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काला धन पर अंकुश हेतु कुछ और सुधारों की जरूरत

अंतहीन
अंतहीन
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विगत मंगलवार को सरकार ने पांच सौ और एक हजार रुपये के नोटों को अवैध घोषित कर मध्य रात्रि से चलन से बाहर कर दिया । आंकड़े देखे जाए तो छह लाख सत्तर हजार करोड़ रुपये के एक हजार के नोटों व आठ लाख पच्चीस हजार करोड़ रुपये के पाँच सौ के नोटों को अमान्य घोषित कर दिया है कदम। यह पहली बार नहीं है जब नोटों को अमान्य घोषित किया गया हो। इससे पहले 1946 व 1948 में नोटो को अमान्य घोषित किया गया तथा 1000, 5000, 10000 तक के नोट प्रचलन में आए और उन्हें बाहर कर दिया गया। नोटों का अवैध का घोषित किया जाना सच्चे अर्थों में ऐतिहासिक एवं साहसिक कदम है। सरकार के इस कदम से 85 फीसद करेंसी नोट यानी कि 14 लाख 95 हजार करोड़ रुपये अमान्य हो गए।

सरकार द्वारा ये कदम देश में बढ़ते काले धन एवं भ्रष्टाचार आदि पर अंकुश लगाने के लिए उठाया गया है। देश में काले धन एवं भ्रष्टाचार व कर चोरी का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि 125 करोड़ की आबादी में से सिर्फ चार प्रतिशत लोग ही सरकार को कर देते हैं। यह उस देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति है, जहाँ तीस लाख कारों दो करोड़ मोटरसाइकिलों और आठ सौ टन सोने के रुप में करोड़ों रुपये व्यय किए गये हों। देश में भ्रष्टाचार व काले धन पर अंकुश लगाने की कोशिशें तब से जारी हैं, जब से भारत गणराज्य बना। मंगलवार को उठाए गए इस बड़े राजनीतिक-आर्थिक कदम के कई मकसद हैं जैसे- व्यवस्था से काले धन को बाहर को करना, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना, समाज को अपराध से मुक्त करना जिसके कारण अवैध धन पनपता है, मादक पदार्थों की तस्करी, अपराधियों और आतंकवादियों द्वारा नेपाल और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के रास्ते से देश में लाए जा रहे नकली नोटों पर अंकुश लगाना आदि।

सरकार के द्वारा यकायक उठाए गए इस कदम से आम जनमानस व व्यापारियों को कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि इससे रोजाना के लेनदेन में दिक्कते आ रही हैं। लेकिन ये सभी समस्याएँ कुछ समय के लिए ही होंगी। कुछ समय बाद सारी समस्याएँ हल हो जाएंगी। सरकार के इस कदम से कर चोरों व भ्रष्टाचारियों की जान सांसत में है वहीं ईमानदार व अच्छे लोग सरकार द्वारा किये गये इस निर्णय से खुश नजर आ रहे हैं।

सरकार के इस कदम से देश को कई फायदे होंगे। इससे उन राजनेताओं पर अंकुश लगेगा जो चुनाव में अनाप-सनाप व्यय करते थे और इस व्यय का स्त्रोत भी काली कमाई ही होती थी। उन पार्टियों पर अंकुश लगेगा जो टिकट बँटवारे में अरबों रुपये लेती थीं व चुनाव में व्यय करती थीं। उन अधिकारियों व व्यवसायियों पर अंकुश लगेगा जो सेवा देने के नाम पर लोगों से खूब रिश्वत लेते थे व भ्रष्टाचार फैलाते थे। कर चोरों पर भी लगाम लगेगा तथा सरकार का राजस्व बढ़ेगा। अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार होगा। गरीब-अमीर के बीच की असमानता कम होगी। इससे जमीन के दाम कम होंगे व मंहगाई में भी कमी होगी।

भ्रष्टाचार व काले धन इत्यादि पर अंकुश लगाने के लिए सरकार को और भी कई कदम उठाने चाहिए। इन सबके लिए कई ढ़ांचागत सुधारों की जरूरत है। कारोबार में बेहतर नियमन व कारपोरेट गवर्नेंस की जरूरत है। सरकारी कामों व नियमों में पारदर्शिता लाने की जरूरत है। दागदार अधिकारियों को हटाने की जरूरत है। आम जन मानस में जागरुकता लाने की जरूरत है। इसके साथ ही राजनीतिक पार्टियों व राजनेताओं को मिलने वाले फंड व उसके स्त्रोतों व उनके द्वारा किए जाने वाले व्ययों में पारदर्शिता लाने एवं इन सब चीजों में सार्वजनिकता की आवश्यकता है। यदि इतना हम कर ले जाते हैं तो काले धन एवं भ्रष्टाचार को खत्म करने में हम सही अर्थों में सफल होंगे। इसके साथ ही भ्रष्टाचार व काले धन को रोकने में हम शीर्ष देशों में जरूर सम्मिलित होंगे। साथ ही देश भी प्रगति करेगा और हम भी प्रगति करेंगे व हमारा भी महत्व बढ़ेगा। काले धन व भ्रष्टाचार रोकने के मामले में हम दुनिया के सामने एक नजीर के रुप में पेश होंगे।

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