास मुसलमानों की यूनिवर्सिटी बन रही थी?

कहां थे जब हैदराबाद के लक्ष्मी मंदिर में घंटा बजने पर बैन हुआ था?

कहां थे जब ओवेसी हिंदुओं पर जहर उगल रहा था?

हिन्दुओं को आपस में लड़ा कर हिन्दू वोट को अलग करना शंकराचार्य जी का लक्ष्य है, जो हमको समझना चाहिए।

सबसे बडी बात है कि मोदी जी को बदनाम करके भारत के विकास को रोकने का काम करेंगे, जो कल तक कुछ एनजीओ करते थे। आईबी की रिपोर्ट आने के बाद एनजीओ का असली चेहरा सामने आया था। हमारा साहित्य, संस्कृति, कला, चाल-चलन और भविष्य हम बनायेंगे या फिर उन लोगों पर छोड़ देंगे जो दूसरे देश से पैसा लेकर हम को ये गलत उपदेश देंगे। और न मानने पर वो कोर्ट पहुंच जाते हैं, फिर रोक लेते हैं बने हुए काम। यही सत्य है। अगर आप इससे सहमत हैं तो शेयर करना न भूलें और देश में स्थिर बनाये रखें। पहले हम भी थे शंकराचार्य जी का साथ, लेकिन अब देश के हित के लिये हिन्दुस्तान के साथ।

-तेजवानी गिरधर

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