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हम आजादी के 69 वर्ष पूरे कर चुके हैं। इन 69 वर्षों में देश ने काफी प्रगति करी है, वह फिर चाहे विज्ञान का क्षेत्र हो, शिक्षा का क्षेत्र हो, राजनीति का क्षेत्र हो, कला का क्षेत्र हो या साहित्य का क्षेत्र हो। आजादी से पूर्व एवं बाद की देश की आंतरिक गतिविधियों, सफलताओं-असफलताओं, एवं देश के उत्थान-पतन में युवाओं का योगदान प्रमुख रहा है।
यदि हम आजादी से पूर्व देश के प्रति युवाओं के योगदान की बात करें तो स्वामी विवेकानंद जी, जिन्होंने मात्र 39 वर्ष की आयु में ही पवित्र सनातन संस्कृति एवं भारतवर्ष को विश्व पटल पर सशक्त रूप में खड़ा किया। इसी तरह चंद्रशेखर आजाद जी, रामप्रसाद बिस्मिल जी, सुखदेव जी, राजगुरू जी, अशफाक उल्ला खाँ जी, रोशन सिंह जी, भगत सिंह जी इत्यादि ने अपने अथक प्रयासों, त्याग, व समर्पण के बल पर हमें अंग्रेजों की दासता से मुक्ति दिलाई। परमपूज्य डॉ0 केशव बलिराम हेडगेवार जी, जिन्होनें अपने समय की स्थिति को भाँपते हुए मेडिकल की नौकरी ठुकरा दी और देश सेवा के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की, जो देश एवं दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है एवं देश में ही नहीं अपितु दुनिया के कई देशों में जनहित में कार्य कर रहा है।
यदि आजादी के बाद के वर्षों की बात की जाए तो डा0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी, जिन्होंने कश्मीर में अलग प्रधानमंत्री, अलग निशान को मिटाने के लिए जीवन भर संघर्ष किया एवं ¬एक प्रधान, एक विधान, एक निशान का नारा दिया। डा0 एम एस स्वामीनाथन जी, जिन्होंने हरित क्रांति दी और खाद्यान्न के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाया। डा0 होमी जहाँगीर भाभा जी, जिन्होंने देश को परमाणु शक्ति बनाने में अपना योगदान दिया। विक्रम साराभाई, जिन्होंने अंतरिक्ष अनुसंधान के देश को विश्व पटल पर स्थापित किया। जब देश में पर्याप्त दुग्ध की मात्रा की कमी थी, तो वर्गीज कुरियन जी ने स्वेत क्रांति लाकर देश को दुग्ध के मामले में आत्मनिर्भर बनाया। दीनदयाल उपाध्याय जी, जो मात्र 35 वर्ष की उम्र में भारतीय जनसंघ के स्थापना के पश्चात् उत्तर प्रदेश के महासचिव बने और एकात्म मानववाद जैसा सर्व समावेशी सिद्धांत दिया।
इसी तरह जेपी आंदोलन से लेकर भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना आन्दोलन तक, मतदाता जागरूकता से लेकर परिवार नियोजन तक, गोमती सफाई अभियान से लेकर पर्यावरण संरक्षण तक, कन्या भ्रूण हत्या एवं नारी हिंसा से लेकर महिला सशक्तीकरण तक, प्रत्येक मामले में युवाओं की भूमिका प्रमुख रही है।
इन सबके बावजूद आज देश के युवाओं के समक्ष तमाम तरह की समस्याएँ हैं। युवाओं के समक्ष आज उच्च शिक्षा में दिशा हीनता है। उसे यह ही नहीं पता होता है कि उसे आगे किस दिशा में जाना है। उनके सामने बेरोजगारी की समस्या है। वह सैद्धांतिक रूप से शिक्षित है लेकिन व्यवहारिक रूप से अशिक्षित है। वह इंजीनियर तो बन जाता है लेकिन वैज्ञानिक नहीं। देश में शोध कार्यों की कमी है। नेशनल प्लान का अभाव है। आज के युवा में शिक्षित होने के सामाजिक अनुभूति के नाम पर शून्यता दृष्टिगोचर होती है। आज भी युवा नेतृत्व का विकास नहीं हो पाया है जिसके चलते युवा नेतृत्व की कमी को आसानी से महसूस किया जा सकता है।
इन सभी समस्याओं के समाधान हेतु उच्च शिक्षा के माध्यम से नेशनल प्लान तैयार किया जाना चाहिए, जिस तरह की परिकल्पना देश के पूर्व राष्ट्रपति, मिसाइल मैन, भारत रत्न परमपूज्य स्वर्गीय ए पी जे अब्दुल कलाम जी ने भारत 2020 के रूप में की थी। युवा नेतृत्व का समुचित विकास किया जाना चाहिए। योग्यता संवर्धन को बढ़ावा देना चाहिए। नई शिक्षा नीति तैयार करनी चाहिए जो ऐसी युवाओं को शिक्षित करने के साथ-साथ उनमें पर्याप्त संस्कार एवं सामाजिक अनुभूति का विकास कर सके। सैद्धांतिक प्रशिक्षण देने के साथ-साथ व्यवहारिक प्रशिक्षण प्रमुखता के साथ दिया जाना चाहिए। यदि ऐसा हम कर ले जाते हैं तो आने वाले कुछ समय में ही सभी के सपनों का भारत बनाने में सफल होंगे एवं एक बार फिर दुनिया में प्रत्येक मामले में शीर्ष पर होंगे।
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