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आओ, फिर से ग़ुलाम हो जाएं

बोलवचन
बोलवचन
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न्यूज़ चैनल्स की सुर्खियों में आज फिर से मेरठ के गांव की वही लड़की आ गई जो दो माह पूर्व अपहरण, गैंगरेप एवं जबरन धर्म-परिवर्तन के लिए किसी अन्‍य समुदाय के लोगों पर आरोप लगा रही थी। आरोप वह आज भी लगा रही है, किन्‍तु निशाने पर उसका परिवार व एक भाजपा नेता थे। मैंने दो माह पूर्व इस लड़की से संबंधित ख़बर पूरी दिलचस्‍पी से देखी थी, और आज भी देख रहा हूँ। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान केवल एक यही महत्‍वपूर्ण प्रश्न मेरे दिमाग में कौंध रहा है, कि क्‍या यह लड़की आज सच बोल रही है। जिस आत्‍मविश्वास के साथ इस लड़की ने पहले किसी समुदाय विशेष के लोगों पर आरोप लगाये थे, उसका वह आत्‍मविश्वास मेरी नज़र में आज पूरी तरह नदारद था। उसके बयान देने के तरीके एवं उसका सहमापन देखकर क्‍या हम साफ अंदाज़ा नहीं लगा सकते हैं कि आज का उसका यह बयान उस पर डाले गये दबाव के परिणामस्‍वरूप भी हो सकता है। उसके परिवार ने अपने ऊपर लगाये आरोपों का जवाब देते हुए कहा भी है कि लड़की को इस प्रकार के बयान देने के लिए विवश किया गया है तथा उन पर जान का ख़तरा उत्‍पन्‍न हो रहा है। हम यह भी जानते हैं कि मेडिकल चेकअप के दौरान युवती की एक फेलोपियन ट्यूब भी गायब मिली थी।
अब यह एक छुपा हुआ रहस्‍य नहीं रह गया है कि समाजवादी पार्टी के शासन के दौरान एक वर्ग विशेष के तुष्टिकरण को ध्यान में रखकर बहुसंख्यक वर्ग का बुरी तरह दमन किया जा रहा है। फरियादी को ही आरोपी सिद्ध कर देने में शासक पार्टी तथा उसके लोग पूरी तरह निपुण हो चुके हैं। उत्‍तर प्रदेश में गुंडाराज पूरी तरह कायम हो चुका है तथा सामान्य जनता, खासकर बहुसंख्यक वर्ग, अब इनसे तंग आ चुका है।
आज हमारे देश के कई राज्‍यों में देश विरोधी पार्टियां व उसके प्रतिनिधि सत्‍ता संभाले हुए हैं, जिनकी देशद्रोही नीतियों एवं कार्यों से देश की अखंडता पर ख़तरा मंडराने लगा है। जम्‍मू-कश्मीर में उमर अब्‍दुल्ला सरकार के संरक्षण में पहले पाकिस्‍तान और अब क्रूरतम आतंकवादी संगठन IS का झंडा फहराया जा रहा है। राज्‍य के विकास में उमर अब्‍दुल्ला, महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं का योगदान शून्य है, किन्‍तु जब भी धारा 370 पर बात करने की कोशिश की जाती है, ये नेता अपना आपा खो देते हैं तथा भारत सरकार को चुनौती देने लगते हैं कि वे जम्‍मू-कश्मीर को भारत से अलग कर देंगे।
देश के हित में आज तक उनका कोई बयान या कार्य सामने नहीं आया है, आयी हैं तो सिर्फ देशद्रोही हरकतें। IS के झंडे फहराने के इस अतिगंभीर एवं देश की सुरक्षा की दृष्टि से अतिसंवेदनशील मामले पर उमर अब्‍दुल्ला एवं महबूबा मुफ्ती पूरी तरह चुप हैं, ऐसा लगता है जैसे IS को कश्मीर में अपनी शाखा खोलने के लिए इनके द्वारा ही आमंत्रित किया गया है, इस वादे के साथ कि इनको पूर्ण संरक्षण एवं समर्थन दिया जायेगा।
इसी प्रकार पश्चिम बंगाल में ममता बॅनर्जी सरकार पर भी आरोप लगते रहे हैं कि उनके द्वारा आतंकवादियों और अलगाववादियों को प्रत्‍यक्ष एवं अप्रत्‍यक्ष रूप से संरक्षण एवं समर्थन दिया जाता रहा है और इस कारण आज प. बंगाल और देश की अखंडता के साथ-साथ आम नागरिकों की सुरक्षा का प्रश्न खड़ा हो गया है। बांग्‍लादेश में पनप रहे भारत विरोधी आतंकवादी संगठनों को ममता सरकार की तरफ से समर्थन की भी ख़बरें प्राप्‍त हो रही हैं।
प्राचीनकाल से ही यह हमारे देश की घोर विडंबना है कि जब भी हमारे देश पर कोई विपत्‍ति आयी है, उसमें सबसे बड़ी भूमिका हमारे देश के गद्दारों की रही है, वरना किसी की क्‍या बिसात् थी कि कोई हमारे देश की ओर आँख भी उठा पाता।
सबसे बड़ा प्रश्न् यह है कि क्‍या हमारे पास ऐसा कोई उपाय नहीं कि हम ऐसे देशद्रोहियों को सबक सिखा सकें, जिससे भारत की एकता और अखंडता सुरक्षित रहे और देश का बहुसंख्यक वर्ग बेख़ौफ़ होकर जी सके।

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