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कुछ दिनों पहले तवलीन सिँह जी का कालम पढ़ा | हँसी भी आई और वरिष्ठ होने के बावजूद उनकी यह सोच कि “केजरीवाल की नेक इरादों को सुन-सुन कर वह उब चुकी हैं” को देखकर रोना भी आया |
अगर किसी के नेक इरादे देख कर उन्हे इतनी उबासी छा रही है तो शायद उन्हे ध्रुवीय भालू की तरह 6 महीने की खुराक लेकर सो जाना चाहिए| पिछले कुछ दिनों से जिस तरह कालम लिख रही है, उससे लगता है कि वो भाजपा की अघोषित प्रचारक है जिन्हे दुनिया भर की सारी अच्छाइयाँ मोदी में ही नजर आ रही है और बाकी पार्टियाँ गले तक भ्रष्टाचार में डूबी हुई हैं और ‘आप’ बेवजह का दिखावा कर रही है |
उनके अनुसार देश का बेड़ा अगर कोई पार लगा सकता है तो सिर्फ मोदी | उनके हिसाब से तो कांग्रेस ने देश को आपातकाल, दंगे, घोटाले और गिरती अर्थव्यवस्था के अलावा कुछ नहीं दिया और ‘आप’ की सरकार भी मुंगेरी लाल के सपने कम नहीं है | वैसे देखा जाए तो कांग्रेस के पास भी उपलब्धियाँ गिनाने को कम नहीं है और ‘आप’ के पास तो उनका जखीरा है | फिर भी उनकी बाल की खाल की खाल उधेड़ी जाती है | तवलीन जी को पता होना चाहिए की मोदी-समर्थकों में से आधे ऐसे होंगे जो सिर्फ मुसलमानों के भारत से सफाये हेतु ‘मोदी-मोदी’ चिल्लाते हैं |
तो क्या इन सब से भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश बन जाएगा ? दरअसल ऐसा मैं नहीं वो आधे लोग कहते हैं | वो देशव्यापी ‘गोधरा आंदोलन’ चाहते हैं | चलो, 2014 में आपकी उम्मीदों को पंख लगे, क्योंकि सावन के अंधे को सिर्फ हरा ही दिखाई देता है और उसे दूर के ढोल सुहावने ही लगते हैं |
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