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इस्‍लाम् विश्व् का सर्वश्रेष्ठ धर्म है?

बोलवचन
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आज से लगभग 15-17 वर्ष पूर्व जब मैं अपने शहर में रहता था, मेरा स्‍कूटर रिपेयर कराने मैं एक मुस्‍लिम मैकेनिक के पास जाता था, जिसका गैराज मस्‍ज़िद की दुकानों में था। ग़ज़ल एवं शायरी का शौक़ होने के कारण हिन्‍दी के साथ-साथ मैं उर्दू भी सीखता था। संयोगवश यह वही मस्‍ज़िद थी, जहां यह मैकेनिक था। जब उसने मुझे कई बार मस्‍ज़िद में जाते देखा तो उत्‍सुकतावश पूछ ही लिया कि मैं वहां क्‍यों जाता हूँ। मेरे बताने पर कि मैं वहां उर्दू सीखता हूँ, उसका व्‍यवहार मेरे प्रति बेहद प्रेमपूर्ण हो गया। कुछ दिनों बाद मैंने ग़ौर किया कि अब वह मेरे लिये मैकेनिक से ज़्यादा मौलवी या धर्मप्रचारक हो चुका था, जिसका प्रमुख कर्त्तव्य इस्‍लाम् के संदेशों का प्रचार करना था। उसके माध्यम से मुझे इस्‍लाम् की अच्‍छाईयों के संदेश मिलने लगे। इस दौरान उसने मुझे कल्पना के माध्यम से जन्नत के भी दर्शन करा दिये। इसी क्रम में इस्‍लाम् का ज्ञान देते हुए एक बार उसने बताया कि बहुत से धर्मों के लोग यहां इस मस्‍ज़िद में आते हैं जो इस्‍लाम् के प्रति बेहद उत्‍सुक होते हैं, और अंततः वे इस्‍लाम् अपना लेते हैं, क्‍योंकि केवल इस्‍लाम् ही सर्वश्रेष्ठ धर्म है एवं इस्‍लाम् ही आदमी को अपनी मंज़िल तक पहुँचाता है। उस मैकेनिक के इस अंतिम वाक्‍य को आज मैं स्‍वाभाविक तरीके से इस बात से जोड़कर देख रहा हूँ कि आईएसआईएस, सारे ज़िहादी एवं आतंकवादी संगठन क्‍या यही कार्य नहीं कर रहे हैं, मासूम एवं निर्दोष इंसानों को अपनी मंज़िल यानि मौत तक पहुँचाकर। और यहां ज़िक्र भी इस्‍लाम् का ही है। यह सवाल मुझे हरदम परेशान किये हुए है कि क्‍या यही वह सर्वश्रेष्ठ इस्‍लाम् धर्म है जिसके बारे में वह मोटर मैकेनिक मुझे बताता था।

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