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देश में जहां महिलाओं का प्रतिशत घट रहा है, वही मध्य प्रदेश के बुन्देलखण्ड़ अंचल के टीकमगढ़ जिले में एक ऐसा भी गांव है जहां पुरूषों की तुलना में महिलाओं की संख्या अधिक है। देश के कई इलाकों में भले ही आज भी बेटियों के जन्म पर लोग उदास हो जाते हो लेकिन इस गांव में आज भी बेटियों को देवी का रूप माना जाता है, और यहां बेटियों की पूजा की जाती है, यही कारण है कि इस गांव में आज बेटो के अनुपात में बेटियां कही ज्यादा है। ये कहना गलत नहीं होगी कि ये गांव है बेटियों का है…..जी हां हम बात कर रहे है टीकमगढ़ जिले के जनपद पंचायत हरपुरा गांव की, जहां 1421 की जनसंख्या वाले इस गांव में 678 पुरूष और 743 महिलाएं है। अगर हम टीकमगढ़ जिले के लिंगानुपात की बात करे तो प्रति 1000 पुरूषों पर 901 महिलाएं है।हरपुरा गांव में लोग कन्या भू्रणहत्या को महापाप मानते है,करीब साढे चौदह सौ की आबादी वाले इस गांव में आज तक किसी परिवार से गर्भपात कराने का मामला सामने नहीं आया । गांव में बेटा होने से ज्यादा खुशी बेटी पैदा होने पर मनाई जाती है ।गांव में ऐसा कोई भी परिवार नहीं है जिसके घर बेटिया न हो, कुछ संयुक्त परिवारं तो ऐसे है जिनके यहा 21-21 बेटियां है, जो एक ही आंगन में फल फूल रही है, ऐसा भी नहीं कि बेटे की चाह में बेटिया पैदा की गई हो, यहां के लोग बेटी को देवी का स्वरूप मानकर हसी खुशी और हर्ष उल्लास के साथ न केवल स्वीकार करते है बल्कि बेटी के पैदा होने पर सामूहिक जश्न भी मनाते है। जहां आज पूरे देश में पुरूषों की तुलना में महिलाओं का लिंगानुपात घटता जा रहा है, वही पिछडे बुन्देलखण्ड अंचल के इस गांव में पुरूषों की तुलना में महिलाओं की संख्या ज्यादा है। जो अपने आप में एक नजीर है जहां राज्य और केन्द्र सरकारें बेटी बचाओं-बेटी पढाओं जैसे अभियानों पर करोड़ो रूपये पानी की तरह फूंक रही है, वही इस गांव में स्वप्रेरणा से बेटे बेटियों में फर्क किये बिना बेटियों को बराबरी का न केवल दर्जा दिया जा रहा है ,बल्कि उनकी पढाई लिखाई और उनकी खुशियों के लिये माता पिता अपना सबकुछ न्यौछावर करने को तैयार हैं।
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