- 14 Posts
- 26 Comments
इस्लाम् क़बूलवाया गया। युवती ने पुलिस को बताया कि उसे हापुड़ के अलावा मुजफ्फरनगर और देवबंद स्थित मदरसों में बंधक बनाकर रखा गया। वहां उसे बेहोश रखने के लिए नशे का इन्जेक्शन लगाया जाता था। युवती के बयान के अनुसार, मुजफ्फरनगर के मदरसे में करीब दो दर्जन युवतियां थीं और उनकी भी ऐसी हालत कर वहां बंधक बनाकर रखा गया है। मुसलमानों के अधिकारों के प्रति सचेत सेक्युलर मीडिया, जो किसी भी घटना को तिल का ताड़ बनाने में माहिर है, इस घटना के प्रति ख़ामोश है, क्योंकि ऐसी ख़बरें प्रमुखता से दिखाने से उसपर हिन्दुओं के पक्ष में ख़बरें प्रसारित का आरोप लग सकता है, जो कि उसकी सेक्युलर छवि के अनुरूप नहीं है। हमारे देश में ईसाई मिशनरीज़् पर भी इस प्रकार के आरोप लगते रहे हैं कि वे समाज के निचले पायदान पर रहने वाले लोगों का धर्म-परिवर्तन कराती हैं किन्तु ईसाई मिशनरीज़् के बारे में कभी यह नहीं सुना गया कि वे बलपूर्वक धर्म-परिवर्तन में संलग्न हैं। वे ग़रीब लोगों को कुछ रूपयों का लालच देकर ईसाई बनाते हैं। धर्म का यह रूप बेहद आश्चर्यजनक है। यदि किसी व्यक्ति को कुछ पैसों का लालच देकर या बलपूर्वक किसी दूसरे धर्म में शामिल किया जाता है तो इससे उस व्यक्ति के मन में उस धर्म विशेष के प्रति कौन-सी अच्छी धारणा पैदा होती है, यह शोध का विषय है। उम्मीद की जानी चाहिये कि बलपूर्वक धर्म-परिवर्तन की इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के आरोपियों को कड़ी सज़ा मिले तथा भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। यह भी देखना दिलचस्प होगा कि क्या मीडिया इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर उसी तत्परता से टीवी पर बहसें आयोजित करेगा, जिस प्रकार उसने रोज़ा-रोटी कांड पर की थी और यह भी कि क्या रोज़ा-रोटी कांड के दौरान मीडिया द्वारा पेश की गई बहसों में शामिल समस्त मुसलमान प्रतिनिधियों के साथ-साथ भारत के आम मुसलमान भी इस घटना की घोर भर्त्सना करेंगे हैं या वे चुप्पी साधकर बैठे रहेंगे।
Read Comments