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एक ख़त मेरे प्रिय आतंकी भाईयों के नाम।

बोलवचन
बोलवचन
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मेरे प्रिय आतंकवादी भाईयों,

अब आपको मरने की चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है, क्‍योंकि अब आप भारत की धरती पर हैं। बस आपको गिरफ़्तार होने से पूर्व मरने से बचना है, बाकी तो आपको हमारे देश के सेक्‍युलर लोग बचा ही लेंगे।

मारो जी खुलकर मारो हमारे लोगों को, कोई बचने न पाए। भला उनके जीवन की भी कोई क़ीमत है? हां, आपको एक बात अवश्य ध्यान रखनी है, कहीं ग़लती से भी किसी सेक्‍युलर या उसके परिवार पर गोली मत चला देना, क्‍योंकि हिन्‍दुस्‍तान में यही लोग तो आपके समर्थक हैं। कहीं इससे ये ही लोग आपके ख़िलाफ़ हो गए तो।

मेरे प्रिय आतंकी भाईयों, ये वही लोग हैं जो गोधरा कांड पर चुप्पी साधकर रखते हैं, किन्‍तु 2002 के दंगों के दोषियों को सज़ा-ए-मौत देने की बात करते हैं। बाबरी मस्‍ज़िद्‌ के दोषियों को सज़ा-ए-मौत देने की बात करते हैं और मुंबई बमकांड के दोषियों को बचाने की बात करते हैं।

तो मेरे आतंकी भाईयों, निश्चित्‌ होकर अपने काम को अंजाम दो। और हां, यदि आप आतंकवादी हमला करके भाग रहे हों तो भी आपको सीधे पाकिस्‍तान जाने की ज़रूरत नहीं है। इसी देश में प्रबुद्ध, सेक्‍युलर और अपने-अपने क्षेत्र की जानी मानी हस्‍तियां हैं जो आपको शरण देने को तत्पर हैं। इसपर उनमें आपस में प्रतियोगिता भी हो सकती है कि कौन आपको शरण देने का पुण्य कार्य पहले करेगा, क्‍योंकि उन्‍हें पता है इससे उन्‍हें जन्नत्‌ नसीब होना है।

मेरे प्रिय आतंकी भाईयों, मैं आपको आश्वस्‍त करना चाहता हूँ कि इन लोगों द्वारा आपके जीवन की सुरक्षा का पूर्ण प्रयास किया जाएगा, चाहे हमारे देश के महामहिम राष्ट्रपति जी ने आपकी क्षमा याचिका ख़ारिज़ ही क्‍यों न कर दी हो।

मेरे प्रिय आतंकी भाईयों, मैं जानता हूँ कि आपका जीवन अमूल्य है क्‍योंकि आप सर्वशक्‍तिमान्‌ अल्लाह की राह में क़ुर्बान हो रहे हैं।

आज तो आपको पाकिस्‍तान से आना पड़ रहा है किन्‍तु मैं आपको यह यक़ीन दिलाना चाहता हूँ कि अब वह दिन दूर नहीं जब हमारे देश के युवा भी आपके समर्थन में आपकी ही राह पर चलने को प्रेरित होंगे, क्‍योंकि जब वह देखेंगे कि छोटे-छोटे अपराधों पर तो उन्हें सख़्त सज़ाएं मिलती हैं किन्‍तु आतंकवादी वारदातें एवं देशद्रोही हरक़तें करने पर उनकी पैरवी में इस देश की सारी जानी-मानी हस्‍तियां आ जाती हैं।

वैसे भी, उन बहुसंख्यक वर्ग के लोगों की क्‍या परवाह करना, उन्‍होंने तो भारत की धरती पर जन्म ही अत्याचार सहने के लिए लिया है। पहले मुस्‍लिम् आततायियों के क़्रूरतम जुल्मों को सहा, फिर अंग्रेज़ों की ग़ुलामी सही और अब इस देश की क़ानून व्‍यवस्‍था के प्रति भ्रम एवं अविश्वास पैदा कर आतंकवादियों को छुड़ाने का कुत्‍सित्‌ प्रयास करने वालों को चुपचाप सह रहे हैं। इनका मौन ही आपकी ताक़त है। जानते हैं ये मौन क्‍यों हैं? क्‍योंकि ये क़ायर हैं और सदियों से ये वर्ग इसी प्रकार क़ायरों को जीवन जी रहा है।

तो मेरे आतंकी भाईयों, बेहिचक, बेख़ौफ़, बेधड़क हमारे देश में घुसपैठ करें, हमले करें, मासूम लोगों को मारें, इस देश के सेक्‍युलरों का समर्थन आपके साथ है।

यदि घुसपैठ करने में आपको कोई कठिनाई हो तो याक़ूब मेमन की फांसी रोकने हेतु हस्‍ताक्षर करने वाले सभी सेक्युलरों में से किसी से भी अपनी सहायता के लिए संपर्क स्थापित कर सकते हैं, क्‍योंकि ये लोग इस देश में आपकी मदद के लिए ही बैठे हैं तथा आपकी मदद को हमेशा हाज़िर हैं।

इसी आशा के साथ यह पत्र समाप्‍त करता हूँ कि आप मेरी इन बातों से अवश्य आश्वस्त हो गए होंगे और देश के बाक़ी हिस्‍सों में भी आतंकवादी वारदातों को अंजाम देने के बारे सोच रहे होंगे।

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