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हद होती है किसी चीज की भी, अरे भई राहुल बाबा ने एक झपकी ही तो ली न संसद में, हंगामा मचाकर रखा है। कौन सा पहाड़ टूट पड़ा है। वैसे भी 10 साल तक जब सरकार में थे तब तो गिनती के दिन ही संसद में दिखाई दिए थे। कितना काम करते थे उस वक्त। संसद में तक आने की फुर्सत नहीं मिलती थी। कभी किसी दलित की झोपड़ी में खाना खाने पहुंच जाते थे, कभी मजदूरों का दर्द जानने निकल पड़ते थे। कभी दागियों तो बचाने वाले अध्यादेश को किसी हीरो की तरह फाड़ देते थे।
अब जब जनता ने फिलहाल पांच साल तक आराम करने की सलाह दी है, तो क्या संसद में एक झपकी लेना भी गुनाह हो गया। कभी भावनाओं को भी तो समझा करो, क्या राहुल बाबा का मन नहीं करता होगा आराम करने का, आखिर इतना काम करते हैं, तो चैन की नींद तो बनती है न। आम चुनाव में कितनी मेहनत की, एक एक दिन में कई कई चुनावी रैलियां की, कांग्रेस की जीत के लिए जी तोड़ मेहनत की। इस बार तो अमेठी में अपने लिए वोट मांगने तक गए और इसका फल भी मिला और अमेठी से चुनाव जीत भी गए। ठीक है सरकार नहीं बना पाए तो क्या हुआ आम चुनाव में 44 सीटें जीतकर आई है कांग्रेस। मजाक बात है 44 सीटों पर फतह हासिल करना, अब अन्नाद्रमुक को देखो कुल 37 ही सीट जीत पाई, तृणमूल कांग्रेस को देखो कुल 34 सीट ही जीत पाई। जबकि समाजवादी पार्टी तो सिर्फ 5 ही सीट जीत पाई और बसपा का तो खाता भी नहीं खुला। इन सब से कितनी आगे है कांग्रेस। चलो कोई और काम करो, राहुल बाबा के सोने पर अब ज्यादा हल्ला मत मचाओ, अरे नींद से जाग जाएंगे बाबा।
deepaktiwari555@gmail.com
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