Menu
blogid : 19208 postid : 1114857

नही भाई, नहीं जाना मुझे फ़्रांस..

बोलवचन
बोलवचन
  • 14 Posts
  • 26 Comments

अपने ही देश में एक बहुसंख्यक होने के बावजूद अपनी आने वाली पीढ़ियों के इस्‍लाम् में बलपूर्वक प्रवेश कराने जाने की भयावह आशंका से हर समय डरा हुआ मैं आज सुबह न्‍यूज़ चैनलों पर फ़्रांस में इस्‍लामी आतंकवादियों द्वारा किए गए हमलों को देख रहा हूँ।
मैंने कभी एक चुटकुला पढ़ा था कि दो बिहारी अमेरिकन नागरिकता हासिल करने की बात करते हैं, जिसमें से एक सुझाव देता है कि इसका सबसे आसान तरीक़ा है कि हम (यानि बिहार) अमेरिका पर हमला कर देते हैं, जीत तो पाएंगे नहीं और अमेरिका हम पर क़ब्‍ज़ा कर लेगा। इस तरह हम अमेरिकी बन जाएंगे।
यह हास्‍यास्‍पद् लग सकता है कि पिछले कुछ वर्षों से मैं भी इसी तरह यही सोच रहा था कि चूंकि आने वाले कुछ समय बाद वैसे भी भारत तो इस्‍लामी राष्ट्र में तब्‍दील होने ही वाला है और अन्‍य इस्‍लामी राष्ट्रों की तरह यहां भी वही कभी न थमने वाली अमानवीय हिंसा का दौर प्रारंभ हो जाएगा जिसमें अन्‍य धर्मावलंबियों के लिए दो ही विकल्प होंगे या तो वे इस्‍लाम् स्‍वीकारें या मौत।
इस आशंका की निश्चितता से भयाक्रांत होकर मैंने इसकी पूरी तैयारी कर ली थी कि चाहे जो हो, मैं अपनी अगली पीढ़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित् करूंगा ताकि मेरी अगली पीढ़ियां मौत और ख़ौफ़ के साये में न जिएं। लेकिन कैसे….?
इसका जवाब मुझे मिला, बेहद आसान और प्रेक्‍टिकल। वो था, अपने बच्‍चों का भविष्य अमेरिका, कनाडा या किसी यूरोपियन देश में ढूंढना। जहां सुनहरे भविष्य की भी असीमित संभावनाएं हैं तथा पश्चिमी देश आंतकवाद के प्रति कठोर भी हैं।
मेरे सामने केवल यही तरीक़ा था जिससे मैं अपनी आने वाली पीढ़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित् कर सकता था।
इसके लिए मैंने प्रयास भी शुरू कर दिए। मेरे एक मित्र, जो कि फ्रेंच हैं, उनके साथ मैंने इस संदर्भ में विचार विमर्श किया, इसके बाद मैंने यह तय किया कि मैं अपने बच्‍चों को फ्रेंच भाषा सिखाना शुरू करवा देता हूँ ताकि वे भी अपने भविष्य की तैयारियां प्रारंभ कर दें।
एक बात का ज़िक्र अवश्य करना चाहूँगा कि एक बार मैं अपने इस विदेशी मित्र के साथ किसी भारतीय विद्वान के घर गया था तब मेरे फ्रेंच मित्र ने अपनी चिंताएं उनके सामने ज़ाहिर की थी कि यूरोपीय देशों ने हाल ही के दिनों में जिस प्रकार मुस्‍लिम् शरणार्थियों के लिए अपनी सीमाएं खोली हैं, उनका ये क़दम इन देशों में इस्‍लामी मतावलंबियों द्वारा होने वाली अमानवीय हिंसा के दौर को प्रारंभ कर देगा, जो इन पश्चिमी देशों के भविष्य को बदल कर रख देगा। आज सारा यूरोप भयाक्रांत है, यह बोलते वक़्त वह ख़ुद भी बेहद चिंतित था।
मैं सोच रहा था कि उसने यह क्‍यों कहा? एक शरणार्थी, जो इस्‍लामी आतंकवादियों से ही मार खाकर दूसरे देश में शरण ले रहा है, उससे किसी और को क्‍या ख़तरा।
उसने इसका जवाब दिया – पूर्व में जब पहले भी मुस्‍लिम् शरणार्थियों को इन देशों में शरण दी गई थी तो जब तक वे कमज़ोर तथा उनपर निर्भर थे, तब तक तो वे शांत थे, किन्‍तु धीरे-धीरे उन्‍होंने भी आतंकवादियों का समर्थन करना शुरू कर दिया तथा उनकी अगली पीढ़ियां तो पूरी तरह से कट्टरता की गिरफ़्त में आ गई, जिसके फलस्‍वरूप इन देशों के मूल नागरिकों का जीना दूभर होना शुरू हो गया। इन बातों का उसने पूरे विस्तार के साथ तर्क़पूर्ण तरीक़े से तथ्यों के साथ समझाया।
चूंकि इन सारे देशों को समान रूप से यह अनुभव हो चुका था कि पश्चिमी देशों में आतंकवाद की जड़ यही शरणार्थी हैं, फिर भी मानवाधिकारों की दुहाई दे देकर उनकी सीमाएं खुलवाई गई तथा नए मुस्‍लिम् शरणार्थियों को प्रवेश दिया गया।
मेरे फ्रेंच मित्र की आशंका कितनी सच थी, इसकी झलक आतंकवादियों ने फ्रेंच पत्रिका के दफ़्तर में हमला कर १२ लोगों को मारकर दिखा दी।
आज जब मैं फ़्रांस के फ़ुटबॉल स्‍टेडियम में हुए वीभत्स आतंकवादी हमलों का समाचार टीवी पर देख रहा हूँ तो सोच रहा हूँ कि क्‍या मेरी अगली पीढ़ियों के लिए फ़्रांस एक सुरक्षित देश है? फ़्रांस ही क्‍यों, क्‍या कोई भी यूरोपीय देश इन इस्‍लामी आतंकवादियों से सुरक्षित है। और जब इन देशों के मूल नागरिक ही वहां सुरक्षित नहीं हैं तो मेरी अगली पीढ़ियां कैसे सुरक्षित होंगी?
आज फिर मेरे दिल में अपनी अगली पीढ़ियों की सुरक्षा के प्रति डर पैदा हो गया है।

अंत में– भारत के तमाम देशद्रोही नेता, मीडिया एवं अन्‍य ग़द्दारों के लिए मेरा यही सुझाव है कि अभी भी वक़्त है कि वे सुधर जाएं, क्‍योंकि यदि वे यह सोचते हैं कि भारत में इस्‍लामी सल्तनत् क़ायम होने पर उन्‍हें उसका कुछ पुरस्‍कार मिलेगा, तो निश्चित् ही वे सही हैं, लेकिन वह पुरस्‍कार होगा – ’मौत’। यदि वे यह सोचते हैं कि भारत देश को बरबाद करके वे पश्चिमी देशों में पनाह ले लेंगे तो फ़्रांस की हालिया आतंकवादी घटना से सबक लें। पश्चिमी देश भी अब आपके लिए सुरक्षित नहीं हैं।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh