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रेल यात्रा की अनन्तता का मजा ले रहा था कि तभी पास बैठा एक नौजवान अचानक पुछने लगा,”आपको क्या लगता है? कौन P.M. बनेगा?” “मैं तो नहीं भाई,माफ़ करना।”,मैं बोला। “अरे जब नमो है तो फ़िर किसी को मौका ही कहाँ मिलेगा।” उसका धारा-प्रवाह भाषण जारी रहा, “अरे 10 रु. का टिकट भी हुआ तो भी भाषण सुनने जाऊँगा।” मैने सोचा,“ रेल का टिकट खरीदते तो मौत आती है, पर भाषण सुनने के लिए 5 रु. क्या,10 रु. देने को तैयार। वाह रे भारतीय मतदाता।” मैने उत्सुकतावश पूछा,“ऐसा क्यों?” वो मुठ्ठी भींचते हुए बोला,“अरे, उसे सुनकर जोश आता है।” मैं भन्नाया,“अबे कभी टीचर की बात सुनकर जोश नहीं आया ?” वो लापरवाही से बोला, “अरे वो काम की बात करते थे।”
सच बोलूँ तो ये लड़का सरकारी स्कूलों के उन बच्चों सा लगता है जो फीस जमा करने के दिन घर से 200 रु. लेकर आते थे पर स्कूल में फीस माफी की एप्लीकेशन लगा आते थे। “अरे ये नेता लोग लोगों का भविष्य बिगाड़ने के अलावा कुछ नहीं करते। हाँ, वादे जरुर करते हैं।”, मैने समझाने की कोशिश की। “अरे नमो तो देश का भविष्य बदलेगा और नया इतिहास लिखेगा, लिख के रख लो आप।”,उसने पलटवार करते हुए कहा। अब मैं उसे कैसे बताऊँ कि नमो तो ये सब ‘लिटरली’ कर रहा है।
मैने उससे पुछा, “चल, मेरे 3 सवालों के जवाब देता जा।”
“क्या?”,वो बोला।
“पहला सवाल, सिकन्दर का विजय अभियान कहाँ आकर रुका था ?”
“बिहार में।”
“दूसरा सवाल, तक्षशिला कहाँ है?”
“बिहार में।”
“अच्छा आखिरी सवाल, चंद्रगुप्त मौर्य किस वंश का था?”
“सिम्पल, गुप्त वंश का।” टी. सी. को आता देख वो वह उतरने को बढ़ा। मैने उसे जाते-जाते एक सलाह दी, “ रैली में जरुर जाना भाई। वहाँ तेरा कुछ हो सकता है।” टी.टी. के पास आने से पहले ही वो “हाँ हाँ !!” बोलते हुए वह उतर कर भागा। मैने मन ही मन सोचा, “वाह रे नमो, देश के भविष्य का तो पता नहीं मगर इतिहास जरुर बदल डाला तुने।”
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