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सोचता हूँ की क्या लिखू, लिखू भी या न लिखू.. सबने इतना अच्छा है लिखा, अब इससे अच्छा क्या लिखू..
प्यार पर लोगो ने इतना कुछ लिखा है और इतना अच्छा लिखा है की मै कुछ सोच में था की अब इससे अच्छा और इससे नया क्या लिखू.. पर फिर सोचा, प्यार में नया पुराना क्या होता है, अच्छा बुरा क्या होता है, प्यार तो प्यार होता है..
प्यार का तो नाम ही प्यार है, प्यार का तो काम ही प्यार है, प्यार तो बस प्यार है, और प्यार के बिना ये सारा जहाँ बेकार है....
प्यार का न तो कोई रूप है और ना ही कोई आकार है, फिर भी इस जहां में प्यार सम्पूर्ण रूप से साकार है....
लैला को मजनू से प्यार है, तो हीर को भी रांझा से बहुत प्यार है, कृष्ण को हर गोपी से प्यार है, फिर भी कृष्ण और राधा में अटूट प्यार है....
कहीं प्यार का एक नाम ऐतबार है तो किसी के लिए प्यार चमत्कार है, प्यार तो सभी का यार है, और प्यार को तो सभी से प्यार है....
माँ के लिए बेटे की शरारत प्यार है, और बेटे के लिए माँ का आँचल प्यार है, बेटे की उछल-कूद में प्यार है, तो पापा के डांट में भी छुपा प्यार है....
किसी के लिए जीत का नशा प्यार है तो किसी के लिए हार का मजा भी प्यार है. किसी के लिए देश की खातिर लड़ना प्यार है, तो किसी के लिए देश पे मरना भी प्यार है....
प्यार तो वो हथियार है, जिसके आगे तीर और तलवार भी बेकार है, प्यार अगर दोस्तों का यार है तो इसे दुस्मानो से भी उतना ही प्यार है....
चिड़िया की चेहचाहट में प्यार है, तो झरने के संगीत में भी प्यार है, और वहीँ पर है सारी खुशियाँ जहाँ पर बस प्यार ही प्यार है....
कहीं भीड़ में भी दीखता प्यार है, तो कभी सन्नाटे में भी छुपा प्यार है, पुरूष के क्रोध में भी प्यार है, और नारी का श्रृंगार भी तो प्यार है ....
प्यार का तो नाम ही प्यार है, प्यार का तो काम ही प्यार है, प्यार तो बस प्यार है, और प्यार के बिना ये सारा जहाँ बेकार है....
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