Menu
blogid : 11729 postid : 195

गडकरी नपे…वाड्रा बचे..!

प्रयास
प्रयास
  • 427 Posts
  • 594 Comments

robert vadra--621x414चारों ओर चर्चा तो भाजपा अध्यक्ष पद से नितिन गडकरी की कुर्सी खिसकने और राजनाथ सिंह के सिर अध्यक्ष पद का ताज सजने की है लेकिन 22 जनवरी 2013 को चंद घंटों के बीच भाजपा में पल पल बदलते समीकरण के पीछे की कहानी की शुरूआत तो दरअसल आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने दो महीने पहले ही कर दी थी जिसका क्लाइमैक्स गडकरी समर्थकों की आंखों में आंसू दे गया तो राजनाथ सिंह समर्थकों के चेहरे पर जीत की खुशी। अंजलि दमानिया के साथ केजरीवाल ने बीते साल अक्टूबर में गडकरी पर किसानों की जमीन हड़पने का गंभीर आरोप लगाया था इसके बाद गडकरी की कंपनी पूर्ति लिमिटेड पर ही सवाल उठ खड़े हुए और गडकरी की कंपनी में निवेश करने वाली कंपनियों के पते ही फर्जी निकले। आयकर विभाग ने मामले की जांच शुरु की और 22 जनवरी 2013 को आयकर विभाग के ताजा सर्वे के बाद अध्यक्ष पद पर गडकरी की दोबारा ताजपोशी के बीच गडकरी के खिलाफ विरोध के झंडे बुलंद होने लगे और आखिरकार शाम होते होते गडकरी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और नए अध्यक्ष के रूप में राजनाथ सिंह की ताजपोशी हो गई। हालांकि संघ की मंशा थी कि 2014 का आम चुनाव भाजपा गडकरी के नेतृत्व में ही लड़े और इसके लिए हरियाणा के सूरजकुंड में बीते साल 28 सितंबर 2012 को भाजपा राष्ट्रीय परिषद की बैठक में गडकरी के दूसरे कार्यकाल के लिए बकायदा पार्टी के संविधान में तक संशोधन किया गया लेकिन गडकरी के ये खुशी ज्यादा दिन नही रह पाई और आईएसी कार्यकर्ता अंजलि दमानिया ने केजरीवाल संग गडकरी पर महाराष्ट्र में किसानों की जमीन हड़पने के संगीन आरोप लगा दिए। भाजपा से पहले से ही खार खाए बैठी केन्द्र सरकार ने भी हाथ आए इस मौके को लपक कर गडकरी की कंपनियों की जांच के आदेश दे दिए जिसके बाद गडकरी धीरे धीरे भ्रष्टाचार के मकड़जाल में घिरते चले गए। ये बात अलग है कि केजरीवाल ने सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा पर भी गंभीर आरोप लगाए थे लेकिन वाड्रा तो क्लीन चिट मिल गई तो गडकरी पर आयकर विभाग ने शिकंजा कस लिया। सवाल यहां पर भी खड़ा उठता है कि आखिर कैसे यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के दाबाद राबर्ट वाड्रा को बहुत ही कम समय में क्लीन चिट दे दी जाती है और गडकरी की कंपनी के ठिकानों पर एक के बाद एक छापेमारी की जाती है..! क्या इसे महज एक इत्तेफाक माना जाए या कुछ और..? खैर सच्चाई जो भी हो लेकिन गडकरी की भाजपा अध्यक्ष पद की कुर्सी खिसकने के बाद गडकरी के विरोधियों से ज्यादा खुशी केजरीवाल एंड कंपनी को ही हो रही होगी क्योंकि केजरीवाल एंड कंपनी ने जिन जिन लोगों पर अपने बांउसर फेंके उनमें पहली सफलता उन्हें गडकरी के रूप में ही मिली है।

deepaktiwari555@gmail.com

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply